स्वेज नहर में 120 जहाजों का लंबा जाम, 4 फुटबॉल स्टेडियम जितना बड़ा है फंसा जहाज, टॉयलेट पेपर की होगी किल्लत!
स्वेज नहर में फंसे जहाज की वजह से 120 से ज्यादा जहाज ट्रैफिक जाम में फंस गये हैं। वहीं, अब विश्व में टॉयलेट पेपर की कमी हो सकती है।
नई दिल्ली: इजिप्ट के स्वेज नहर में जहाजों का लंबा जाम लग गया है। एक दो नहीं, अब 120 से ज्यादा जहाज स्वेज नहर में फंस गये हैं और अब उन्हें निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। मंगलवार को एमवी गीवन नाम का जहाज तिरछा होकर स्वेज नहर में फंस गया था, जिसे निकालने के लिए कई तरकीबों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन अभी तक एक भी तरीका कामयाब नहीं हो पाया है।
जाम से करोड़ों का नुकसान
दुनिया के एक बेहद महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग पर लगे इस जाम से करोड़ों रुपये का हर दिन नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कई जरूरी सामानों की किल्लत भी होने वाली है। वहीं, हाई रिजॉल्यूशन वाली सैटेलाइट तस्वीर से खुलासा हुआ है कि स्वेज नहर में 120 जहाजों का काफिला जाम में फंस गया है। इन जहाजों के पास अब बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है। जब तक फंसे हुए जहाज को बाहर नहीं निकाला जाएगा तब तक जाम में 120 जहाज भी फंसे रहेंगे। स्वेज नहर के रास्तों हर दिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता है, लिहाजा अबतक करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
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जाम की सैटेलाइट तस्वीर
सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि जलमार्ग खाली होने के इंतजार में 120 जहाज हैं। इस सैटेलाइट तस्वीर में 2500 वर्ग किलोमीटर के समुन्द्री क्षेत्र को दिखाया गया है। तस्वीर देखने पर पता चलता है कि स्वेज नहर में जहाजों का लंबा जाम लगा हुआ है। सैटेलाइट तस्वीर से पता चलता है कि भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाले इस मानव निर्मित व्यापार मार्ग में जाम हटाने के लिए कोशिशें भी की जा रही है। लेकिन, माना जा रहा है कि जाम खुलने में अभी कई दिनों का वक्त लगेगा। स्वेज नहर में फंसी ये शिप 400 मीटर लंबी और 59 मीटर चौड़ी है। यानि, ये जहाज काफी ज्यादा लंबा और चौड़ा है और ये मिट्टी में धंसा हुआ है, इसीलिए इसे निकालने में काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
समंदर में जाम का असर
स्वेज नहर में लगी जाम का असर भी अब होने लगा है। इस जाम में कई तेल कंटेनर फंसे हुए हैं, इसीबीच टॉयलेट पेपर बनाने वाली कंपनी सुजानो एसए ने कहा है कि जहाज फंसन से पूरे विश्व में टॉयलेट पेपर की कमी हो सकती है। कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि टॉयलेट पेपरों को लाने और ले जाने के लिए शिप्स और कंटेनरों की भारी किल्लत हो गई है, जिसकी वजह से समानों के डिस्ट्रीब्यूशन में देरी हो रही है। कंपनी की तरफ से कहा गया है कि मार्च में टॉयलेट पेपर की बिक्री उतनी नहीं हो पाएगी, जितनी जरूरत है। हालांकि, जहाज निकालने की कोशिश में दुनियाभर के इंजीनियर अपना दिमाग खपा रहे हैं, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल पाई है। और स्वेज नहर में लगा ये लंबा जाम कब खत्म होगा, फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है।
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