देश डुबोने के बाद भी श्रीलंका के नेताओं ने नहीं सीखा सबक, चीन से फिर मांगा भारी-भरकम कर्ज
कोलंबो, 27 जुलाईः श्रीलंका आजादी के बाद से अपने सबसे खराब आर्थिक हालात का सामना कर रहा है। अपनी डूब रही अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए इस द्वीप देश ने चीन से व्यापार, निवेश और पर्यटन के क्षेत्र में मदद मांगी है। बीजिंग में चीनी दूत ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह आर्थिक मंदी से उभरने की दिशा में एक प्रयास है। इसके लिए श्रीलंका ने चीन से चार अरब डॉलर की मदद की मांग की है।
श्रीलंकाई राजदूत ने मांगी मदद
2.2 करोड़ की आबादी वाला यह द्वीप देश 1948 में आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ईंधन, भोजन और दवा की कमी से नाराज प्रदर्शनकारियों ने राजपक्षे शासक परिवार को सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया। श्रीलंका के बीजिंग दूतावास में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में पालिता कोहोना ने कहा कि कोलंबो चाहता है कि चीन अपनी कंपनियों को अधिक श्रीलंकाई काली चाय, नीलम, मसाले और वस्त्र खरीदने के लिए कहे। इसके साथ ही पालिता कोहोना ने कम्यूनिस्ट सरकार से चीनी आयात नियमों को अधिक पारदर्शी बनाने की भी अपील की है।
पर्यटन पर श्रीलंका कर रहा फोकस
श्रीलंकाई राजदूत ने कहा कि बीजिंग कोलंबो और हंबनटोटा में चीन समर्थित विशाल बंदरगाह परियोजनाओं में और निवेश करके भी मदद कर सकता है। कोहोना ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रमुख चीनी निवेश योजनाएं अमल में नहीं आई थीं। इसके अलावा, श्रीलंका अधिक चीनी पर्यटकों की चाहत रखता है। 2018 में श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या 265,000 थी, जो कि 2019 में आत्मघाती हमलों और कोरोना महामारी के बाद लगभग नगण्य हो गई है।
विक्रमसिंघे भी चीन के करीबी
कोहोना ने कहा कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की व्यापार, निवेश और पर्यटन सहित अन्य मुद्दों पर सहयोग पर चर्चा करने के लिए चीन की यात्रा करने की योजना है। राजपक्षे परिवार चीन का करीबी हुआ करता था लेकिन श्रीलंका के वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी चीन के लिए अजनबी नहीं हैं। रॉयटर्स के पत्रकार, दूतावास के जिस कमरे में उनका इंटरव्यू कर रहे हैं वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी हाथ मिलाते हुए एक तस्वीर है। यह तस्वीर 2016 में प्रधानमंत्री के रूप में बीजिंग का दौरा किया तब की है।
4 अरब डॉलर की मांगी मदद
राजदूत कोहोना ने कहा कि उन्हें चीन के प्रति नई सरकार की नीति में कोई बुनियादी बदलाव की उम्मीद नजर नहीं आती है। बतादें कि श्रीलंका कई महीनों से 4 अरब डॉलर के सहायता पैकेज के लिए चीन से बातचीत कर रहा था, जिसमें इस साल चीनी ऋण की लगभग बराबर राशि चुकाने के लिए 1 अरब डॉलर का ऋण शामिल था।
चीन ने नहीं दिया है कोई आश्वासन
श्रीलंका चीनी आयात के भुगतान के लिए 1.5 बिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन भी मांग रहा है। कोहोना ने कहा कि ये आयात मुख्य रूप से बटन और ज़िपर जैसे उनके देश के आकर्षक परिधान उद्योग के लिए आवश्यक इनपुट हैं। श्रीलंका को भी उम्मीद है कि वह चीन को 1.5 अरब डॉलर के द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय को सक्रिय करने के लिए राजी करेगा। कोहोना ने कहा कि चीन के साथ वित्तीय सहायता पर चर्चा अभी भी चल रही है लेकिन अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं की गई है।
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