कोई न कर पाए ओवरटाइम इसलिए इस देश ने निकाला नया जुगाड़
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नई दिल्ली। अपने कर्मचारियों को ओवरटाइम करने से रोकने के लिए दक्षिण कोरिया एक बड़ा ही नायाब तरीका लेकर आया है। दक्षिण कोरिया ने ओवरटाइम बंद करने के लिए ऑफिसों में कंप्यूटरों को बंद करने का फैसला लिया है। सियोल मेट्रोपॉलिटिन सरकार आने वाले दिनों से ऑफिसों में कंप्यूटर को एक तय वक्त के बाद बंद करना शुरू कर देगी, जिससे कर्मचारी घर जा सकें और अपने परिवार के साथ वक्त बिता सकें। दुनिया के कई देशों की तरह दक्षिण कोरिया में कर्मचारी कई घंटों तक एक्स्ट्रा काम करते हैं, जिससे उनकी वर्क-लाइफ बैलेंस पर असर पड़ रहा है।
पहला फेज 30 मार्च से शुरू
दक्षिण कोरिया अपने कर्मचारियों को ज्यादा काम करने से रोकने और वर्क-लाइफ बैलेंस पर जोर देने के लिए एक मजबूत कदम उठाने जा रहा है। सियोल मेट्रोपॉलिटन सरकार ने तय किया है कि 30 मार्च से एक वक्त के बाद ऑफिसों के कंप्यूटर बंद कर दिए जाएंगे। इससे कर्मचारी सही समय पर घर जा पाएंगे और अपने परिवार के साथ वक्त बिता पाएंगे। सरकार तीन फेज में इस काम को शुरू करेगी, जिसमें पहला फेज 30 मार्च से शुरू होगा।
रात 8 बजे बंद कर दिया जाएगा
पहले फेज में सभी कंप्यूटरों को रात 8 बजे बंद कर दिया जाएगा। अप्रैल में होने वाले अगले फेज में कंप्यूटरों को शाम 7:30 बजे बंद कर दिया जाएगा और फिर मई से शाम 7 बजे के बाद सभी कंप्यूटर को शट डाउन कर दिया जाएगा। ऐसा महीने के हर दूसरे और चौथे शुक्रवार को किया जाएगा। दक्षिण कोरिया दुनिया के कई देशों की तरह ओवरटाइम कल्चर से जूझ रहा है। इस देश में कर्मचार हफ्ते में 68 घंटे काम करते हैं। दक्षिण कोरियाई सरकार ने अब ओवरटाइम को डैमेज कल्चर मानना शुरू कर दिया है।
सरकार ने तय किया है कि
इसलिए सरकार ने तय किया है कि कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए ओवरटाइम को बंद किया जाए। वैसे ओवरटाइम कल्चर से जूझने वाला दक्षिण कोरिया इकलौता देश नहीं है, एशिया के कई देश इस डैमेज कल्चर का हिस्सा हैं। अमेरिका में भी कर्मचारी कई घंटे एक्स्ट्रा काम करते हैं। कई देशों में ओवरटाइम करने से कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। अभी पिछले साल ही एक जापानी रिपोर्टर की मौत की वजह ओवरटाइम मानी गई थी। उसने महीने में 159 घंटे ज्यादा काम किया था। जापान में ओवरटाइम से होने वाली मौतों को 'कारोशी' कहा जाता है।
काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है
आजकल युवाओं को नौकरी में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक आजकल के युवा महीने में इतना काम करते हैं कि वो अपनी छुट्टियां भी नहीं ले पाते। बॉस को खुश करने से लेकर डेडलाइन मीट करने तक, युवाओं पर काम का काफी बोझ होता है। जहां फ्रांस, द नीदरलैंड्स, जर्मनी, न्यूजीलैंड्स जैसे देशों ने अपने यहां काम के घंटे कम किए हैं, वहीं जापान, चीन, साउथ कोरिया, भारत, अमेरिका में अभी भी लोग रोजाना 10 घंटे से ऊपर काम करते हैं।
30 पेड लीव दी जाती है
फ्रांस ने भी अपने यहां वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए बेहतरीन कदम उठाया था। फ्रांस में कर्मचारियों के पास ये हक है कि वो काम के घंटे पूरे होने के बाद ऑफिस के ईमेल का जवाब न दें। इसे फ्रांस में 'राइट टू डिस्कनेक्ट' कहा जाता है। वहीं यूरोपियन यूनियन के अंदर आने वाले देशों में काम के घंटे काफी कम हैं। इन देशों में कर्मचारी हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम करने से साफ इनकार कर सकते हैं। कुवैत में कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने के लिए सभी प्राइवेट कर्मचारियों को साल में 30 पेड लीव दी जाती हैं।