'हमने सबक सीख लिया है', बातचीत के लिए भारत के सामने गिड़गिड़ाए शहबाज शरीफ, सुधर रहा पाकिस्तान?
पाकिस्तान इन दिनों बदहाल आर्थिक हालात से गुजर रहा है और खुद शहबाज शरीफ की सरकार पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी उन्हें संसद में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।
Pakisatn News: इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है, कि 'पाकिस्तान ने अब सबक सीख लिया है।' पिछले साल नवंबर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने पाकिस्तान सरकार के साथ सीजफायर समझौते को तोड़ने का ऐलान किया था और उसके बाद से पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है, जिसने पाकिस्तान की नाक में दम कर दिया है। इन सबके बीच शहबाज शरीफ ने कहा है, कि वो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 'महत्वपूर्ण और ईमानदार' बातचीत करना चाहते हैं।
शहबाज शरीफ ने क्या कहा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है, कि वो कश्मीर से ज्वलंत मुद्दे पर भी भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं। दुबई स्थित अरबी समाचार टेलीविजन चैनल, अल अरबिया को दिए गये इंटरव्यू में शहबाज शरीफ ने कहा है, कि भारत के साथ लड़े गये तीन युद्ध ने पाकिस्तान में 'सिर्फ और सिर्फ अतिरिक्त संकट, गरीबी और बेरोजगारी दी है।' शहबाज शरीफ का ये बयान उस वक्त आया है, जब पाकिस्तान आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और पाकिस्तान के पास सामान खरीदने के लिए कुछ ही हफ्तों का पैसा बचा हुआ है। वहीं, पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स ने कहना शुरू कर दिया है, कि पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे को ठंढे बस्ते में रख देना चाहिए।
भारत से करना चाहते हैं बातचीत
पाकिस्तानी चैनल ने अल अरबिया से बातचीत करते हुए कहा है, कि "भारतीय मैनेजमेंट को लेकर हमारा संदेश यही है, कि हमें डेस्क पर बैठने दें और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दे को हल करने के लिए महत्वपूर्ण और ईमानदार बातचीत करें।" उन्होंने कहा है, कि "हमें एक दूसरे से झगड़े बिना, एक दूसरे के साथ आगे बढ़ना है, ना कि एक दूसरे की संपत्ति को बर्बाद करना है और ना वक्त बर्बाद करना है।" आपको बता दें कि, पिछले हफ्ते पाकिस्तान के दो शीर्ष अखबारों ने पाकिस्तान की नीति की सख्त आलोचना की थी और लिखा था, कि एक तरह जहां भारत लगातार विकास के रास्ते पर अग्रसर है और दुनिया में एक शक्तिशाली देश बनने की तरफ तेजी से बढ़ चला है, वहीं पाकिस्तान को दुनिया के सामने हाथ फैलाना पड़ता है और खैरात मांगकर गुजारा करना पड़ता है।
युद्ध से पाकिस्तान ने सीखा सबक?
पूर्व पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने इंटरव्यू के दौरान कहा, कि "हम तीन-तीन युद्ध लड़कर देख चुके हैं, जिनसे हमें सिर्फ और सिर्फ गरीबी और बेरोजगारी हासिल हुई है। हम इन युद्धों से सबक सीख चुके हैं और अब हम शांति से रहना चाहते हैं, लेकिन शांति रहने के लिए हमें हमारे ज्वलंत मुद्दों को सुलझाना होगा और वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देना होगा।" इसके अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, कि "दोनों देश परमाणु शक्तियां हैं और दोनों के पास हथियारों के भंडार हैं, इसीलिए भगवान ना करें, लेकिन अगर युद्ध छिड़ जाए, तो फिर क्या हुआ होगा, उसे बताने के लिए फिर कौन रहेगा?"
मुश्किल स्थिति में घिरा है पाकिस्तान
शहबाज शरीफ की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब पाकिस्तान आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में वृद्धि, लगातार खराब होती अर्थव्यवस्था और गहराती राजनीतिक अस्थिरता से बुरी तरह प्रभावित है। पाकिस्तान में FDI में 50 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। पाकिस्तान में जुलाई से नवंबर 2022 की अवधि के लिए 430 मिलियन अमरीकी डालर का ही निवेश किया गया है, जबकि 2021 में इसी अवधि के लिए 885 मिलियन अमरीकी डालर दर्ज की गई थी। पाकिस्तान जैसी बड़ी आबादी वाले देश के लिए इतना कम एफडीआई उसकी भयावह स्थिति को दर्शाता है। वहीं, इमरान खान भी लगातार सरकार की मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं और शहबाज शरीफ की सरकार, जो कई पार्टियों के समर्थन से बनी है, उसके पास कड़े फैसले लेने के लिए ना वक्त है और ना ही समर्थन।
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संकट में आ सकती है शहबाज सरकार
वहीं, इमरान खान ने यह कहकर शहबाज शरीफ की धड़कनें बढ़ा दी हैं, कि वो देश की संसद में फिर से आ रहे हैं। इमरान खान ने दावा किया है, कि शहबाज शरीफ को समर्थन देने वाले कई सांसद उनकी पार्टी के संपर्क में हैं। वहीं, पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, जो इमरान खान की ही पीटीआई पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, वो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को नेशनल असेंबली में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं। शहबाज शरीफ, जिनकी सरकार काफी कम मतों से बहुमत पर टिकी है, उसके लिए संसद में फिर से बहुमत साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं, लिहाजा कई छोटी पार्टियां अपने वोट बैंक के लिए सरकार से समर्थन वापस ले सकती हैं।
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