वैज्ञानिकों ने लैब में बनाया इंसानी दिमाग का सेल, AI से तेज सीख रहा वीडियो गेम खेलना
नई दिल्ली, 18 दिसंबर: इंसान को ईश्वर की सबसे बड़ी रचना कहा जाता है। दशकों पहले इंसानों ने अपने जैसे रोबोट बनाने की कोशिश की, जिसमें वो काफी हद तक कामयाब भी रहे, ऐसे में अब उनकी नजर हूबहू इंसान तैयार करने की है। इसके लिए कुछ वैज्ञानिकों ने मिलकर इंसानी दिमाग का सेल तैयार किया, जिसे अब वीडियो गेम खेलना सिखाया जा रहा है।
कॉर्टिकल लैब्स ने बना
न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक लैब में सैकड़ों ह्यूमन ब्रेन सेल तैयार किए गए हैं, जो Retro Classic Pong खेल सकते हैं। साथ ही ये वीडियो गेम में गेंद के स्थान के अनुसार पैडल को आगे और पीछे ले जाएगा। रिपोर्ट में आगे बताया गया कि कॉर्टिकल लैब्स के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने "डिशब्रेन" नामक प्रणाली बनाई, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं शामिल होती हैं। इन्हें माइक्रोइलेक्ट्रोड सरणियों के शीर्ष पर विकसित किया जाता है, जो दोनों कोशिकाओं को उत्तेजित कर सकती हैं।
5 मिनट में सिखाया
वैज्ञानिकों ने केवल पांच मिनट में मस्तिष्क की कोशिकाओं को खेलना सिखा दिया, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तुलना में काफी तेज है। AI को गेम सीखने में 90 मिनट का वक्त लगता है। ब्रेन सेल को ये सिखाने के लिए कि खेल कैसे खेलें, टीम ने Pong के सिंगल प्लेयर वर्जन का इस्तेमाल किया। इसके बाद सेल को ये बताने के लिए कि गेंद कहां है, वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रिक सिंगल्स भेजे।
इस तरह करता है काम
वहीं शोध का नेतृत्व करने वाले कॉर्टिकल लैब्स के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ब्रेट कगन ने कहा कि हमें लगता है उन्हें साइबर दिमाग कहना उचित है। पोंग खेलते समय, न्यूरॉन्स में गतिविधि के पैटर्न मस्तिष्क कोशिकाओं द्वारा निर्धारित किए जाते हैं क्योंकि पैडल बाएं या दाएं चलता है। इन न्यूरॉन्स के कारण, वीडियो गेम के अंदर की आभासी दुनिया उसी के अनुसार प्रतिक्रिया देगी और इलेक्ट्रोड की फीड मिनी-दिमाग को ये सीखने में मदद करती है कि पैडल को कैसे संचालित किया जाए।
ये है खामी
कगन ने आखिर में कहा कि वैसे तो मिनी-दिमाग एआई की तुलना में तेजी से खेल सीख सकता है, लेकिन जब वास्तव में वीडियो गेम खेलने की बात आती है तो वे उतने कुशल नहीं होते हैं। डीपमाइंड जैसे कंप्यूटर के खिलाफ ये सेल्स हार जाएंगे।
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