ओमिक्रॉन वायरस सौ गुना कम जानलेवा, बुरा दौर खत्म! एक पैसा भी डरने की जरूरत नहीं!- रिसर्च
वैज्ञानिकों ने कहा है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट 100 गुना कम जानलेवा है और अब कोरोना महामारी के बुरे दिन खत्म हो चुके हैं।
वॉशिंगटन, जनवरी 08: कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने पूरी दुनिया में खलबली मचा रखी है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि, कोरोना वायरस महामारी का बुरा दौर अब खत्म हो सकता है और कोरोना वायरस किसी मौसमी बीमारी की तरह ही बर्ताव कर सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि, कोरोना वायरस से मृत्युदर अब काफी ज्यादा कम है और ये मृत्युदर उतना ही है, जितना साधारण फ्लू से भी होता है।
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ओमिक्रॉन पर वैज्ञानिकों का दावा
ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि, ओमिक्रॉन किसी साधारण फ्लू से भी कम घातक हो सकता है और कई वैज्ञानिकों का मानना है कि, कोरोना वायरस का बुरा दौर अब खत्म हो चुका है और कई वैज्ञानिकों ने इस बात को सुनिश्चित करते हुए कहा है कि कोरोना वायरस का बुरा दौर पर अब खत्म हो चुका है और धीरे धीरे कोरोना वायरस प्राकृतिक सर्दी जैसे वायरस में बदल जाएगा। वैज्ञानिकों ने कहा है कि, कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी का विकास हो रहा था, चाहे वो एंटीबॉडी वैक्सीन से आ रही थी या फिर प्राकृतिक तरीके से, लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट की इतनी तेज रफ्तार है, कि इसने ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करना और उनके शरीर में एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है।
मृत्युदर में काफी ज्यादा गिरावट
ब्रिटिश अखबर मेल ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जनवरी महीने में जब डेल्टा वेरिएंट फैला हुआ था, उस वक्त हर 33 कोविड पॉजिटिव मरीजों में से एक मरीज की मौत हो जा रही थी, लेकिन अब 670 कोविड पॉजिटिव मरीजों में से एक की मौत हो रही है और विशेषज्ञों का मानना है कि, ये आंकड़ा और भी ज्यादा कम होगा और कोविड से मृत्यु दर, मौसमी इन्फ्लूएंजा के समान हो जाएगी और इससे मृत्युदर का अनुपात 0.1 है, यानि एक हजार मरीजों में से एक की मौत। लिहाजा, वैज्ञानिकों का कहना है कि, अब कोविड से डरने की जरूरत नहीं, सिर्फ सावधान रहने की जरूरत है।
ओमिक्रॉन कितना घातक है?
वहीं, ओमिक्रॉन को लेकर ब्रिटेन के एक पूर्व सरकारी सलाहकार ने कहा कि, ओमिक्रॉन को लेकर जो ट्रेंड दिख रहा है, ऐसे में हमें सवाल पूछने चाहिए कि, अभी जो हम गाइलाइंस बना रहे हैं, क्या ऐसे गाइडलाइंस में किसी सामान्य फ्लू में बनाते हैं? हालांकि, एक और विशेषज्ञ का कहना है कि, कोरोनावायरस फ्लू की तुलना में बहुत अधिक संक्रमण फैलाता है, जिसका अर्थ है कि यह अनिवार्य रूप से अधिक मौतों का कारण बनेगा।हालांकि, इस बीच, वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने महामारी के अगले चरण की मॉडलिंग करते हुए उम्मीद जताई है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट से डेल्टा की तुलना में 99 प्रतिशत कम लोगों की मौत होगी और ओमिक्रॉन वेरिएंट कम घातक है।
महामारी के बुरे दिन हुए खत्म?
ऑस्ट्रेलिया में वोलोंगोंग विश्वविद्यालय के एक महामारी वैज्ञानिक गिदोन मेयरोवित्ज़-काट्ज़ ने मेलऑनलाइन को बताया कि, उनका 'सबसे अच्छा अनुमान' यह था कि ट्रिपल-जेब वाले लोगों को ओमिक्रोन से उतना ही जोखिम है जितना कि फ्लू से रहता हैं।' ' लेकिन वैज्ञानिकों ने आज अनुमानों के आधार पर बड़ी संभावना जताते हुए कहा कि, महामारी के सबसे बुरे दिन खत्म हो गए हैं और ब्रिटेन को अब देश में सामा्य स्थितियों को लागू कर देना चाहिए। प्रोफेसर रॉबर्ट डिंगवाल, जेसीवीआई के एक पूर्व सदस्य और नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के विशेषज्ञ, ने मेलऑनलाइन को बताया कि, निश्चित तौर पर ओमिक्रॉन को लेकर मृत्युदर का आखिरी आंकड़े आने में कुछ दिन और लगेंगे, लेकिन निष्कर्ष यही है, कि ये काफी कम घातक है और 'हम पूछ रहे हैं कि क्या हम कोई भी उपाय करने में उचित हैं जो हम खराब फ्लू के मौसम के लिए नहीं लाएंगे '।
क्या ओमिक्रॉन पर 'झूठ' बोला गया?
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ जिन्होंने दावा किया था कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 97 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक कम मौतों का कारण बनेगा, उन्होंने कगा कि, उन्होंने जो ओमिक्रॉन को लेकर भविष्यवाणी की थी, वो आशावादी था, लेकिन ब्रिटेन में ऐसा नहीं माना गया। आपको बता दें कि, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश में लॉकडाउन लगाने की बात कहते हुए कहा था कि, इस सर्दी में देश में ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से हर दिन 6 हजार से ज्यादा लोगों की मौत होगी, लेकिन डूम्सडे प्रोजेक्शन का कहना है कि, 'काल्पनिक' डर को फैलाया गया है।
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