FATF: पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग पर चीन के बाद तुर्की और सऊदी का मिला साथ, अमेरिका को लगा झटका
कराची। अमेरिका जहां एक तरफ पाकिस्तान को टेरर फंडिंग देश में शामिल करने की योजना बना रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ सऊदी अरब, तुर्की और चीन अपने मित्र देश के समर्थन में उतर आए हैं। अमेरिकी न्यूजपेपर द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, पाकिस्तान को टेरर फंडिंग देश की लिस्ट में शामिल करने से पहले अमेरिकी कोशिशों को झटका लगा है। चीन शुरू से ही पाकिस्तान के पक्षधर रहा है, लेकिन अमेरिका के लिए हैरान करने वाला सऊदी अरब और तुर्की के रवैये को लेकर रहा।
अमेरिका ने पैरिस में फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग से पहले कई देशों पर पाकिस्तान को टेरर फंडिंग में शामिल करने से पहले ही दबाव डाला था। वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, अमेरिका ने इस मामले में पाकिस्तान के खिलाफ वोट डालने के लिए सऊदी अरब पर भी दबाव डाला था। हालांकि, यह पहली बार देखा गया है, जब सऊदी अरब और अमेरिका के बीच किसी बड़े मुद्दे पर आपसी सहमती नहीं बनी हो।
टेरर फंडिंग को रोकने के लिए अमेरिका ने इस्लामाबाद के खिलाफ एक्शन लेने के लिए अपनी बात टेबल पर रखी थी। इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान को कई बार लताड़ मिली है। इसी साल 1 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सैन्य मदद रोकने की धमकी दी थी। पाकिस्तान अपने सहयोगी और मित्र देशों से बात कर चुका है कि उन्हें टेरर फंडिंग देश की लिस्ट में शामिल नही किया जाए।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को अपने मित्र देशों का धन्यवाद दिया, जिन्होंने अमेरिका की पहल के खिलाफ वोट किया है। अमेरिका का आरोप है कि पाकिस्तान ने अपने देश में आतंकवाद को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं, वहीं, पाकिस्तान ने इन आरापों का खंडन किया है। FATF एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विभिन्न देशों के बीच मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे मामलों को देखता है।