'...तो तालिबान जल्द खो देगा अपनी शक्ति', रूसी राजनयिक ने अफगानिस्तान के भविष्य पर जताई चिंता
कट्टर इस्लामिक आतंकवादी संगठन तालिबान ने इसी साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा किया था और उसके बाद से ही अफगानिस्तान में अराजकता का माहौल है।
मॉस्को, दिसंबर 17: अफगानिस्तान में तालिबान के शासन पर रूसी राजनयिक की टिप्पणी तालिबान के नेताओं को परेशान करने वाली है। एक रूसी राजनयिक ने शुक्रवार को कहा है कि, अगर तालिबान के नेता, अफगान शांति वार्ता के दौरान किए गए वादे के अनुसार एक समावेशी सरकार का गठन नहीं करते हैं, तो वे अफगानिस्तान में सत्ता खोने का जोखिम उठाएंगे।
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रूसी राजनयिक की चेतावनी
रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में क्रेमलिन के दूत जमीर काबुलोव ने कहा कि, सुन्नी पश्तून समूह को सत्ता में हर वर्ग को हिस्सेदारी देनी चाहिए और एक ऐसी सरकार का गठन करना चाहिए, जिसमें अफगानिस्तान के हर जाति, हर मजहब और हर वर्ग के लोग शामिल हों और तालिबान को ऐसी सरकार बनाने के अपने वादे पर खरा उतरना चाहिए, नहीं तो उसके लिए अफगानिस्तान में सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा और तालिबान अपनी शक्ति खो सकता है। हालांकि, रूसी अधिकारी ने कहा है कि, ये कोई अल्टीमेटम नहीं है।
समावेशी सरकार की जरूरत
अफगानिस्तान में रूस के राजदूत काबुलोव ने कहा कि, "अफगानिस्तान में जातीय राजनीतिक समावेश की जरूरत है। अगर वे इसी तरह काम करते रहे, तो निकट भविष्य में वे सत्ता खो सकते हैं। उन्हें समावेशन सुनिश्चित करना होगा। वैसे, हम इसे बिना अल्टीमेटम के शांति से कहते हैं, कि ऐसी सरकार का गठन किया जाए और उन्हें ऐसा करना होगा''। आपको बता दें कि, पिछले दिनों तालिबान ने सितंबर में मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा की थी और जोर देकर कहा कि सुन्नी पश्तून समूह ने एक समावेशी सरकार का विकल्प चुना है। लेकिन करीब से देखने पर पता चला कि, सरकार पर तालिबान अधिकारियों का वर्चस्व बना हुआ है, जिसमें हक्कानी नेटवर्क के सदस्य भी शामिल हैं। जातीय अल्पसंख्यकों को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया है और जो भी लोग सरकार में शामिल किए गये, वो सभी अज्ञात चेहते हैं। इसके साथ ही तालिबान ने कैबिनेट में एक भी महिला को शामिल नहीं किया है।
तालिबान पर अंतर्राष्ट्रीय प्रेशर
कट्टर इस्लामिक आतंकवादी संगठन तालिबान ने इसी साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा किया था और उसके बाद से ही अफगानिस्तान में अराजकता का माहौल है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साफ कर दिया गया है, कि अगर तालिबान एक समावेशी सरकार का गठन नहीं करता है, तो फिर उसे मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही वैश्विक समूह की तरफ से कहा गया है कि, तालिबान को हर हालत में मानवाधिकार का सम्मान करना ही होगा और महिलाओं के खिलाफ लगाई गई पाबंदियों को हटाना होगा, उसके बाद ही तालिबान को मान्यता देने के बारे में सोचा जा सकता है।
रूस की तालिबान को चेतावनी
अफगानिस्तान में रूस के दूत काबुलोव ने कहा कि, अगर तालिबान ने ऐसी सरकार का गठन करने के साथ साथ मानवाधिकार और महिलाओं का सम्मान करना शुरू कर दिया, तो फिर अफगानिस्तान की संपत्ति भी जारी कर दी जाएगी। रूसे ने कहा कि, अफगानिस्तान एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है और तालिबान के पास सरकार चलाने के लिए फंड नहीं हैं, ऐसे में उसके पास देश में समावेशी सरकार बनाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता है। वहीं, रूस की तरफ से कहा गया है कि, पश्चिमी देशों को अफगानिस्तान में होने वाले खर्च का वहन करना चाहिए। यह पूछा जाने पर, कि क्या रूस युद्धग्रस्त देश चलाने के लिए तालिबान को लोन देगा, इसपर रूसी राजनयित ने कहा कि, ''हां निश्चित तौक पर अगर रूसी राष्ट्रपति पुतिन इसके बारे में कोई फैसला करते हैं''।
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