यूक्रेन के सबसे खास बंदरगाह से छूटा रूस का कब्जा, भागे पुतिन के सैनिक, दुनिया ने ली राहत की सांस
रूसी सेना ने रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे काला सागर के स्नेक आइलैंड पर को छोड़ दिया है। यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि उसने इस आइलैंड से रूसी सैनिकों को खदेड़ दिया है।
कीव, 30 जून: रूसी सेना ने रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे काला सागर के स्नेक आइलैंड पर को छोड़ दिया है। यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि उसने इस आइलैंड से रूसी सैनिकों को खदेड़ दिया है। हालांकि रूस ने इस दावे को गलत बताते हुए कहा है कि उसने नेकदिल दिखाते हुए इस आइलैंड को छोड़ा है।
रूस ने शुरुआत में जमाया था कब्जा
रूस ने युद्ध की शुरुआत में ही इस द्वीप पर कब्जा जमा लिया था। यूक्रेन ने कहा है कि बड़े पैमाने पर चले प्रयास के बाद रूसी सेना को खदेड़ने में हमारे सैनिकों को सफलता हासिल हो गई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने ट्वीट किया है कि स्नेक द्वीप पर अब कोई भी रूसी सैनिक नहीं बचा है। हमारे सशस्त्र बलों ने वाकई बहुत अच्छा काम किया है।
रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
स्नेक आइलैंड काला सागर में स्थित यूक्रेन का महत्वपूर्ण रणनीतिक सैन्य अड्डा है। जानकारों का मानना है कि यह आइलैंड रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, इससे रूस के हटने का मतलब है कि अब यूक्रेन के बंदरगाहों पर रूस की नाकाबंदी ढ़ीली पड़ चुकी है। इस बंदरगाह पर रूस के कब्जे के बाद यूक्रेन की अनाज आपूर्ति रूक गयी थी। इसके साथ ही काला सागर के रास्ते यूक्रेनी जमीन पर रूसी हमले की संभावना काफी कम हो जाएगी।
रूस ने कहा- हमने नेकदिल दिखाया
वहीं, इधर रूस का दावा है कि उसने नेकदिल दिखाते हुए स्नेक आइलैंड पर से कब्जा छोड़ा है। हालांकि, दोनों ही देशों के दावों की स्वतंत्र तौर पर अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। इसके बावजूद पश्चिम समर्थिक कई सैन्य जानकारों ने स्नेक आइलैंड से उठते धुएं को दिखाते हुए दावा किया है कि यूक्रेनी हमले के बाद रूस को पीछे हटना पड़ा है।
नाटो समेत सभी देशों का दिया धन्यवाद
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के कमांडर वालेरी जालुज्नी ने दावा किया है कि स्नेक आइलैंड से रूसी सेना को भगाने में स्वदेशी बोहदाना हॉवित्जर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने नाटो समेत सभी पश्चिमी देशों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया है। यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उनकी सेना ने यूक्रेनी सैनिकों को दो स्पीड बोट पर सवार होकर भागने को मजबूर कर दिया था। अब ऐसा माना जा रहा है कि स्नेक आइलैंड पर रूसी कब्जे के हटने के बाद यह ओडेसा से यूक्रेनी अनाज निर्यात का दरवाजा खोल सकता है, जो कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा धुआं
वहीं, रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने अपने निर्धारित काम को पूरा कर लिया है। इस कारण वह यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों से अनाज निर्यात की अनुमति देने के लिए पीछे हट रहा है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी में हुए संयुक्त समझौतों के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में मानवीय अनाज निर्यात गलियारा बनाने के लिए रूसी संघ ने स्नेक आइलैंड से अपना पोजीशन छोड़ना का फैसला किया है। हालांकि, सैटेलाइट तस्वीरों में स्नेक आइलैंड से उठते धुएं को देखते हुए रूस के भी बयान को संदिग्ध माना जा रहा है।
फरवरी में प्रसिद्ध हुआ था यह द्वीप
स्नेक आइलैंड तब प्रसिद्ध हुआ था जब रूस ने पहली बार फरवरी में इस पर कब्जा किया था। तब द्वीप पर तैनात एक यूक्रेनी सैनिक ने रूस के प्रमुख क्रूजर मास्कोवा के आत्मसमर्पन करने की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए बकवास न करने की बात कही थी। इस सैनिक का बयान आक्रमण के बाद से प्रतिरोध के सबसे लोकप्रिय यूक्रेनी नारों में से एक बन गया। यूक्रेनी गार्ड के सम्मान में यूक्रेनी डाक सेवा ने एक डाक टिकट भी जारी किया था, जिसमें एक यूक्रेनी सैनिक को रूसी क्रूजर मोस्कवा को उंगली देते हुए दिखाया गया है।
बंदरगाह पर रूसी नाकेबंदी से बढ़ी कीमतें
रूसी सेना के यूक्रेन के काला सागर बंदरगाहों की नाकेबंदी से अनाज की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे कई देशों में अकाल का खतरा है। यूक्रेन के सैन्य ख़ुफ़िया विभाग के प्रमुख काइरिलो बुडानोव ने मई में कहा था कि यह द्वीप रूस और यूक्रेन दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिसने भी स्नेक आइलैंड को नियंत्रित किया, वह दक्षिणी यूक्रेन की भूमि और कुछ हद तक वायु सुरक्षा को नियंत्रित कर लेगा। उन्होंने उस समय कहा था कि यूक्रेन का मानना है कि रूस पश्चिमी यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने के लिए द्वीप का उपयोग कर सकता है और मोल्दोवा के ट्रांसनिस्ट्रिया क्षेत्र में सेना भेज सकता है, जहां मास्को में पहले से ही सैनिक तैनात हैं।
भारत ने पूरी दुनिया के चावल बाजारों में दबदबा कैसे कायम किया है?