भारत में लोगों का न्यूज पर विश्वास और बढ़ा, सर्वे में गिरा अमेरिका, सबसे भरोसेमंद पत्रकारिता किसकी? जानिए
न्यूज में लोगों के विश्वास को लेकर ये निष्कर्ष रॉयटर्स इंस्टीट्यूट डिजिटल न्यूज रिपोर्ट 2022 में शामिल हैं, जिसे रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म द्वारा कमीशन किया गया था
सिंगापुर, जून 20: भले ही भारत में मीडिया और पत्रकारिता की काफी आलोचना हो रही हो और पत्रकारों पर खेमेबाजी के आरोप लगते रहे हों, लेकिन रॉयटर्स की सर्वे में भारत को लेकर आश्चर्यजनक खुलासा हुआ है। सर्वे में पता चला है कि, एक तरह पूरी दुनिया में न्यूज के ऊपर से लोगों का भरोसा घटा है, तो भारत उन चंद देशों में शामिल है, जहां पर न्यूज में लोगों का विश्वास और ज्यादा बढ़ ही गया है।
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट ने किया सर्वे
पिछले हफ्ते, रॉयटर्स इंस्टीट्यूट ने अपनी डिजिटल समाचार रिपोर्ट का ग्यारहवां संस्करण जारी किया है, जिसमें पता चला है कि, पूरी दुनिया में समाचार खपत में वृद्धि और सोशळ मीडिया द्वापा समाचार रिपोर्टों पर विश्वास में भारी गिरावट आई है और न्यूज से भरोसे का उठना लोगों की आम प्रवृति बनती जा रही है। लेकिन, भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जहां हजारों न्यूज वेबसाइट और खबरों के स्रोत हैं, वहां समाचार के प्रति लोगों का विश्वास और बढ़ ही गया है।
भारत में समाचार के प्रति विश्वास बढ़ा
भारत उन सात देशों में से एक है, जहां समाचार के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ा है। भारत में ये बढ़ोतरी 3 प्रतिशत की हुई है और अब 41 प्रतिशत लोगों को समाचार में ज्यादा विश्वास है। वहीं, फ़िनलैंड में समाचार के प्रति लोगों का विश्वास पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा 69 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में समाचार के प्रति विश्वास में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है और सर्वेक्षण में सबसे कम प्रतिशत अमेरिका को ही मिले हैं, जहां सिर्फ 26 प्रतिशत लोगों को ही समाचार पर विश्वास है। वहीं, सर्वे में ये बात भी पता चली है, कि पूरी दुनिया में समाचारों में विश्वास आज भी COVID से पहले की तुलना में ज्यादा और साल 2015 की तुलना में तुलना में कम है।
किस तरह से किया गया है सर्वेक्षण?
न्यूज में लोगों के विश्वास को लेकर ये निष्कर्ष रॉयटर्स इंस्टीट्यूट डिजिटल न्यूज रिपोर्ट 2022 में शामिल हैं, जिसे रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म द्वारा कमीशन किया गया था, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग का हिस्सा है। यह रिपोर्ट समझने में मदद करने के लिए है, कि विभिन्न देशों में समाचारों का उपभोग कैसे किया जा रहा है। YouGov द्वारा जनवरी के अंत और फरवरी 2022 की शुरुआत में एक ऑनलाइन प्रश्नावली का उपयोग करके इसपर रिसर्च किया गया है और फिर रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इस सर्वे में एशिया में 11, दक्षिण अमेरिका में पांच, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में तीन और यूरोप में 24 सहित कुल 46 देशों का सर्वेक्षण किया गया है, जो दुनिया की आधी से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक देश में 2,000 से अधिक लोगों से सवाल-जवाब किए गये हैं। लेखकों ने हालांकि आगाह किया है कि, चूंकि सर्वेक्षण ऑनलाइन आयोजित किया गया था, इसलिए यह उन लोगों की समाचार खपत की आदतों का कम प्रतिनिधित्व कर सकता है जो अधिक उम्र के और कम संपन्न हैं।
समाचार से नकारात्मक प्रभाव
इस स्टडी में एक और बेहद दिलचस्प बात का पता चला है। स्टडी में पता चला है कि, लोगों में सलेक्टिव न्यूज पढ़ने या फिर उन्हें नहीं पढ़ने में वृद्धि हुई है। जिसके परिणामस्वरूप कई देशों में लोग समाचार से तेजी से डिस्कनेक्ट हो रहे हैं। न्यूज पढ़ना बंद करने वाले लोगों का कहना है कि, समाचारों में बहुत अधिक राजनीति और कोविड-19 की खबरें भरी रहती हैं, और ये समाचार उनके मूड पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। रिपोर्ट की प्रस्तावना में रॉयटर्स इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर रासमस क्लेस नीलसन ने कहा कि, 'बड़े अंतर के बाद भी इंडिपेंडेंट जर्मलिज्म को लेकर व्यक्तिगत अनुभल से परे दुनिया को समधने में मदद कर सकती है। हमने पूरी दुनिया में समाचारों के प्रति लोगों की घटती रूची और कम विश्वास को देखा है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है और न्यूज कम देखने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।' उन्होंने कहा कि, 'बड़ी संख्या में लोग मीडिया को अनुचित राजनीतिक प्रभाव के अधीन देखते हैं, और केवल एक छोटे से वर्ग का मानना है कि अधिकांश समाचार संगठन अपने स्वयं के व्यावसायिक हित के आगे समाज के लिए सबसे अच्छा है।"
युवा लोगों में न्यूज को लेकर कम रूचि
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 30 वर्ष से कम उम्र के लोग सीधे समाचार मीडिया से जुड़ने में बहुत कम रुचि रखते हैं और पत्रकारिता को कैसा दिखना चाहिए, इस पर अलग-अलग विचार हैं। वहीं, अब ज्यादातर लोगों के पास न्यूज जानने के लिए कई और विकल्प आ गये हैं, जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स या फिर मोबाइल एग्रीगेटर। वहीं, कई देशों में 30 साल से कम उम्र के युवाओं के बीच टिकटॉक काफी ज्यादा घर कर गया है और ये आंकड़ा 40 प्रतिशत तक जा पहुंचा है और उनमें से 15 प्रतिशत समाचार के लिए इस सामाजिक मंच का उपयोग करते हैं। वहीं, अन्य प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम और यूट्यूब भी इस समूह के भीतर समाचारों तक पहुंचने के लिए अधिक लोकप्रिय हो गए हैं, जबकि फेसबुक के जरिए भी लोग न्यूज तक पहुंच रहे हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म निकले आगे
सर्वेक्षण में मीडिया के अलग अलग प्लेटफॉर्म के बीच जब रिसर्च किया गया, तो पता चला कि, पहली बार सोशल मीडिया के जरिए लोगों की न्यूज तक पहुंच और न्यूज आउटलेट के जरिए न्यूज तक पहुंच से ज्यादा हो चुका है। अब 28 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया के जरिए न्यूज प्लेटफॉर्म तक पहुंच रहे हैं, जबकि सीधे न्यूज प्लेटफॉर्म तक सिर्फ 23 प्रतिशत लोग ही पहुंच रहे हैं और ये 2018 की तुलना में 9 प्रतिशत कम है। यानि, पिछले 4 सालों में लोगों की डायरेक्ट न्यूज तक पहुंचना 9 प्रतिशत कम हो गया है।
भारत में सर्वेक्षण में चौंकाने वाली बातें
भारत में किए गये सर्वेक्षण में पता चला है कि, भारत में समाचार तक पहुंचने के लिए 53 प्रतिशत लोगों ने यूट्यूब का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। और 51 प्रतिशत समाचार तक पहुंचने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं। सर्वेक्षण में 12 प्रमुख देशों को शामिल करने वाले विश्लेषण में, फेसबुक समाचार (30 प्रतिशत) के लिए सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्क बना हुआ है, इसके बाद YouTube (19 प्रतिशत) और व्हाट्सएप (15 प्रतिशत) का स्थान है। समाचारों तक पहुंचने के माध्यम के रूप में फेसबुक की लोकप्रियता में 2016 के बाद से 12 प्रतिशत की गिरावट आई है। अपेक्षाकृत ज्यादा युवा आबादी वाला भारत भी एक मजबूत मोबाइल-केंद्रित बाजार बन चुका है, जहां स्मार्टफोन के माध्यम से अब 72 प्रतिशत लोग न्यूज तक पहुंच रहे हैं, जबकि कंप्यूटर के माध्यम से केवल 35 प्रतिशत लोग न्यूज तक पहुंच रहे हैं। वहीं, न्यूज एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म और ऐप जैसे गूगल न्यूज (53 फीसदी), डेली हंट (25 फीसदी), इनशॉर्ट्स (19 फीसदी), और न्यूजपॉइंट (17 फीसदी) समाचारों तक पहुंचने के महत्वपूर्ण तरीके बन गए हैं।
भारत में किस माध्यम से न्यूज देखते लोग?
भारत में किए गये सर्वे में पता चला है कि, जिन लोगों ने सर्वे में भाग लिया था, उनमें से 84 प्रतिशत लोग न्यूज को ऑनलाइन ही देखते हैं। वहीं, सर्वे स्टडी में पता चला है कि, अब भारत में 63 प्रतिशत लोग समाचार सोशल मीडिया नेटवर्क के जरिए देखते हैं, लेकिन अभी भी 59 प्रतिशत लोग समाचार के लिए टेलीविजन का ही उपयोग करते हैं, जबकि 49 प्रतिशत लोग समाचार के लिए प्रिंट मीडियम का इस्तेमाल करते हैं।
भारत में सबसे भरोसेमंद ब्रांड कौन?
सार्वजनिक प्रसारकों में डीडी न्यूज और ऑल इंडिया सबसे भरोसेमंद ब्रांड हैं। तो प्राइवेट में टाइम्स ऑफ इंडिया, इकोनॉमिक टाइम्स और हिंदुस्तान टाइम्स की लीगेसी कायम है और इन सभी ब्रांडों को मिला दिया जाए, तो न्यूज में विश्वास बढ़कर 41 प्रतिशत हो जाता है। सर्वे तैयार करने और उसका विश्लेषण करने वाले विश्लेषकों के मुताबिक, 'व्यापक डेटा इस बात की पुष्टि करते हैं, कि पिछले कुछ सालों में मीडिया की संरचना में भी बदलाव आया है और पत्रकारिता काफी तेज हो गई है। वहीं, इसके व्यापार मॉडल और पत्रकारिता के स्वरूप ने भी काफी प्रभाव डाला है।'