बदले की भावना के साथ शीत युद्ध की वापसी: संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि "शीतयुद्ध बदले की भावना के साथ वापस आ गया है."
गुटेरेस ने सीरिया को लेकर तनाव बढ़ने से होने वाले ख़तरे के बारे में चेतावनी भी दी.
सीरिया के डूमा में कथित तौर पर रसायनिक हथियार के इस्तेमाल के विरोध में अमरीका और उसके मित्र देश सीरिया पर मिसाइल हमले के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि "शीतयुद्ध बदले की भावना के साथ वापस आ गया है."
गुटेरेस ने सीरिया को लेकर तनाव बढ़ने से होने वाले ख़तरे के बारे में चेतावनी भी दी.
सीरिया के डूमा में कथित तौर पर रसायनिक हथियार के इस्तेमाल के विरोध में अमरीका और उसके मित्र देश सीरिया पर मिसाइल हमले के बारे में चर्चा कर रहे हैं. उनका कहना है कि इसके लिए सीरिया सरकार को समर्थन और सैन्य सहायता दे रहा रूस ज़िम्मेदार है. इधर रूस का कहना है कि अमरीकी कार्यवाई का परिणाम युद्ध हो सकता है.
रूस के रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने ब्रिटेन पर इस हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है. ब्रिटेन ने इसे "भद्दा और सफ़ेद झूठ" कहा है और सिरे से ख़ारिज कर दिया है.
द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना की जीत के बाद एक लंबे वक्त तक अमरीका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध चला. लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में रूस ही है.
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क्या कहा एंटोनियो गुटेरेस ने?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक विशेष बैठक में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ये बात कही. ये बैठक रूस द्वारा बुलाई गई थी.
उन्होंने कहा, "शीतयुद्ध अपने विकराल रूप में वापस आ गया है, लेकिन इस बार ये अलग है. तनाव को कम करने के लिए जो प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय पहले थे ऐसा नहीं लगता वो अब मौजूद हैं."
उन्होंने कहा कि "हालात भयावह हैं और देश ज़िम्मेदारी से इसके निपटने की कोशिश करें."
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रूस का आरोप
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सीरिया में हुए कथित रसायनिक हमले के पीछे विदेशी तत्वों के हाथ होने की बात कही है. उन्होंने इसका आरोप ब्रिटेन पर लगाया.
सीरियाई सरकार को सैन्य सहायता देने के लिए रूस ने अपनी सेना वहां भेज रखी है. लावरोव ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पश्चिमी देश हवाई हमले करते हैं तो युद्ध शुरू हो सकता है.
शुक्रवार को एक प्रेस सम्मेलन के दौरान लावरोव ने कहा कि उनके पास कुछ ऐसे सबूत हैं जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि रूस को बदनाम करने के लिए एक दूसरे देश ने ये सारी योजना बनाई.
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रूस के रक्षा मंत्रालय के एक अन्य प्रवक्ता जनरल इगोर कोनाशेंकोव ने कहा कि हमारे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं जिससे ये साबित हो जाता है कि ब्रिटेन ने ही इसमें आग में घी डालने का काम किया है.
वहीं रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के हवाले से संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के दूत ने इन सारी बातों को सरासर झूठ बताया है.
अमरीका ने कहा है कि वो लगातार इस पूरे मामले पर नज़र बनाए हुए है और अपने सहयोगियों के संपर्क में भी है कि इस पूरे मामले पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है.
रासायनिक हथियारों पर नज़र रखने वाले संगठन (ऑर्गनाइज़ेशन फ़ॉर द प्रोहिबिशन ऑफ़ केमिकल वीपन्स यानी ओपीसीडब्ल्यू) का एक दल शनिवार को सीरिया के डूमा शहर के गूटा क्षेत्र में पहुंचेगा.
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रासायनिक हमले के वहां क्या सबूत हैं?
राष्ट्रपति बशर-अल-असद सरकार लगातार कथित रासायनिक हमले से इनकार कर रही है. इस सरकार को रूस का समर्थन हासिल है. उसका आरोप है कि विद्रोहियों ने रिपोर्टों को गढ़ा है और डूमा पर सरकार के कब्ज़े को रोकने की नाक़ाम कोशिश की है.
अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लघंन के बारे में जानकारी इकट्ठा करने वाले संगठन वॉयलेशन डॉक्युमेंटेशन सेंटर (वीडीसी) के कार्यकर्ताओं ने सीरिया में कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के उल्लघंन के मामले दर्ज किए हैं. उनका कहना है कि लोगों के मुंह से झाग निकल रहा था, उनकी चमड़ी का रंग बदल गया था और आंखों में जलन थी.
गुरुवार को एक अमरीकी अधिकारी ने एनबीसी न्यूज़ को बताया कि उन्होंने पीड़ितों के खून और मूत्र के नमूने की जांच कराई थी जिनमें क्लोरीन और नर्व एजेंट पाया गया है.
अमरीका और फ्रांस का कहना है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि ये हमला सीरिया ने करवाया है.
संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन फ़िलहाल वो सिर्फ़ अपने आगामी कदम पर ध्यान दे रहे हैं.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि उनके पास भी इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सीरियाई सरकार ने ही डूमा शहर पर रसायनिक हमला किया, लेकिन वो फ़िलहाल इससे ज़्यादा कोई जानकारी नहीं देंगे.
संयुक्त राष्ट्र की पिछले साल की एक रिपोर्ट में पाया गया था कि ख़ान शेख़ाउन कस्बे में हुए रासायनिक हमले के पीछे सीरियाई सरकार का हाथ था. इसमें 80 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
इस हमले के बाद अमरीकी क्रूज़ मिसाइलों ने सीरियाई एयरबेस पर हमले किए थे.
क्या है पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया?
ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री मानते हैं हाल में हुए इन कथित रासायनिक हमलों के लिए बशर-अल-असद सरकार ज़िम्मेदार है.
बीते गुरुवार ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच फ़ोन पर बात हुई. मे के अधिकारियों ने बताया कि दोनों ही नेता मिलकर इस मामले पर आगे बढ़ेंगे.
वहीं डोनल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इन कथित हमलों की ज़िम्मेदारी लेने को कहा है.
युद्ध को लेकर क्या है रूस का रुख़?
संयुक्त राष्ट्र के लिए रूसी दूत वासिली नेबेंज़िया ने चेतावनी दी है कि अगर अमरीका सीरिया पर हमला करता है तो इससे रूस और अमरीका के बीच युद्ध के हालात बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि वो किसी भी तरह की संभावना से इनकार नहीं करते.
नेबेंज़िया ने अमरीका और उसके मित्र देशों पर आरोप लगाया कि वो अपनी आक्रामक नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति को ख़तरे में डाल रहे हैं. उन्होंने मौजूदा स्थिति को 'बहुत ख़तरनाक' बताया.
छह सप्ताह के भारी हमले के बीच पूर्वी गूटा में अब तक क़रीब 1700 आम नागरिक मारे जा चुके हैं और विद्रोही इलाक़ा छोड़कर जा रहे हैं.