एक शानदार वक्ता महिलाओं पर होते अत्याचार पर चुप क्यों- न्यूयॉर्क टाइम्स
नई दिल्ली। कठुआ और उन्नाव रेप कांड की घटना ने दुनियाभर के मीडिया में सुर्खियां बटोरी हैं। अमेरिका में सरकार का सबसे बड़ा आलोचक न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूजपेपर ने भारत में बढ़ते महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर अपने एडिटोरियल पेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर आलोचना की है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत में होते महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार पर पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर सवाल खड़े किए हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि पीएम मोदी जो अक्सर ट्वीट करते हैं और अपने आप एक शानदार वक्ता के रूप में पेश करते हैं, लेकिन उनकी आवाज तब कहां जाती है, जब राष्ट्रवादी और उन्हीं की पार्टी से जुड़े सांप्रदायिक लोग महिलाओं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का विधायक एक लड़की का बलात्कार कर लेता है। जब पीड़िता कहती है कि विधायक ने उसके साथ पिछले गर्मियों में रेप किया था और पुलिस आरोपी के खिलाफ कुछ करने के बजाय पीड़िता के पिता को ही हिरासत में ले लेती है, जिसके बाद जेल में ही उसकी मौत हो जाती है। लेकिन, पीएम मोदी एक विधायक के खिलाफ बोलने के लिए हिचक रहे हैं।
जम्मू कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम के साथ हुए रेप और उसकी हत्या पर भी न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में लिखा कि इस घटना पर एक सप्ताह तक भारत की सड़कों पर लोगों का गुस्सा देखा गया और दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर में उन्हीं के गठबंधन सरकार के मंत्री आरोपी को बचाने के लिए निकल आए, लेकिन पीएम मोदी ने अपनी चुप्पी बरकरार रखी। न्यूजपेपर ने लिखा कि एक सप्ताह के बाद जब पीएम मोदी ने इन मामलों को देश के लिए शर्म बताते हुए, "हमारी बेटियों को निश्चित रूप से न्याय मिलेगा'' कहा, तो ये एक खोखली टिप्पणी से ज्यादा कुछ नहीं है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में मोदी की चुप्पी को हैरान करने वाली और चिंताजनक बताया है। उन्होंने लिखा कि पीएम मोदी अपने पूर्ववर्तियों से सबक सीखने में नाकाम रहे हैं, जिन्होंने नई दिल्ली में पब्लिक बस में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या के बाद 2012 के अंत में और 2013 की शुरुआत में विरोध प्रदर्शनों पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, पीएम मोदी ने अपने 'मौन' का प्रदर्शन कर उन सभी को निराश किया है जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की परवाह करते हैं।