मतुआ समुदाय से ‘मन की बात’ करके पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दे दिया है?
पीएम मोदी ने बांग्लादेश दौरे के दौरान मतुआ समुदाय के लोगों से मुलाकात की और माना जा रहा है कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश से ममता बनर्जी को बड़ा चुनावी झटका दे दिया है।
ढाका: बांग्लादेश की आजादी के मौके पर बांग्लादेश दौरे पर गये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां मतुआ समुदाय से अपने दिल की बात क्या की, भारत में सवाल उठने लगे कि क्या पीएम मोदी ने बांग्लादेश से बंगाल चुनाव के लिए कैम्पेनिंग कर लिया है। शनिवार को बांग्लादेश में पीएम मोदी ने कहा कि नई दिल्ली ढाका के साथ हर समय मजबूती से खड़ा रहेगी और हरसंभव मदद करेगी। इसके साथ ही उन्होंने मतुआ समुदाय को भी संबोधित किया।
मतुआ समुदाय के बीच मोदी
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार ओराकांडी के मतुआ समुदाय के मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा अर्चना की है। ओराकांडी में ही मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिशचंद्र ठाकुर का जन्म हुआ था। पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि वो कई सालों से इस अवसर का इंतजार कर रहे थे। पीएम मोदी ने 2015 में बांग्लादेश दौरे के वक्त ओराकांडी जाने की इच्छा जताई थी जो अब 2021 में जाकर पूरी हुई है। पीएम मोदी ने इस मौके पर मतुआ समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के ठाकुरनगर में मतुआ भाइयों और बहनों ने परिवार के सदस्यों की तरह उन्हें प्यार दिया था। खासकर 'बॉरो-मां' का अपनत्व, मां की तरफ उनका आशीर्वाद देना उनके जीवन के लिए बेहद अनमोल पल रहे हैं। आपको बता दें कि मतुआ संप्रदाय के संस्थापक हरिशचंद्र ठाकुर ने अपना जीवन ओराकांड में ही बिताया था और 1878 में ओराकांडी में ही उनकी मृत्यु हुई थी।
बंगाल चुनाव में होगा लाभ
पीएम मोदी बांग्लादेश के ओराकांडी में मतुआ समुदाय को जब संबोधित कर रहे थे उस वक्त भारत के पश्चिम बंगाल में पहले चरण का मतदान हो रहा था। पश्चिम बंगाल में पहले चरण की वोटिंग के दौरान जिन 30 सीटों पर वोटिंग चल रही थी, वहां मतुआ संप्रदाय के लोगों की अच्छी खासी उपस्थिति है। लिहाजा, विपक्ष का आरोप है कि पीएम मोदी बांग्लादेश के दौरे के दौरान भी राजनीति कर रहे हैं और उनका भाषण चुनावी आचार संहिता का उल्लंधन माना जाए।
मतुआ समुदाय का प्रभाव
मतुआ समुदाय का पश्चिम बंगाल की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। हालांकि, आजादी से पहले मतुआ समुदाय के हजारों लोग बांग्लादेश पलायन कर गये। हालांकि, अभी भी पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की उपस्थिति 17 फीसदी से ज्यादा है और माना जा रहा है कि मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों को बदलने का माद्दा रखते हैं। पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं और 40 से 45 सीटों पर मतुआ समुदाय की अच्छी खासी भूमिका में हैं। अभी तक मतुआ समुदाय को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए विश्वसनीय वोटबैंक माना जाता रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार पीएम मोदी ममता बनर्जी के वोट बैंग में सेंधमारी करने में कामयाब हो जाएंगे। और अगर ऐसा होता है, तो ये ममता बनर्जी के लिए बहुत बड़ा झटका माना जाएगा।