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Pulitzer prize: दानिश सिद्दीकी के बच्चों ने पिता के पुलित्जर पुरस्कार को स्वीकार किया

38 वर्षीय दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में ड्यूटी पर थे। पिछले जुलाई में स्पिन बोल्डक जिले में झड़पों को कवर करने के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी।

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दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) समेत चार भारतीयों को फीचर फोटोग्राफी श्रेणी में प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया। दानिश की पिछले साल अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जे के समय हुए संघर्ष के कवरेज के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी। न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में दानिश सिद्दीकी के बच्चों ने पिता की ओर से पुलित्जर पुरस्कार ( Pulitzer prize) स्वीकार किया।

दानिश सिद्दीकी के बच्चों ने पुरस्कार प्राप्त किया

दानिश सिद्दीकी के बच्चों ने पुरस्कार प्राप्त किया

रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी के बच्चों ने उनकी ओर से पुलित्जर पुरस्कार स्वीकार किया। दानिश सिद्दीकी की पिछले साल जुलाई में अफगानिस्तान संघर्ष के दौरान हत्या कर दी गई थी। कार्यक्रम में दानिश के दोनों बच्चे यूनुस सिद्दीकी, (6 साल) सारा सिद्दीकी (4 साल) ने अपने पिता का पुरस्कार प्राप्त किया।

पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित

पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित

बता दें कि, रॉयटर्स के भारतीय फोटो जर्नलिस्ट अदनान आबिदी, अमित दवे, दानिश सिद्दीकी और सना इरशाद मट्टू को उनकी फीचर फोटोग्राफी के लिए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समारोह 20 अक्टूबर को आयोजित किया गया था।

दानिश को दूसरी बार यह सम्मान मिला

दानिश को दूसरी बार यह सम्मान मिला

यह दूसरी बार है जब दानिश सिद्दीकी को यह पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्हें इससे पहले रोहिंग्या संकट के कवरेज के लिए रॉयटर्स टीम के हिस्से के रूप में उन्हें 2018 में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अफगानिस्तान संघर्ष, हांगकांग विरोध और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप की अन्य प्रमुख घटनाओं को कवर किया था।

दानिश के पिता को अपने बेटे पर गर्व

दानिश के पिता को अपने बेटे पर गर्व

वहीं, दानिश सिद्दीकी के पिता अख्तर सिद्दीकी ने कहा था कि वह अपने बेटे के काम को मान्यता मिलने से खुश हैं। दानिश आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इसके बाद उन्होंने जाते-जाते हम सबको गौरवान्वित किया है। पुलित्जर पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और मूल्य आधारित पत्रकारिता को मान्यता प्रदान किया है।

दानिश ने एक पत्रकार के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन किया

दानिश ने एक पत्रकार के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन किया

दानिश के पिता ने अपने बेटे की पत्रकारिता पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि, जब कोविड महामारी चरम पर थी तो दानिश बिहार के भागलपुर में दूरदराज के इलाकों की यात्रा की। इस दौरान दानिश ने वार्डों में अपना समय व्यतीत किया था। दानिश को पता था कि उनके दो छोटे बच्चे भी हैं, और कोरोना फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है, इसके बावजूद उन्होंने अपनी पत्रकारिता की जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए देशभर के लोगों की पीड़ा को कवर किया।

दानिश की यात्रा...

दानिश की यात्रा...

दानिश सिद्दीकी ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था। इसके बाद उन्होंने जामिया के ही एजेके मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर से 2007 में डिग्री ली थी। 2010 में उन्होंने इंटर्न के रूप में रॉयटर्स ज्वाइन की। 'पुलित्जर पुरस्कार पत्रकारिता के क्षेत्र का अमेरिका का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसकी शुरुआत 1917 में हुई थी।

(Photo Credit: Twitter)

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English summary
Danish Siddiqui- who extensively covered conflicts around the world- had won the Pulitzer Prize in 2018 for feature photography for documenting the Rohingya refugee crisis and was killed while covering the war between Afghan troops and the Taliban in Kandahar city.
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