spyware list: फ्रांस के राष्ट्रपति समेत पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की जासूसी, भारतीय पत्रकार भी बने निशाना
फ्रांस के राष्ट्रपति, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ विश्व के 14 राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी की गई है। वहीं, कई भारतीय पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
नई दिल्ली, जुलाई 21: पेगासस फोन जासूसी कांड में सिर्फ पत्रकारों की ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों की भी जमकर जासूसी की गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने किस-किससे और क्या सब फोन पर बात की है, इसे भी सुना गया है। फ्रांस की सरकार ने पेगासस जासूसी कांड की जांच के आदेश दे दिए हैं, जिसके बाद पेरिस प्रॉसीक्यूटर ऑफिस की तरफ से कहा गया है कि 14 देशों के प्रमुखों के नाम पेकासस की लिस्ट में हैं।
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14 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी जांच के आधार पर कहा है कि, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो उन 14 वर्तमान या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों की सूची में पहले नंबर पर हैं, जिन्हें कुख्यात इजराली स्पाइवेयर फर्म एनएसओ ग्रुप के क्लाइंट्स ने जासूसी का शिकार बनाया है। एमनेस्टी के महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने मंगलवार को एक बयान में कहा है कि, ''अभूतपूर्व रहस्योद्घाटन'' किया गया है, जिससे दुनिया के नेताओं की रीढ़ की हड्डी ठंढी हो जाएगी। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में करीब 50 हजार फोन नंबर्स हैं, जिनमें 14 देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। इनके अलावा विश्वविख्यात जर्नलिस्ट्स, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के नंबर भी जासूसी के लिए हैं।
मैंक्रों और इमरान खान की जासूसी
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा करते हुए कहा है कि इस लिस्ट में सबसे पहला नाम फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का है। जबकि उनके अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, दक्षिण अफ्रीका के सिरिल रामफोसा और इराक के बरहम सालिह शामिल हैं। तीन वर्तमान प्रधानमंत्री के अलावा मोरक्को के राजा मोहम्मद-vi भी सूची में शामिल हैं। वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा करते हुए कहा है कि, विश्व के जिन नेताओं के नाम इस लिस्ट में हैं, उनमें से किसी ने भी अपने फोन को फोरेंसिंक प्रयोगशाला में जांच के लिए नहीं दिया है, लिहाजा ये पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि वो एनएसओ सैन्य-ग्रेड पेगासस स्पाइवेयर से संक्रमित थे या नहीं। जांच में पहचाने गए सैंतीस फोन नंबरों को या तो हैक किया जा चुका था, या हैक करने की कोशिश हो रही थी।
फ्रांस में पेगासस को लेकर जांच
पेगासस फोन जासूसी कांड में बड़े खुलासे के बाद फ्रांस में इसको लेकर जांच शुरू हो गई है। फ्रांस सरकार ने इजरायली कंपनी के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए अपने देश में पत्रकारों की जासूसी की जांच शुरू कर दी है। मोरक्को की खुफिया एजेंसियों पर पेगासस के जरिए फ्रांसीसी पत्रकारों के साथ साथ फ्रांस की सरकार के कई मंत्रियों पर जासूसी करने का आरोप है। हालांकि मोरक्को ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। वहीं, फ्रांस की मशहूर पत्रिका, जिसने राफेल घोटाले का पर्दापाश किया था, उसके मालिक की भी जासूसी की की गई है। मीडिया पार्ट के संस्थापक एडवी प्लानेल और उनके एक पत्रकार को मोरक्को की खुफिया एजेंसियों ने निशाना बनाया है। इसके अलावा ले मोंडे और एएफपी के पत्रकार भी इस लिस्ट में शामिल थे। हालांकि, मोरक्को सरकार ने कहा कि उन्होंने जासूसी के लिए किसी भी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया है।
180 से ज्यादा पत्रकारों की जासूसी
वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, ले मोंडे और अन्य मीडिया घरानों ने दावा किया कि लीक हुए 50,000 फोन नंबरों में उनके पत्रकारों की भी जासूसी की गई है। इन मीडिया संस्थान ने कहा है कि इज़राइल के एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 180 से ज्यादा पत्रकारों और संपादकों की जासूसी की गई थी। यह दावा करीब 16 मीडिया समूहों की संयुक्त जांच के बाद किया गया है। इन देशों में भारत भी शामिल है, जहां सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले पत्रकार निगरानी में थे। न्यूज पोर्टल 'द वायर' की रिपोर्ट के मुताबिक जासूसी करने वालों में 300 भारतीय लोगों के नाम शामिल हैं। इजरायली कंपनी द्वारा बनाए गए स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया है।
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