तो क्या पाकिस्तान की सेना चुकाएगी नवाज शरीफ को सजा की कीमत!
नई दिल्ली। पाकिस्तान में आम चुनाव से ऐन पहले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को जेल भेज दिया गया है। भ्रष्टाचार के मामले में नवाज शरीफ को 10 और बेटी मरियम को 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है। नवाज शरीफ के चुनाव लड़ने पर भी रोक है। लंदन में कैंसर पीडि़त पत्नी कुलसुम का इलाज करा रहे नवाज शरीफ, बेटी के साथ शुक्रवार को देश लौटे। पाकिस्तान की सरजमीं पर कदम रखते ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-ए) के कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। उधर, नवाज शरीफ के साथ बेटी मरियम भावुक संदेश भेज रही हैं। पाकिस्तान की सेना पर नवाज शरीफ के खिलाफ साजिश के आरोप लगाए जा रहे हैं। सवालों के घेरे से बाहर पाकिस्तान की अदालतें भी नहीं हैं। मतलब पाकिस्तान में पाक-साफ कोई नहीं है। दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लगने के बाद माना जा रहा था कि नवाज शरीफ का करियर पूरी तरह खत्म हो गया है, लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। इतिहास गवाह है सत्ता दूर राजनेता को जेल हमेशा रास आई है।
सजा भुगतने के लिए देश लौटकर नवाज शरीफ ने खेला बड़ा राजनीतिक दांव
नवाज शरीफ का जेल जाना पाकिस्तानी अवाम के एक बड़े तबके को साजिश का परिणाम लग रहा है। दूसरी ओर नवाज शरीफ ने दोषी करार दिए जाने के बाद पाकिस्तान लौटकर यह बता दिया है कि उन्हें रास्ते से हटाना इतना आसान काम नहीं है। वह चाहते तो किसी और देश में राजनीतिक शरण लेकर रह सकते थे। 1999 में जब परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी, तब बरसों तक नवाज शरीफ देश से बाहर रहे थे। नवाज शरीफ जब दोषी करार दिए गए, तब वह लंदन में थे। गले के कैंसर से जूझ रही पत्नी का इलाज करा रहे थे। वह चाहते थे बेटी मरियम को लेकर किसी और देश या लंदन में ही शरण लेकर रह सकते थे, लेकिन नवाज शरीफ बड़ा राजनीतिक जुआ खेला और देश आ गए। अब जेल में सजा काट रहे हैं।
अब वो होगा जो पाकिस्तान की राजनीति में अब नहीं हुआ
यह बात सच है कि नवाज शरीफ चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि उनके दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग पत्नी कुलसुम की दर्द से कराहती तस्वीरों और बेटी मरियम के आंसुओं के सामने कुछ भी नहीं। पाकिस्तान के ज्यादातर विश्लेषक इमरान खान को सेना का राइट हैंड बता रहे हैं, उनकी ताजपोशी का रास्ता साफ होने की बात कह रहे हैं, लेकिन नवाज शरीफ के एक दांव ने बाजी पूरी तरह पलट कर रख दी है। अब सुख-सुविधाओं से लैस जेल में बैठकर नवाज शरीफ पाकिस्तान की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभर सकते हैं। पाकिस्तान के इतिहास में अभी तक एक भी चुनाव 'सेना बनाम सरकार' के नाम पर नहीं लड़ा गया। हर चुनाव में गरीबी, भ्रष्टाचार, कश्मीर जैसे मुद्दे ही छाए रहे, लेकिन नवाज शरीफ के पास पाकिस्तान में 'सेना बनाम सरकार' के मुद्दे पर चुनाव लड़ने का बेहतरीन मौका है। वह ऐसा करते दिख भी रहे हैं।
सेना के पंजे में जकड़ी पाकिस्तान की राजनीति
2011 में मैमोगेट स्कैंडल ने पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल लाकर रख दिया था। उस वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री पद संभाल रहे थे यूसुफ रजा गिलानी। 2011 में अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत थे हुसैन हक्कानी। तब अमेरिकी सेना की कमान संभाल रहे माइक मुलेन को एक सीक्रेट लेटर मिला था। इसमें उस वक्त की पाकिस्तान की सत्ता संभाल रहे आसिफ अली जरदारी ने अमेरिकी सेना से पाकिस्तान में दखल देने की बात कही थी। वह पाकिस्तान की सेना से छुटकारा चाहते थे। यहां तक कि जरदारी हाफिज सईद को भारत को सौंपने के लिए भी तैयार थे। मकसद से पाकिस्तान की सेना का पूरा ढांचा बदलना, जिससे कि राजनीति में उसका दखल न रहे। जिस वक्त अमेरिकी सेना के पास यह सीक्रेट लैटर पहुंचा था, उस वक्त पाकिस्तानी सेना की कमान अश्फाक परवेज कियानी के पास थी। बाद में उस वक्त के पाकिस्तानी पीएम यूसुफ रजा गिलानी ने मीडिया में भी सेना को खुलकर चुनौती दी थी। यह घटनाक्रम बताता है कि पाकिस्तान में सेना के पंजे तले दबी राजनीति किस कदर छटपटा रही है। नवाज शरीफ भी इससे अछूते नहीं हैं।
सेना के लिए आखिरी भूल साबित हो सकता है नवाज शरीफ की सजा
नवाज शरीफ पाकिस्तान के खानदानी के रईसों में शुमार किए जाते हैं। राजनीति में आने से पहले वह कारोबारी थे। अब उन पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित हुए हैं। सही हैं या गलत? अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर फैसला सुना दिया। बात बड़ी साधारण सी लगती है, पर बात जब पाकिस्तान की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी की हो तो इतनी साधारण कैसे हो सकती है। ऐसे में इस साजिश के पीछे के पाकिस्तानी सेना का हाथ होने की बातें भी सामने आ रही हैं। पता नहीं ये भी सच है या झूठ, लेकिन इतना तय है कि 2018 का पाकिस्तानी आम चुनाव सबसे अलग होगा। मुकाबला राजनीति बनाम सेना के मुद्दे पर होगा। अगर ऐसा हुआ तो नवाज शरीफ को जेल भेजना पाकिस्तानी सेना की आखिरी भूल होगी, क्योंकि अब पाकिस्तान में एक ही मुहिम चलने वाली है, सेना बनाम राजनीति। नवाज शरीफ उस मुद्दे को घर-घर ले जाएंगे, जिसके बारे में चर्चा तो खूब हुई, पर किसी ने वोट नहीं मांगा। वो मुद्दा है- राजनीति में सेना का दखल।