कोरोना की उत्पत्ति पर फिर घिरा चीन, वुहान सीफूड मार्केट पर बड़ा खुलासा
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो नए अध्ययन प्रकाशित किए गए। कोविड पर किए गए अध्ययन के दृष्टिकोण भले ही अलग हो लेकिन शोध का निष्कर्ष लगभग एक ही जैसा है।
न्यूयॉर्क,
27
जुलाई
:
कोरोना
वायरस
से
उत्पन्न
महामारी
पर
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
की
नजरें
बनी
हुई
हैं।
कोविड
की
उत्पत्ति
को
लेकर
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
(WHO-World
Health
Organisation)
ने
अपना
शोध
जारी
रखा
है।
जून
में
,
विश्व
स्वास्थ्य
संगठन
ने
सिफारिश
की
थी
कि
वैज्ञानिक
प्रयोगशाला
से
कोरोना
महामारी
के
फैलने
के
सभी
संभावित
श्रोतों
पर
शोध
करना
जारी
रखा
जाए।
इससे
जुड़े
अध्ययनों
को
फरवरी
में
प्रीप्रिंट
के
रूप
में
ऑनलाइन
प्रकाशित
किया
गया
था,
लेकिन
अब
इसकी
समीक्षा
की
गई
है।
इस
समीक्षा
को
मंगलवार
को
जर्नल
साइंस
में
प्रकाशित
किया
गया
था।
तो क्या वुहान के बाजारों से उत्पन्न हुआ कोरोना महमारी
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो नए अध्ययन प्रकाशित किए गए। कोविड पर किए गए अध्ययन के दृष्टिकोण भले ही अलग हो लेकिन शोध का निष्कर्ष लगभग एक ही जैसा है। अध्ययन से जुड़े निष्कर्ष में चीन के वुहान में स्थित हुनान के सीफूड मार्केट (समुद्री भोजन) (Sea Food Market) में बेचे जाने वाले समुद्री जीवों से कोरोना महामारी की उत्पत्ति की अधिक संभावना जताई गई है।
कोरोना की उत्पत्ति कहा से हुई
कोरोना महामारी से जुड़े तत्थों को तलाशने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने मैंपिंग टूल और सोशल मीडिया रिपोर्ट का सहारा लिया। हालांकि, इन रिपोर्ट्स में कोरोना को लेकर अस्पष्ट जानकारी ही प्राप्त हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के अतं में चीन के वुहान शहर में स्थित हुनान के बाजारों में खाने के लिए बेचे जाने वाले जीवों में कोरोना वायरस के लक्षण मौजूद रहे होंगे। चीन के बाजारों में अलग-अलग प्रकार के समुद्री जीवों का व्यापार किया जाता है और यहां सभी जीवों को बेचने के लिए एक साथ रखा जाता है। इससे यह आशंका और भी प्रबल हो गई है कि, किसी एक जीव में कोरोना के लक्षण रहे होंगे, जो सभी जीवों में आसानी से फैल गए होंगे। बता दें कि, कीटाणु आसानी से एक जीव से दूसरे जीवों में प्रवेश कर जाते हैं। इससे यह तय करना मुश्किल हो गया कि कौन सा जानवर वायरस से संक्रमित था।
चीन का बाजार कोरोना प्रसार का मुख्य केंद्र
शोधकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि, चीन का बाजार ही कोरोना प्रसार का मुख्य केंद्र रहा होगा। यही से लोग जीवित और मरे हुए जानवरों को खाने के लिए खरीद कर ले जाते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि, इन्हीं जानवरों में दो अलग-अलग वायरस मौजूद रहे होंगे, जो तेजी से लोगों को संक्रमित करने लगा।
वुहान के बाजारों में जानवरों की बिक्री
अध्ययन में कहा गया है कि, 20 दिसंबर से पहले पाए गए सभी आठ कोविड-19 के मामले बाजारों से मिले थे, जहां स्तनपायी प्रजातियों के जानवरों की बिक्री की जाती थी। इन जीवित जानवरों को मारकर बेचने, और इससे कोरोना की उत्पत्ति का भी दावा किया गया। वहीं, स्क्रिप्स रिसर्च में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर सह-लेखक क्रिस्टियन एंडरसन ने मंगलवार को कहा, "क्लस्टरिंग बहुत विशिष्ट है।"एक अन्य सह-लेखक, माइकल वोरोबे, एरिज़ोना विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी और विकासवादी जीवविज्ञान विभाग के प्रमुख ने कहा। इन मामलों की मैपिंग से जो "असाधारण" पैटर्न उभरा, वह बहुत ही स्पष्ट था।
क्या बाजार में रहने वाले लोगों ने कोरोना का प्रसार किया?
शोधकर्ताओं ने उन शुरुआती मामलों की मैपिंग की, जिनका बाजार से कोई संबंध नहीं था, वोरोबे ने उन लोगों पर भी नजर रखी, जो लोग बाजार के करीब रहते थे या काम करते थे। क्या उनसे कोरोना महामारी फैली? इसकी भी सही-सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। हालांकि, शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि, जो लोग चीन के मछली और मांस के बाजारों में काम करते रहे होंगे उनसे कोरोना का संक्रमण फैला होगा।
कोरोना से संबंधित दूसरा अध्ययन
कोरोना महामारी को लेकर एक और दूसरा अध्ययन में यह जानने की कोशिश हुई कि, सबसे पहला कोरोना वायरस का संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में कब आया। इस शोध से पता चलता है कि कोरोन वायरस का सबसे पहला वर्जन (संस्करण) शायद अलग-अलग रूपों में आया था जिसे वैज्ञानिक A और B कहते हैं। जानकार मानते हैं कि, संभवत: जानवरों के दो क्रास-प्रजाति के कारण ही एक इंसान वायरस से संक्रमित हुआ होगा।
महामारी की उत्पत्ति पर बड़ा खुलासा
शोधकर्ताओं ने कोरोना महामारी की उत्पत्ति पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि, शायद 2019 के आसपास जानवरों से मनुष्य में वायरस का ट्रांसमिशन हुआ होगा। और यह वंश B ( lineage B) से आया था। उन्होंने वंश B ( lineage B) प्रकार को केवल उन लोगों में पाया, जिनका हुआनन बाजार से सीधा संबंध था।
चीन के बाजारों से निकला कोरोना, शोध जारी है
शोधकर्ताओं का मानना है कि, lineage A उन मनुष्यों के नमूनों में पाया गया जो चीन के हुआनान बाजार में रहते थे। इन निष्कर्षों से कोरोना वायरस से संक्रमण के कई संकेत प्राप्त हुए हैं। हालांकि, इसकी संभावना कम ही है कि, SARS-CoV-2 नवंबर 2019 से पहले मनुष्यों में व्यापक रूप से प्रसारित हुआ। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि, कोरोना महामारी के फैलने की संभावना कई जूनोटिक घटनाओं के परिणाम स्वरूप हुई होगी।
क्या कहना है शोधकर्ताओं का
वहीं, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो में चिकित्सा के एक सहयोगी सहायक प्रोफेसर, सह-लेखक जोएल वर्थाइम ने स्वीकार किया कि, इस तरह का वायरस दो अलग-अलग घटनाओं से उभरने की संभावना बेहद ही कम है।
हमें महामारी से बचने के उपाय खोजने होंगे
वहीं, एक और शोधकर्ता एंडरसन ने कहा कि अध्ययन निश्चित रूप से प्रयोगशाला रिसाव सिद्धांत का खंडन नहीं करते हैं। लेकिन ये बेहद प्रेरक हैं। ये इतने अधिक प्रेरक है कि उन्होंने वायरस की उत्पत्ति के बारे में अपना विचार तक बदल दिया। एंडरसन ने कहा कि हालांकि हम प्रकोपों को रोक नहीं सकते हैं, लेकिन दुनिया के वैज्ञानिकों के बीच सहयोग एक छोटे से प्रभाव वाली बीमारी और लाखों लोगों को मारने वाली बीमारी के बीच अंतर की कुंजी हो सकती है। उन्होंने कहा कि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि, हमें खुद से पूछने की जरूरत है, क्या अगली बार भी ऐसा ही होगा। हमें जल्द से जल्द कोरोना महमारी जैसी बीमारी को खत्म करने या आगे बढ़ने से रोकने के उपाय खोजने होंगे, ताकि यह एक महामारी न बन जाए।