पूरी तरह से फिट लेकिन फिर भी 15 माह से लंदन के अस्पताल में रह रही हैं मां-बेटी, आ चुका है अरबों रुपयों का खर्च
लंदन। लंदन के एक अस्पताल में एक मां और बेटी पिछले 15 माह से रह रही हैं। इन दोनों ने ही अस्पताल को छोड़ने से मना कर दिया है। करीब डेढ़ साल अस्पताल में रह रही यह मां-बेटी नस्लभेद का शिकार हुई हैं और उनका कहना है कि वह अस्पताल को छोड़कर नहीं जाएंगी। यह सारा मामला लंदन स्थित बर्नेट अस्पताल का है और अस्पताल की तरफ से इन्हें घर दिए जाने के बाद भी दोनों ने यहीं रहने का फैसला किया है। ब्रिटिश अखबार द मिरर की ओर से इस बारे में एक खास रिपोर्ट दी गई है।
अब तक खर्च 150,000 पौंड
यह सारा किस्सा लंदन के बर्नेट अस्पताल का है। यहां पर 21 वर्ष की रुथ किदाने और उनकी मां 50 वर्ष मिमी तेबजे पिछले वर्ष यहां पर आई थीं। बर्नेट हॉस्पिटल को दोनों ने अपना घर बना लिया है क्योंकि अथॉरिटीज इनके लिए ग्रिम्सेबे में कोई और ठिकाना नहीं तलाश पाई हैं। इन दोनों के यहां पर रहने की वजह से अब तक करीब 150,000 पौंड का खर्च आ गया है। इतने खर्च में हॉस्पिटल में कम से कम 100 मरीजों का इलाज हो सकता था। इस मामले की वजह से लंदन में बड़ा विवाद पैदा हो गया है। लेकिन हॉस्पिटल के ट्रस्ट का कहना है कि वह किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। हैरानी की बात यह है कि दोनों में से किसी को किसी भी तरह का मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा है।
रंगभेद की वजह से अस्पताल में रहने का फैसला
रुथ को मांसपेशियों की एक विशेष तरह की बीमारी है। 15 माह पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों के पास घर नहीं हैं और इस वजह से वह अस्पताल नहीं छोड़ सकती हैं। मिमी अपनी बेटी के साथ इथोपिया से यहां पर आई हैं। उन्होंने डेली मेल से बातचीत करते हुए बताया कि वह रंगभेद का शिकार हुई हैं। मिमी को लंदन में शरण दी गई है और इसके बाद बेटी का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मिमी ने कहा कि उन्हें बुरी तरह से गाली दी गई और उन्हें कहा गया कि वे दोनों यहां से चली जाएं। दोनों को लिंकनशायर में काउंसिल होम की पेशकश भी की गई लेकिन इसके बाद भी दोनों लंदन में ही रहना चाहती हैं।
मिलता है दो वक्त का खाना भी
रुथ को पिछले वर्ष जुलाई में सांस लेने में दिक्कत की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी मां मिमी ने भी अपनी बेटी के बेड के करीब ही बेड लगा लिया। डॉक्टरों ने एक माह बाद ही रुथ को डिस्चार्ज के लिए फिट करार दे दिया गया था। इसके बाद भी दोनों अस्पताल में ही हैं। बर्नेट काउंसिल का कहना है कि वह इस पूरे मामले में कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि दोनों रजिस्टर्ड नहीं हैं। ऐसे में अस्पताल को उनके रहने का खर्च उठाना पड़ेगा। दोनों के कमरे में एक बेड, कुर्सी, टीवी के अलावा एक सिंक है और साथ ही साथ हॉस्पिटल के स्टाफ की तरफ से उन्हें दो टाइम का खाना भी दिया जाता है।