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18 वर्षों तक एयरपोर्ट पर रहे करीमी नासेरी की मौत, स्पीलबर्ग ने प्रभावित होकर बनाई थी द टर्मिनल

पेरिस के एक एयरपोर्ट पर 18 साल तक रहने वाले ईरान से निर्वासित एक शख्स मेहरान करीमी की शनिवार को हवाई अड्डे पर निधन हो गया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

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फ्रांस में पेरिस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे पर 18 साल तक रहने वाले ईरानी व्यक्ति मेहरान करीमी नासेरी का शनिवार को हवाई अड्डे पर ही दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मेडिकल टीम ने 76 वर्षीय करीमी का उपचार किया मगर वे उन्हें बचा नहीं पाए। मेहरान करीमी को 'द टर्मिनल' फिल्म की वजह से पूरी दुनिया में जाना जाता है।

कानूनी समस्या के कारण एयरपोर्ट पर रहने को मजबूर

कानूनी समस्या के कारण एयरपोर्ट पर रहने को मजबूर

मेहरान नासेरी 1988 में पहली बार शरणार्थी के तौर पर फ्रांस आए थे। लेकिन कुछ कानूनी झमेले में फंस जाने कारण फ्रांस की सरकार ने उन्हें देश में शरण नहीं दी। इसके बाद वह एयरपोर्ट पर ही रहने को मजबूर हो गए और उन्होंने चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 को ही अपना घर बना लिया। यहां वह अखबारों और पत्रिकाओं के बक्सों से घिरी एक लाल प्लास्टिक की बेंच पर सोते थे और स्टाफ के बाथरूम में नहाते थे। एयरपोर्ट पर रहकर नासेरी ने अपना अधिकांश समय डायरी लिखने, पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने और वहां गुजरने वाले यात्रियों का सर्वेक्षण करने में बिताया।

ईरानी शाह ने देश से निकाला

ईरानी शाह ने देश से निकाला

नासेरी एयरपोर्ट पर जाना पहचाना नाम बन गए जहां स्टाफ ने उन्हें लॉर्ड अल्फ्रेड नाम दिया और वह यात्रियों के बीच एक मिनी-सेलिब्रिटी बन गए। नासेरी का जन्म 1945 में ईरान के एक हिस्से सुलेमान में हुआ था, जो तब ब्रिटिश अधिकार क्षेत्र में आता था। नासेरी के पिता एक ईरानी और मां एक स्कॉटिश नागिरक थीं। उन्होंने 1974 में इंग्लैंड में अध्ययन करने के लिए ईरान छोड़ दिया। जब वे लौटे, तो उन्हें शाह के खिलाफ विरोध करने के लिए कैद किया गया था और बिना पासपोर्ट के ही निष्कासित कर दिया गया था।

किसी देश ने नहीं दी शरण

किसी देश ने नहीं दी शरण

इसके बाद उन्होंने यूके सहित यूरोप के कई देशों में राजनीतिक शरण के लिए आवेदन किया, लेकिन हर जगह से उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। आखिरकार, बेल्जियम में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने उन्हें शरणार्थी प्रमाण पत्र दिया, लेकिन इसके बाद शरणार्थी प्रमाण पत्र वाला उनका ब्रीफकेस कथित तौर से पेरिस ट्रेन स्टेशन पर चोरी हो गया। फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उन्हें कहीं भी निर्वासित नहीं किया जा सका क्योंकि उसके पास कोई आधिकारिक दस्तावेज ही नहीं था।

पहली बार 2006 में अस्पताल छोड़ा

पहली बार 2006 में अस्पताल छोड़ा

जब उन्हें अंततः शरणार्थी कागजात मिला भी, तो उन्होंने एयरपोर्ट छोड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने असुरक्षा जताते हुए कथित तौर पर शरणार्थी कागज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। मेहरान 18 साल तक हवाई अड्डे पर रहने के बाद पहली बार 2006 में अस्पताल में भर्ती होने के वक्त एयरपोर्ट से बाहर निकले थे। एयरपोर्ट पर उन्हें करीब से जानने वाले लोगों के मुताबिक बिना खिड़की वाली जगह पर वर्षों तक रहने से उनकी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ा। एयरपोर्ट के अधिकारी ने कहा कि वह हाल के हफ्तों में फिर से चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट पर रहने लगे थे।

स्पीलबर्ग ने नासेरी की कहानी पर फिल्म बनाई

स्पीलबर्ग ने नासेरी की कहानी पर फिल्म बनाई

नासेरी ने 2004 में प्रकाशित द टर्मिनल मैन नामक एक आत्मकथा भी लिखी थी। इसके बाद स्टीवन स्पीलबर्ग ने नासेरी की स्थिति को देखकर 2004 में फिल्म द टर्मिनल बनाने का फैसला किया। इसमें टॉम हैंक्स ने एक पूर्वी यूरोपीय व्यक्ति की भूमिका निभाई थी, जो अमेरिका में प्रवेश से वंचित होने के बाद न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी एयरपोर्ट पर रहता है। इस फिल्म ने नासेरी को दुनिया भर में खूब प्रसिद्धि दिलाई। इसके अलावा नासेरी पर फ्रांसीसी फिल्म लॉस्ट इन ट्रांजिट और फ्लाइट नामक एक ओपेरा भी बन चुकी है।

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English summary
Mehran Karimi Nasseri who inspired 'The Terminal' dies at Paris airport
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