ब्रह्मांड में हो रही है विशालकाय पहाड़ों की अग्निवर्षा, धरती के पास से गुजरते धधकते चट्टानों ने बढ़ाई टेंशन
नासा ने कहा है कि अंतरिक्ष में पहाड़ों की बारिश हो रही है और करीब 27 हजार ऐस्टरॉइड पृथ्वी के करीब हैं।
नई दिल्ली, अक्टूबर 17: अंतरिक्ष में विशालकाय चट्टानों की बारिश हो रही है और कई बड़े विशालकाय ऐस्टरॉइड धरती के पास से गुजर रहे हैं। जिनमें से एक ऐस्टरॉइड का आकार गीजा के एम्पायर स्टेट बिल्डिंग जैसा है। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को दो और आने वाले दिनों में कई और ऐस्टरॉइड के धरती के पास से गुजरने की आशंका है, जिसने वैज्ञानिकों की टेंशन को काफी बढ़ा दिया है। डर इस बात को लेकर है, कि अगर ये ऐस्टरॉइड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आ गये, तो पृथ्वी पर तबाही मच सकती है।
कई विशालकाय ऐस्टरॉइड से खतरा
नासा ने कहा कि, शुक्रवार को एक विशालकाय ऐस्टरॉइड धरती के बेहद पास से गुजरा है। शुक्रवार को क्षुद्रग्रह 2021 एसएम-3, जिसका व्यास 525 फीट था, वो पृथ्वी के पास से गुजरा है। नासा ने कहा है कि, ये ऐस्टरॉइड- मिस्र में गीजा के महान पिरामिड के आकार से बड़ा है और पृथ्वी से लगभग 3.5 मिलियन मील दूर से गुजरा है। इस विशालकाय ऐस्टरॉइड की खोज पिछले ही महीने की गई थी और अगर ये पृथ्वी की कक्षा में आता, तो भयानक तबाही मच सकती थी। पृथ्वी के नजदीक से गुजरने वाले ऐस्टरॉइड को वैज्ञानिकों ने धूमकेतु या क्षुद्रग्रह नाम दिया है।
पृथ्वी की कक्षा में आने का खतरा
नासा को रिसर्च में पता चला है कि इन ऐस्टरॉइड को दूसरे विशाल ग्रह अपनी गुरुत्वाकर्षण से अपनी कक्षा से काफी तेजी के साथ बाहर धकेल देते हैं और पृथ्वी की कक्षा में जो गुरुत्वाकर्षण होता है, वो इन पत्थरों को अपनी तरफ आकर्षित करता है, लिहाजा अगर ये ऐस्टरॉइड पृथ्वी की कक्षा के ज्यादा करीब आए, तो इनके पृथ्वी की कक्षा में टकराने की आशंका बन जाती है, जो काफी खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि, चूंकी अभी भी ये ऐस्टरॉइड पृथ्वी की कक्षा से काफी दूर हैं, लिहाजा अभी डरने की जरूरत नहीं है। दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सीएनईओएस के निदेशक पॉल चोडास ने कहा कि, "खगोलीय रूप से ये पृथ्वी के करीब आ रहे हैं। लेकिन मानवीय दृष्टि से वे लाखों मील दूर हैं और पृथ्वी की कक्षा से अभी ये लाखों मील दूर ही रहेंगे।''
अंतरिक्ष में पहाड़ों की बारिश
नासा लगातार पूरे ऐस्टरॉइड ग्रुप को ट्रक करता है और उन ऐस्टरॉइड पर लगातार नजर रखता है, जो पृथ्वी के करीब आ रहे होते हैं और आने वाले वक्त में पृथ्वी के लिए खतरा हो सकता हैं। इसके अलावा नासा ने एक ऐसे मिशन को लॉन्च किया है, जो अंतरिक्ष में ऐस्टरॉइड को नष्ट कर सके। इस वक्त पृथ्वी की कक्षा से गुजरने वाला है, वो पृथ्वी की कक्षा से करीब 2 लाख 38 हजार 854 मील दूर होगा और वैज्ञानिकों ने उस ऐस्टरॉइड को 2021 टीजे-15 नाम दिया है। एक प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा कि, ''ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी के करीब से गुजर रहा है, लेकिन ये काफी छोटा है और उसका व्यास सिर्फ 13 मीटर का है। ये ऐस्टरॉइड चंद्रमा के करीब आ रहा है, लेकिन ये नाम पृथ्वी से और ना ही चंद्रमा से टकराएगा।
धरती के लिए बन सकता है खतरा
नासा ने पृथ्वी के करीब से गुजरने वाले करीब 27 हजार से ज्यादा ऐस्टरॉइड को ट्रैक किया है, जो पृथ्वी की कक्षा से करीब होकर गुजर सकते हैं और नासा लगातार इन 27 हजार ऐस्टरॉइड पर नजर रख रहा है। क्षुद्रग्रह आकार में सबसे छोटे होते हैं और मध्यम आकार के क्षुद्रग्रह 300 मीटर से 600 मीटर (984 फीट से 1,968 फीट) आकार में और बड़े 1 किलोमीटर (3,280 फीट) तक बड़े होते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि, पृथ्वी से गुजरने वाले कई क्षुद्रग्रह छोटे होते हैं और जब वे ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो जल जाते हैं। वैज्ञानिक ने कहा कि, निकट भविष्य में किसी ऐस्टरॉइड का पृथ्वी से टकराने की संभावना अत्यंत कम हैं, लेकिन हम खतरे को नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं।
क्या होते हैं ऐस्टरॉइड ?
आपको बता दें कि ऐस्टरॉइड वो बड़ी बड़ी अंतरिक्ष चट्टाने होती हैं जो किसी ग्रह की तरह हीं सूर्य का परिक्रमा करती हैं लेकिन इनका आकार काफी छोटा है। लेकिन अगर ये ऐस्टरॉइड किसी ग्रह से टकरा जाएं तो वहां भूचाल आ जाता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हमारे गैलेक्सी में ज्यादातर ऐस्टरॉइड मंगल और बृहस्पति की कक्षा में पाए जाते हैं, वहीं कई ऐस्टरॉइड दूसरे ग्रहों की कक्षा में भी पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब साढ़े 4 अरब साल पहले जब हमारे गैलेक्सी का निर्माण हुआ थातब गैस और धूल की वजह से ऐसे बादल, जो किसी कारणवस कोई ग्रह नहीं बन सके, वो कालांतर में क्षुद्रगह बन गये। ऐस्टरॉइड साधारणतया गोल नहीं होते हैं और इसका आकार किसी भी तरह का हो सकता है।
तुंगुस्का नदी की घटना
आपको बता दें कि 30 जून 1908 में रूस के साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास एक बहुत बड़ा विस्फोट था। नासा के मुताबिक, आधुनिक इतिहास में पृथ्वी के वायुमंडल में एक बड़े उल्कापिंड का पहला प्रवेश तुंगुस्का घटना के रूप में ही हुआ था। कहते हैं कि कई मील उपर हवा में जोरदार विस्फोट हुआ था और उस विस्फोट की ताकत इतनी थी कि 2,150 वर्ग किमी के क्षेत्र में तकरीबन 8 करोड़ पेड़ खत्म हो गए थे। नासा का कहना है कि उस दिन एक उल्कापिंड साइबेरिया के एक दूरदराज के हिस्से से टकराया था, लेकिन जमीन पर नहीं पहुंचा था। बताया जाता है कि उल्का पिंड में हवा में ही विस्फोट हो गया और सैकड़ों मील चौड़े क्षेत्र में पेड़ों पर कहर बन कर टूटा। इस विस्फोट में हजारों जंगली जानवर भी मारे गए थे। वैज्ञानिकों का कहना था कि अगर वो ऐस्टरॉइड आबादी वाले इलाके में गिरता, तो हजारों लोगों की जान जा सकती थी।
आसमान में मिला ऐसा ऐस्टरॉइड, जिसपर है खरबों की दौलत, हाथ आया तो हर इंसान हो सकता है अरबपति!