क्या होते हैं Anti-Radiation Pills, जो परमाणु हमले से करती हैं रक्षा? यूक्रेन भेजी जा रहीं 55 लाख गोलियां
1980 और 1990 के दशक में बने जापोरिज्जिया पावर प्लांट के रिएक्टर काफी सुरक्षित माने जाते हैं। गोलाबारी या गोलाबारी से बहुत अधिक नुकसान होने या परमाणु दुर्घटना होने की संभावना काफी कम है।
कीव, सितंबर 01: यूक्रेन पर रूसी हमले के 6 महीने का वक्त बीत चुका है और जापोरिज्जिया पावर प्लांट में परमाणु आपदा की आशंका काफी ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि वहां पर रूसी सैनिकों ने भारी गोलीबारी की थी। जिसके बाद यूरोपीय संघ ने आसपास के निवासियों के बीच वितरित करने के लिए 55 लाख एंटी-रेडिएशन गोलियों की आपूर्ति करने का फैसला किया है। जिन लोगों को गोलियां दी जा रही हैं, उनसे कहा जा रहा है, कि वो परमाणु विकिरण रिसाव की पुष्टि होने के बाद ही उन्हें खा लें। ऐसे में आईये हम आपको बताते हैं, कि परमाणु विकिरण विरोधी गोलियां क्या होती हैं और विकिरण आपात स्थिति में वे लोगों की रक्षा कैसे करती हैं?
क्या होती है रेडिएशन इमरजेंसी?
विकिरण आपातकाल अनियोजित या आकस्मिक घटनाएं हैं, जो मनुष्यों और पर्यावरण के लिए रेडियो-परमाणु खतरा पैदा करती हैं। ऐसी स्थितियों में रेडियोधर्मी स्रोत से रेडिएशन का निकलना शुरू हो जाता है, जो इंसानों की जान ले लेती हैं और इस खतरे को कम करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। ऐसी आपात स्थिति से निपटने में विकिरण रोधी गोलियों का उपयोग भी शामिल है। ज़ापोरिज़्ज़िया पावर प्लांट, यूक्रेन का सबसे बड़ा पावर प्लांट है, जिसपर रूसी सैनिकों का अभी भी कब्जा है और लगातार यहां होने वाले हमले की वजह से ज़ापोरिज़्ज़िया पावर प्लांट से न्यूक्लियर रेडिएशन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है और अगर ज़ापोरिज़्ज़िया पावर प्लांट से रेडिएशन शुरू होता है, तो उसकी चपेट में लाखों लोग आएंगे।
एंटी रेडिएशन गोलियां क्या हैं?
एंटी रेडिएशन गोलियां खाने के बाद इंसानी शरीर कुछ देर तक न्यूक्लियर रेडिएशन से बच सकता है और अगर कोई व्यक्ति न्यूक्लियर रेडिएशन की चपेट में आता भी है, तो उसके शरीर पर उसका न्यूनतम असर होगा। एंटी रेडिएशन गोलियां, पोटेशियम आयोडाइड (KI) की गोलियां होती हैं, जो रेडिएशन की स्थिति में कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए जानी जाती हैं। उनमें गैर-रेडियोधर्मी आयोडीन होता है और थायरॉइड ग्रंथि में रेडियोधर्मी आयोडीन के अवशोषण, और बाद में एकाग्रता को अवरुद्ध करने में मदद कर सकता है। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि, ज़ापोरिज़्ज़िया पावर प्लांट पर रूसी सेना का कब्जा होना काफी खतरनाक और रिस्की और उन्होंने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी को जल्द से जल्द वहां जाने और वहां की स्थिति का जायजा लेने का आग्रह किया है। जेलेंस्की ने रूसी सेना के प्लांट में मौजूद होने से गंभीर खतने की आशंका जताई है।
एंटी रेडिएशन गोलियां कैसे करती हैं काम?
रेडियोएक्टिव विकिरण के रिसाव के बाद रेडियोधर्मी आयोडीन हवा में तैरता है और फिर भोजन, पानी और मिट्टी को दूषित कर देता है। जबकि, बाहरी एक्सपोजर के दौरान जमा रेडियोधर्मी आयोडीन को गर्म पानी और साबुन का उपयोग करके हटाया जा सकता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अगर ये इंसानी शरीर के अंदर चला जाए, तो इंसानों की मौत हो सकती है। ज्यादातर मामलों में इंसान गंभीर बीमारी जैसे कैंसर के शिकार हो जाते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि, "आंतरिक जोखिम, या विकिरण, तब होता है जब रेडियोधर्मी आयोडीन शरीर में प्रवेश करता है और थायरॉयड ग्रंथि में जमा हो जाता है।" थायरॉयड ग्रंथि, जो शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन का उत्पादन करने के लिए आयोडीन का उपयोग करती है, उसके पास गैर-रेडियोधर्मी आयोडीन से रेडियोधर्मी बनाने का कोई तरीका नहीं है। वहीं, पोटैशियम आयोडाइड (KI) की गोलियां थायरॉयड ग्रंथि को ब्लॉक कर देती हैं, जिससे रेडियोएक्टिव आयोडिन जमा नहीं हो पाता है और हमारा शरीर रेडिएशन से बच जाता है।
24 घंटे तक शरीर की हो सकती है रक्षा
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि, "चूंकि पोटैशियम आयोडाइड में बहुत अधिक गैर-रेडियोधर्मी आयोडीन होता है, और इसे खाने के बाद ये थायरॉयड में भर जाता है और अगले करीब 24 घंटों के दौरान थायरॉयड और ज्यादा स्टेबल या रेडियोधर्मी, किसी भी अधिक आयोडीन को अवशोषित नहीं कर सकता है।" हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि, ये गोलियां सिर्फ उपचार हैं और अगर किसी का शरीर पहले ही रेडिएशन के संपर्क में आ चुका है और उसके थायरॉयड में रेडियोधर्मी आयोडीन अवशोषित हो गई हैं, तो फिर ये गोलियां उस नुकसान को उलट नहीं सकती हैं और ऐसे लोगों के शरीर को कैंसर होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है और ज्यादातर मामलों में कैंसर हो जाता है, जिससे इंसानों की मौत हो जाती है।
क्या ये तरीका पूर्ण सुरक्षा है?
विकिरण रोधी गोलियां 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करती हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है, "दवाई की प्रभावशीलता इस बात पर भी निर्भर करती है, कि शरीर में कितना रेडियोधर्मी आयोडीन मिलता है और यह कितनी जल्दी शरीर में अवशोषित हो जाता है।" इसके साथ ही, ये गोलियां हर किसी के लिए नहीं होती हैं। उन्हें 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए अनुशंसित किया जाता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इनका सेवन करने की सलाह दी जाती है। जबकि, यह रेडियोधर्मी आयोडीन के खिलाफ थायराइड की रक्षा कर सकता है, यह विकिरण संदूषण के खिलाफ अन्य अंगों की रक्षा नहीं कर सकता है। यानि, अगर रेडिएशन से शरीर का कोई दूसरा हिस्सा प्रभावित होता है, तो ये गोलियां उसे नहीं बचा पाएंगी। वहीं, अगर किसी के पास ये गोलियां नहीं हैं, तो अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन नमक या आयोडीन की खुराक का उपयोग करने के खिलाफ सलाह देता है क्योंकि उनमें थायराइड ग्रंथि को ब्लॉक करने की कुछ क्षमता होती है।
जापोरिज्जिया पावर प्लांट को जानिए
1980 और 1990 के दशक में बने जापोरिज्जिया पावर प्लांट के रिएक्टर काफी सुरक्षित माने जाते हैं। गोलाबारी या गोलाबारी से बहुत अधिक नुकसान होने या परमाणु दुर्घटना होने की संभावना काफी कम है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि रिएक्टर शक्तिशाली बमों या मिसाइल हमलों का सामना कैसे करेंगे। यह उम्मीद की जाती है कि कोई भी पक्ष इतना लापरवाह नहीं होगा, कि परमाणु विस्फोट को ट्रिगर करने के लिए रिएक्टर को सीधे बम से उड़ा देगा। जापोरिज्जिया पावर प्लांट दुनिया का 9वां सबसे बड़ा पॉवर प्लांट है और जब इसे बनाया गया था, उस वक्त रूस नहीं, बल्कि सोवियत संघ हुआ करता था, लिहाजा सोवियत संघ टूटने के बाद ये यूक्रेन के हिस्से में आ गया। जापोरिज्जिया पावर प्लांट में 6 न्यूक्लियर रिएक्टर्स हैं, जिनमें हर एक रिएक्टर से 950 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है और ये यूक्रेन की कुल जरूरत का 25 प्रतिशत बिजली उत्पादन करता है। इस पावर प्लांट को नाइपर नदी के किनारे किया गया है, जो यूक्रेन की राजधानी कीव से 550 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है और फिलहाल रूसी सैनिकों के कब्जे में है।
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