इथोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं WHO चीफ टेडरॉस, कभी हैजा की रिपोर्टिंग पर लगा दिया था बैन
जेनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के चीफ टेडरॉस एडहानोम ग्रेबेसियस ने कहा है कि उन्हें मौत की धमकियां मिल रही हैं और उन पर नस्लभेदी तंज कसे जा रहे हें। इसके बाद भी वह अपनी ड्यूटी को पूरा करते रहेंगे। टेडरॉस शायद संगठन के ऐसे चीफ होंगे जो कोरोना वायरस महासंकट के बीच विवादों में हैं। टेडरॉस के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्लूएचओ पर जमकर भड़ास निकाली है। इथोपिया के रहने वाले टेडरॉस मई 2017 में संगठन के चीफ बने थे। पद संभालने के बाद कोविड-19 उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है जिससे उन्हें निपटना है।
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जापान और ताइवान भी आए विरोध में
सिर्फ ट्रंप ही नहीं बल्कि जापान और ताइवान भी टेडरॉस की आलोचना कर रहा है। जापान के डिप्टी पीएम आरो सो ने तो पिछले दिनों यहां तक कह दिया था कि डब्लूएचओ का नाम बदलकर चाइनीज हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कर देना चाहिए। ताइवान के अधिकारियों की मानें तो डब्लूएचओ ने कोविड-19 पर मिलने वाली शुरआती चेतावनियों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया था। डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेडरॉस एडहानोम गेब्रेसियस का चुनाव इस पद पर तभी हुआ था जब चीन ने उनका समर्थन किया था। मई 2017 में पद के लिए चुने गए गेब्रेसियस ने अमेरिका के समर्थन वाले डॉक्टर डेविड नबारो को मात दी थी। नबारो, यूनाइटेड किंगडम की तरफ से उम्मीदवार थे। वह पहले इथोपियाई हैं जिन्हें डब्लूएचओ के चीफ की जिम्मेदारी सौपी गई।
इथोपिया के पूर्व हेल्थ मिनिस्टर
अमेरिकी मैगजीन पॉलिटिको के मुताबिक ट्रंप भले ही टेडरॉस की आलोचना करने में अपनी सीमा से बाहर चले जाते हों, मगर यह बात सच है कि डब्लूएचओ शुरुआत से ही लापरवाह रहा। बोरनिन अस्मारा में सन् 1965 में जन्में टेडरॉस के पास कम्यूनिटी हेल्थ में पीएचडी की डिग्री है और साल 2000 में उन्हें यह डिग्री मिली थी। वह साल 2005 से 2012 तक इथोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रहे तो साल 2012 से 2016 तक देश के विदेश मंत्री रहे। टेडरॉस, इथोपिया के टिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के सदस्य हैं। इस पार्टी ने साल 1991 में इथोपिया के कम्युनिस्ट तानाशाह मेंगइत्सु हाएले मरियम को सत्ता से बेदखल कर दिया था।
हैजा की रिपोर्टिंग करने से रोका मीडिया को
साल 2005 में जब वह मंत्री थे तो उनका रवैया काफी दोस्ताना था। उन्हें इथोपिया के हेल्थ केयर सेक्टर में सुधार का श्रेय दिया जाता हे। लेकिन जिस समय वह देश के स्वास्थ्य मंत्री थे, उस समय उन्होंने अपने देश में हैजा की रिपोर्टिंग करने से जर्नलिस्ट्स को रोक दिया था। आलोचकों की मानें तो टेडरॉस के आने के बाद से डब्लूएचओ का भरोसा चीन पर बहुत ज्यादा बढ़ गया है। कुछ लोगों ने टेडरॉस पर लापरवाही बरतने और कोरोना वायरस को एक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। जनवरी के मध्य में जब चीन ने यह कहा कि अभी तक यह बात साबित नहीं हो सकी है कोविड-19 इंसान से इंसान के संपर्क में आने से फैलता है तो डब्लूएचओ ने उस बयान का समर्थन कर डाला।
साल 2003 में चीन को WHO ने लगाई थी फटकार
चीन में सेटोन हॉल यूनिवर्सिटी में हेल्थ एक्सपर्ट यांगझोंग हुआंग ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ बातचीत में कहा कि डब्लूएचओ और ज्यादा दबाव डाल सकता था। उनका कहना था कि जब चीन के वुहान में महामारी को छिपाया जा रहा था और संक्रमण फैल रहा था तो उस समय डब्लूएचओ ने कुछ नहीं किया। उन्होंने बताया कि जब साल 2002-2003 में सार्स महामारी फैली थी तो उस समय संगठन ने चीनी सरकार को और ज्यादा पारदर्शी होने की चेतावनी दी थी। साथ ही सार्वजनिक तौर पर उसकी आलोचना थी। सार्स महामारी से दुनियाभर में 700 लोगों की मौत हुई थी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। मार्च के माह में जब यूरोप में कोरोना वायरस से 1000 लोगों की मौत हो चुकी थी तब डब्लूएचओ ने इसे महामारी घोषित किया।