बाइडेन बोले- पहले ही दिन पेरिस समझौते में अमेरिका को फिर से शामिल करूंगा
वाशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पर्यावरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई है। शनिवार को बाइडेन ने कहा कि उनके राष्ट्रपति पद पर बैठने के पहले ही दिन अमेरिका पेरिस समझौते में फिर से शामिल होगा।
अमेरिका इस साल 4 नवम्बर को औपचारिक रूप से 2015 में पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन समझौते से बाहर हो गया था। ये फैसला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में लिया था।
डोनाल्ड ट्रंप लगातार पेरिस समझौते की आलोचना करते रहे हैं। उनका कहना है कि यह समझौता अमेरिका के लिए आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाला है और इसके चलते 2025 तक 25 लाख नौकरियां खा जाएगा। साथ ही इस समझौते में भारत और चीन को छूट दिए जाने की भी आलोचना करते हैं।
बुलाएंगे
विश्वनेताओं
की
बैठक
लेकिन
अब
अमेरिका
में
आने
वाली
नई
सरकार
एक
बार
फिर
इस
समझौते
में
शामिल
होने
जा
रही
है।
बाइडेन
के
ऑफिस
ने
बताया
"मेरे
राष्ट्रपति
बनने
के
पहले
ही
दिन
अमेरिका
फिर
से
पेरिस
समझौते
में
शामिल
होगा।
और
मैं
तत्काल
दुनिया
के
दूसरे
देशों
में
अपने
समकक्षों
के
साथ
जो
भी
संभव
हो
सकता
है
काम
शुरू
कर
दूंगा।
इनमें
पहले
100
दिनों
में
जलवायु
परिवर्तन
पर
प्रमुख
अर्थव्यवस्थाओं
के
नेताओं
को
बुलाना
शामिल
है।
पेरिस हुए ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौते में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से कम पर सीमित करने का प्रयास किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग इससे अधिक होने पर विनाशकारी परिणाम होंगे।
अमेरिका
दूसरा
सबसे
बड़ा
कार्बन
उत्सर्जक
वहीं
अमेरिका
जो
कि
चीन
के
बाद
दुनिया
में
दूसरा
सबसे
बड़ा
कार्बन
उत्सर्जक
है,
इस
समझौते
से
अलग
हो
गया
है।
अमेरिका
के
इस
कदम
की
पर्यावरणविदों
ने
जमकर
आलोचना
की
थी।
जलवायु
परिवर्तन
पर
ग्रेटा
थनबर्ग
के
द्वारा
डोनाल्ड
ट्रंप
की
आलोचना
ने
उन्हें
पूरी
दुनिया
में
पर्यावरण
के
लिए
लड़ाई
का
चेहरा
बना
दिया।
अमेरिका इकलौता देश है जो इस अंतरराष्ट्रीय समझौते से अलग हुआ है। हालांकि यह अभी भी बातचीत में भाग ले सकता है और अपनी राय दे सकता है लेकिन इसका पर्यवेक्षक का दर्जा छीन लिया गया।
वहीं बाइडेन की तरफ से जारी बयान में कहा गया "उनका प्रशासन अमेरिका के घरेलू जलवायु लक्ष्य की महत्वाकांक्षा को बढ़ाएगा और देश को 2050 तक शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करने के रास्ते पर ले जाएगा। "हम ऐसे शहरों, राज्यों और बिजनेस को बढ़ावा देंगे जो उत्सर्जन कम करने और स्वच्छ भविष्य के निर्माण पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही हम इस पर हमें सावधान करने वाले युवाओं और एक्टिविस्टों से बातचीत जारी रखेंगे।"
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