
एस जयशंकर का संदेश पीएम मोदी के बयान से अलग नहीं, अमेरिका ने बताया कैसे इतने करीब हैं भारत और रूस
अमेरिकी ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के रूस यात्रा पर दिए गए संदेश का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को कहा कि भारतीय विदेश मंत्री का मास्को में रूस को दिया गया संदेश पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व में दिए गए बयान से भिन्न नहीं है। इससे पहले समरकंद में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि 'यह युद्ध का युग' नहीं है। इसके साथ ही अमेरिका ने रूस संग भारत के करीबी होने का कारण भी बताया है।

रूस-यूक्रेन जंग के खिलाफ है भारत
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने जयशंकर की यात्रा के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा, "रूस में विदेश मंत्री जयशंकर से हमने जो संदेश सुना, वे कुछ मायनों में संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी से हमने जो सुना, उससे भिन्न नहीं था। अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने एक बार फिर से पुष्टि की है कि वह यूक्रेन-रूस जंग के खिलाफ है। वह कूटनीति और संवाद से इस जंग का खात्मा चाहता है। यह बहुत स्पष्ट है कि यह युद्ध का युग नहीं है। नेड प्राइस ने इसके साथ जोड़ा कि यह बेहद जरूरी है कि रूस, भारत जैसे उन देशों के संदेश को सुनें, जिनके पास आर्थिक, राजनयिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकत है।

भारत के रूस संग करीबी की वजह भी बताई
नेड प्राइस से पूछा गया कि भारत कैसे चीन के बाद रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक बन गया है और मास्को संग नई दिल्ली का व्यापार संबंध बढ़ता जा रहा है... अमेरिका इस मुश्किल घड़ी में रूस से दूर रहने के लिए भारत को मनाने में सक्षम क्यों नहीं है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, हमने हाल के महीनों में कई बार अपने भारतीय समकक्ष संग भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा की है। अमेरिका ये मानता है कि भारत-रूस का संबंध दशकों पुराना रहा है और ये संबंध तब बना जब शीत युद्ध का वक्त चल रहा था। अमेरिका उस वक्त भारत संग एक आर्थिक भागीदार, एक सुरक्षा भागीदार और एक सैन्य भागीदार बनने की स्थिति में नहीं था।

25 सालों में मजबूत हुआ भारत-अमेरिका संबंध
हालांकि प्राइस ने कहा कि पिछले 25 सालों में अमेरिका और भारत के रिश्ते बदले हैं। नेड प्राइस ने कहा कि यह वास्तव में एक विरासत है, एक द्विदलीय विरासत जिसे दोनों देशों ने पिछले तीन दशक के दौरान हासिल किया है। उन्होंने कहा, "हमने हर क्षेत्र में भारत के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने की कोशिश की है, जिसमें जब अर्थशास्त्र की बात आती है, जिसमें हमारे सुरक्षा संबंधों की बात आती है, जिसमें हमारे सैन्य सहयोग की बात भी शामिल है।" विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इसके साथ ही भारत को आगाह भी किया और कहा कि रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता को लेकर भरोसेमंद नहीं है।

स्वदेश लौटे एस जयशंकर
नेड प्राइस ने कहा कि भारत यदि समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करेगा तो यह न केवल यूक्रेन या क्षेत्र के हित में होगा, बल्कि यह भारत के अपने द्विपक्षीय हित में भी होगा। बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर बुधवार सुबह ही मॉस्को से लौटे हैं। इससे पहले जयशंकर ने मॉस्को में रूस से तेल आयात को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा था कि भारत-रूस संबंध फायदेमंद रहे हैं, इसलिए मैं इसे जारी रखना चाहूंगा। मॉस्को में एस जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रूसी उपप्रधान मंत्री एवं उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात और बातचीत की और स्ष्ट संदेश दिया कि पश्चिमी ताकतों से बिना प्रभावित हुए भारत, रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखेगा।
भारत
विरोध
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बातें
कर
फिर
नेपाल
जीत
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शर्मा
ओली?
जानिए
कैसे
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राष्ट्रवाद
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