इस कट्टरपंथी देश में मुस्लिम लड़कियों ने उतार डाला हिजाब, कई गिरफ्तार, क्या फिर होने वाली है क्रांति?
ईरान में महिलाओं के हिजाब पहनना अनिवार्य है और पुलिस प्रमुख शोजाई ने कहा कि, ‘देश में धार्मिक नियमों का पालन किए बिना किस भी तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर प्रतिबंध है'।
तेहरान, जून 25: एक वक्त आधुनिकता के लिबास से सजे कट्टरपंथियों के देश ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद पूरे देश में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया, लेकिन एक बार फिर से ईरान की लड़कियों ने अपने हक के लिए आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है और हिजाब को उतार फेंकना शुरू कर दिया है, जिसके खिलाफ पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है।
लड़कियों ने उतार फेंका हिजाब
ईरानी पुलिस ने दक्षिणी शहर शिराज में एक स्केटबोर्डिंग कार्यक्रम में हिजाब नहीं पहनने के लिए कई किशोर लड़कियों और कार्यक्रम के कई आयोजकों को हिरासत में लिया है। समाचार एजेंसी एएफपी ने अपनी रिपोर्ट की पुष्टि की है। राज्य की समाचार एजेंसी आईआरएनए ने शिराज के पुलिस प्रमुख फराज शोजाई के हवाले से कहा कि, 'कई लड़कियों ने धार्मिक विचारों और कानूनी मानदंडों का पालन किए बिना खेल आयोजन के अंत में अपना हिजाब हटा दिया।'
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वीडियो हो रहा है वायरल
ईरानी समाचार एजेंसी ने पुलिस प्रमुख शोजाई के हवाले से कहा है कि, इस्लामिक कोर्ट के सामने लड़कियों और आयोजकों को पेश किया गया और उनकी पहचान करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, ईरान में "गो स्केटबोर्डिंग डे" कार्यक्रम को लेकर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं और एक वीडियो में ईरानी लड़कियों को बिना हिजाब के देखा जा रहा है। शोजाई ने कहा कि, इन लड़कियों ने देश के इस्लामी कानून का उल्लंघन किया है और इसीलिए इनपर कार्रवाई की गई है।
हिजाब की पवित्रता के लिए मार्च
आपको बता दें कि, ईरान में महिलाओं के हिजाब पहनना अनिवार्य है और पुलिस प्रमुख शोजाई ने कहा कि, 'देश में धार्मिक नियमों का पालन किए बिना किस भी तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर प्रतिबंध है, लिहाजा आयोजकों को इसके लिए सख्त सजा दी जाएगी।' वहीं, शिराज शहर के गवर्नर ने कहा है कि, इस कार्यक्रम के आयोजन के पीछे का मकसद देश की धार्मिक और राष्ट्रीय नियमों को तोड़ना था, लिहाजा अब 15 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद 'हिजाब की पवित्रता' के लिए मार्च का आयोजन किया जाएगा।
1979 में हुई थी ईरान की क्रांति
आपको बता दें कि, ईरान में साल 1979 में इस्लामी क्रांति हुई थी, जिसके बाद ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था और देश में कानून है, कि महिलाओं को ऐसा हिजाब पहनना चाहिए जो बालों को छुपाते हुए सिर और गर्दन को ढके। लेकिन कई लोगों ने पिछले दो दशकों में अपने सिर को ढकने की अनुमति देकर सीमाओं को आगे बढ़ाया है और कई महिलाओं ने हिबाज के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है, जिनसे ईरान की पुलिस सख्ती से निपटती है। वहीं, ईरान में हिबाज के खिलाफ बढ़ती आवाजों ने इस्लामिक कट्टरपंथी शासन को चुनौती देनी शुरू कर दी है, लिहाजा सरकार काफी सख्ती से निपटने की कोशिश कर रही है।
क्यों हुई थी ईरान की क्रांति?
दरअसल, 1979 से पहले ईरान में शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी का शासन था, जो ईरान में आधुनिक शासन का स्थापना कर रहे थे और उन्होंने इस्लाम की कई रूढ़िवादिता को चुनौती दी थी, लिहाजा उन्हें लगातार कट्टरपंथियों की तरफ से चुनौती का सामना करना पड़ता था। जिसके खिलाफ शाह मोहम्मद रज़ा ने देश में इस्लाम की भूमिका कम करनी शुरू कर दी और उन्होंने ईरान के लोगों को पुरानी सभ्यता की तरफ मोड़ने की कोशिश शुरू कर दी और उन्होंने ईरान में पश्चिमीकरण को बढ़ावा देना शुरू कर दिया, जिससे देश के मुल्लाह चिढ़ गये और उन्हें अमेरिका का पिट्ठू बताकर उनके खिलाफ एक तरह से जंग का ऐलान कर दिया। साल 1978 में शाह मोहम्मद रज़ा के खिलाफ करीब 20 लाख से ज्यादा लोग शाहयाद चौक पर प्रदर्शन करने के लिए जमा हो गये और पुलिस ने लोगों पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद शाह मोहम्मद रज़ा ने अपने परिवार के साथ ईरान छोड़ दिया और ईरान में एक कट्टर शरियत कानून की स्थापना की गई और महिलाओं से तमाम अधिकार छीन लिए गये।
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