ईरान ने अमेरिका से मांगा 10 खरब डॉलर का हर्जाना, 1600 प्रतिबंधों से टूट चुकी है ईरानी अर्थव्यवस्था
ईरान ने अमेरिका से 10 खरब डॉलर यानि 1 ट्रिलियन डॉलर का मुआवजा मांगा है। ईरान ने कहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचा है।
तेहरान: ईरान ने अमेरिका से 10 खरब डॉलर यानि 1 ट्रिलियन डॉलर का मुआवजा अमेरिका से मांगा है। ईरान का कहना है कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गये एकतरफा प्रतिबंध की वजह से ईरान को 10 खरब डॉलर का नुकसान हुआ है, लिहाजा अमेरिका किसी भी तरह से ईरान को हुए नुकसान की भरपाई करे।
10 खरब डॉलर का हर्जाना
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने अमेरिका से हर्जाने की मांग उस वक्त की है जब अमेरिका ने ईरान के साथ 2015 न्यूक्लियर डील को फिर से बहाल करने और ईरान पर लगाए गये प्रतिबंधों पर ईरान और अमेरिका में वार्ता होने वाली है। ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि अमेरिका के साथ वार्ता में हम अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद हुए आर्थिक नुकसान का मुद्दा उठाएंगे और उस नुकसान की भरपाई की मांग अमेरिका से करेंगे। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि 'जब हम मिलेंगे हम हर्जाने की मांग करेंगे। चाहे वो हर्जाना हमें आर्थिक सुधार के तौर पर मिले या फिर इन्वेस्टमेंट के तौर पर या फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उठाए गये कदमों में सुधार करगे, लेकिन ईरान सबसे पहले हर्जाने की मांग करेगा'
आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 2018 में बेहद कड़ा प्रतिबंध लगा दिया था जिसके ईरान को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। खासकर ईरान की अर्थव्यवस्था को काफी मार पड़ी है। ऐसे में ईरानी विदेश मंत्री का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूक्लियर डील से पहले 800 प्रतिबंध ईरान पर थोप दिए थे और बाद में 800 नये सेंक्शन्स और ईरान पर लगा दिए थे और अगर अमेरिका ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत के लिए लौटना चाहता है तो पहले सभी प्रतिबंध हटाने होंगे।
ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में यूरोपीय देशों के अलावा चीन और रूस भी शामिल हैं। चीन और रूस के साथ ईरान के संबंध काफी अच्छे हैं मगर फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश ईरान के ऊपर से तभी प्रतिबंध हटाएगा जब अमेरिका प्रतिबंध हटाने की घोषणा करेगा। ऐसे में ईरान ने यूरोपियन देशों से कहा है कि वो अमेरिका को बातचीत के लिए राजी करे या फिर उन्हें ईरान के साथ मर्यादित तरीके से अपने संबंधों को विस्तार देने दे।
'हमें जो चाहिए था वो मिल गया'
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने कहा है कि अगर अमेरिका बातचीत में नाकामयाब रहता है और ईरान के ऊपर से कड़े प्रतिबंध नहीं हटाता है तो ईरान 2015 न्यूक्लियर डील समझौते के तहत अपना न्यूक्लियर प्रोग्राम जारी रखेगा। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2018 में प्रतिबंध लगाए जाने के बाद धीरे धीरे ईरान ने भी ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन से ईरान को धीरे धीरे बाहर निकाल लिया था। ईरान ने अमेरिका पर यह भी आरोप लगाया है कि कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के साथ ही मेडिकल साजो-सामान, कोरोना वैक्सीन ईरान भेजने से भी अमेरिका रोकने की कोशिश कर रहा है। साथ ही ईरान इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड से 5 बिलियन डॉलर का लोन लेना चाह रहा है मगर अमेरिका उसे भी रोकने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अगर अमेरिका चाहता है कि ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बात बने तो उसे ना सिर्फ ईरान पर लगाए गये प्रतिबंधों को बटाना होगा बल्कि एक लाख करोड़ का आर्थिक हर्जाना भी ईरान को देना होगा।