ईरान ने BRICS की सदस्यता के लिए आवेदन किया, भारत ने पाकिस्तान का काम बिगाड़ा!
चीन ने उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को ब्रिक्स में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में ईरान, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, इजरायल, बांग्लादेश और पकिस्तान जैसे देश शामिल हैं।
नई दिल्ली, जून 28: ईरान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया है और इसकी पुष्टि करते हुए एक ईरानी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि, ईरान ने ब्रिक्स के रूप में जानी जाने वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह में सदस्य बनने के लिए एक आवेदन जमा कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, ब्रिक्स समूह में ईरान की सदस्यता, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, 'दोनों पक्षों के लिए अतिरिक्त मूल्यों का परिणाम होगा'।
ईरान ने किया आवेदन
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने अलग से कहा कि, अर्जेंटीना ने भी ब्रिक्स ग्रुप में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। हालांकि, अर्जेंटीना के अधिकारियों से तत्काल टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका। ज़खारोवा ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर लिखा कि, 'जब व्हाइट हाउस सोच रहा था, कि दुनिया में और क्या बंद किया जाए, क्या प्रतिबंध लगाया जाए या क्या बिगाड़ दिया जाए, तब अर्जेंटीना और ईरान ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आवेदन किया है'। आपको बता दें कि, रूस लंबे समय से एशिया, दक्षिण अमेरिका और मध्य पूर्व के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने पर जोर दे रहा है, लेकिन उसने हाल ही में यूक्रेन पर अपने आक्रमण पर यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद रूस ने अपने प्रयासों को तेज कर दिया है।
चीन चाहता है ब्रिक्स का विस्तार
आपको बता दें कि, पिछले हफ्ते ही ब्रिक्स देशों की बैठक हुई है और उससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक में कहा था कि, 'चीन ने ब्रिक्स विस्तार प्रक्रिया शुरू करने, विस्तार के लिए मानदंड और प्रक्रियाओं का पता लगाने और धीरे-धीरे आम सहमति बनाने का प्रस्ताव रखा है।" यानि, चीन ने ब्रिक्स के साथी देशों के सामने ब्रिक्स के विस्तार का प्रस्ताव रखा है और चीन का ये प्रस्ताव इसलिए भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि रूस के पास अब चीन के प्रस्ताव से पीछे हटने का विकल्प बचा नहीं है और ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी चीन कर्ज में फंसे हुए हैं और भारत के दोस्त होने के बाद भी इन दोनों देशों के लिए चीन के खिलाफ जाना काफी मुश्किल है।
किन देशों को शामिल करने की मांग
चीन ने उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को ब्रिक्स में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में ईरान, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, इजरायल, बांग्लादेश और पकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। चीन ने पूरी तैयारी के साथ ब्रिक्स में उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को रखने का प्रस्ताव रखा है और एक्सपर्ट्स का मानना है कि, चीन ने अमेरिका को काउंटर करने के लिए ब्रिक्स प्लेटफॉर्म को चुना है और इसीलिए पिछले कुछ महीनों से भारत की लगातार तारीफ कर रहा है, ताकि इस साल के अंत में होने वाली बैठक में पीएम मोदी भी बीजिंग का दौरा करें, लेकिन चीन की तमाम कोशिशों के बाद भी पीएम मोदी ने चीन का दौरा नहीं किया। जिसके बाद ब्रिक्स की बैठक वर्चुअल की गई, जिसे इस साल चीन होस्ट कर रहा था। चीन ने कहा था, कि, वो ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों से इस प्रस्ताव पर बात करेगा और फिर सभी की सहमति के बाद ही फैसला किया जाएगा।
भारत ने पाकिस्तान को दिया झटका!
वहीं, पाकिस्तान ने भारत का नाम लिए बगैर कहा कि उसे 'एक देश' ने हाल ही में संपन्न हुए वैश्विक विकास पर उच्च स्तरीय वार्ता में भाग लेने से रोक दिया। पड़ोसी देश पाकिस्तान का इशारा भारत की तरफ था। दरअसल ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) दुनिया के पांच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक समूह है। इसकी हाल ही में एक वर्चुअल समिट हुई थी। पाकिस्तान का कहना था कि. इस समिट में एक गैर-सदस्य देश के तौर पर पाकिस्तान को भी भाग लेना था लेकिन 'एक देश' के कहने पर उसे इसमें भाग नहीं लेने दिया गया। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने सोमवार को पुष्टि करते हुए कहा कि पांच देशों के शिखर सम्मेलन ब्रिक्स के एक सदस्य ने गैर-सदस्य देशों के लिए बातचीत में पाकिस्तान की भागीदारी को ब्लॉक कर दिया था।
ब्रिक्स में शामिल होने से पाकिस्तान को फायदे
ब्रिक्स देश कई बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे, स्पेस सेक्टर में, टेक्नोलॉजी सेक्टर में और एग्रीकल्चर सेक्टर में लांच करते हैं और अगर पाकिस्तान को ब्रिक्स संगठन में शामिल किया जाता है, तो पाकिस्तान को इसका सीधा फायदा पहुंचेगा। इसके साथ ही ब्रिक्स बैंक से भी पाकिस्तान को काफी आसान शर्तों पर कर्ज मिल सकेगा। इसके साथ ही पाकिस्तान को सबसे बड़ा फायदा स्पेस सेक्टर में होगा, क्योंकि ब्रिक्स देश आने वाले वक्त में कई सैटेलाइट एक संयुक्त कार्यक्रम के तहत लांच करने वाले हैं और अगर पाकिस्तान को इसमें शामिल किया जाता है, तो पाकिस्तान को भी इसका फायदा होगा। लेकिन, सबसे बड़ा फायदा ये होगा, कि ब्रिक्स के अंदर भी चीन को अपने पक्ष में करने के लिए एक और देश का साथ मिल जाएगा और ब्रिक्स पर उसकी पकड़ काफी मजबूत हो जाएगी।
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