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भारत सरकार की विदेश नीति में बहुत बड़ा बदलाव, तालिबान के साथ बातचीत शुरू- अफगान मीडिया

अफगान की मीडिया की माने तो भारत सरकार ने अफगानिस्तान पर अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हु पहली बार भारत की तरफ से तालिबान के डिप्टी लीडर मुल्लाह घनी बरादर के साथ बातचीत डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए बातचीत शुरू की गई है।

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काबुल, जून 09: अफगानिस्तान पर भारत सरकार ने अपनी पॉलिसी में बहुत बड़ा बदलाव लाते हुए तालिबान ग्रुप के नेताओं के साथ बातचीत का डिप्लोमेटिक रास्ता खोल दिया है। ये पहली बार है जब भारत सरकार ने तालिबान से बातचीत का रास्ता खोला है। अभी तक भारत सरकार ने तालिबान को मान्यता नहीं दी थी और भारत सरकार सिर्फ अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार के साथ ही डिप्लोमेटिक रिश्ते बनाए रखने की हिमायती थी लेकिन अफगानिस्तान मीडिया ने दावा किया है कि भारत सरकार ने पहली बार तालिबान के साथ अपना डिप्लोमेटिक चैनल खोल दिया है।

तालिबान को भारत ने दी मान्यता ?

तालिबान को भारत ने दी मान्यता ?

अफगानिस्तान की मीडिया के मुताबिक भारत सरकार ने अफगानिस्तान पर अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया और पहली बार भारत सरकार की तरफ से तालिबान के डिप्टी लीडर मुल्लाह घनी बरादर के साथ बातचीत डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए बातचीत शुरू कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने पहली बार तालिबान से बातचीत की पहल की है। अब तक भारत सरकार तालिबान को एक राजनीतिक पार्टी नहीं मानता था, लेकिन माना जा रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने के साछ ही अफगानिस्तान में एक बार फिर से तालिबान का वर्चस्व स्थापित हो सकता है। वहीं, अफगानिस्तान की राजनीति में पाकिस्तान और चीन भी बड़े खिलाड़ी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत सरकार नहीं चाहती है अफगानिस्तान के मुद्दे पर वो पीछे रह जाए। वहीं, अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान पूरी दुनिया को ये संदेश देने में कामयाब रहा है कि अमेरिकी फौज उसे हरा नहीं पाई। बल्कि, अफगानिस्तान में अंतिम विजय तालिबान की हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से भारत सरकार तालिबान से बात कर रही है।

भारत की रणनीति में बड़ा बदलाव

भारत की रणनीति में बड़ा बदलाव

हालांकि, भारत सरकार और तालिबान की बातचीत को लेकर आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ने भी दावा किया है कि भारत सरकार और तालिबानी नेताओं के बीच डिप्लोमेटिक बातचीत शुरू हो गई है। इस बात को लेकर संभावना और भी प्रबल इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि पिछले महीने तालिबान की तरफ से बयान में कहा गया था कि तालिबान की वजह से भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक 'भारत सरकार की पॉलिसी में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। भारत सरकार के कुछ अधिकारियों का मानना है कि तालिबान के साथ कूटनीतिक रिश्ते बनाना भारत के लिहाज से अच्छा होगा।' वहीं, रिपोर्ट ये भी है भारत सरकार ने सिर्फ तालिबान से संपर्क साधा है, हक्कानी नेटवर्क और क्वेटा सुर्रा के साथ भारत सरकार ने अभी भी कोई बातचीत शुरू नहीं की है।

अफगानिस्तान में भारत

अफगानिस्तान में भारत

टोलो न्यूज के मुताबिक अफगानिस्तान के विकास में भारत ने पिछले कुछ सालों में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अफगानिस्तान के लोगों भारत से काफी जुड़े हुए हैं। खासकर पठान आबादी भारत के प्रति सद्भावना रखती है। टोलो न्यूज के मुताबिक पश्चिमी एशिया में अफगानिस्तान के विकास में भारत ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। भारत सरकार ने अफगानिस्तान के विकास के लिए 3 अरब डॉलर अब तक खर्च किए हैं और ये राशि चीन, रूस और ईरान के द्वारा अफगानिस्तान में चलाए जा रहे विकास कार्य से काफी ज्यादा है। वहीं, चीन, ईरान और रूस ने भी तालिबान से संपर्क बनाना शुरू कर दिया है। वहीं, हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के सूत्रों ने तालिबान के अलावा किसी और क्षेत्रीय संपर्क से किसी भी तरह का कोई संबंध बनाने से साफ इनकार कर दिया है। भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि हक्कानी नटवर्क और क्वेटा सुर्रा से भारत सरकार किसी भी तरह की कोई बातचीत नहीं करेगी। आपको बता दें कि क्वेटा सुर्रा और हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तानी आर्मी के द्वारा बनाए गये संगठन हैं, जो अफगानिस्तान की शांति को लंबे अर्से से बर्बाद कर रहे है।

पाकिस्तान की लगेगी मिर्ची

पाकिस्तान की लगेगी मिर्ची

तालिबान और पाकिस्तान के बीच के संबंध किसी से छिपे नहीं है। ऐसे में अगर भारत सरकार तालिबान से अपने राजनीतिक रिश्ते कायम करती है तो उससे पाकिस्तान को मिर्ची लगना तय है। मार्च महीने में जब भारत को भी अमेरिका ने अफगानिस्तान शांति वार्ता में शामिल किया था, उस वक्त पाकिस्तान ने इसका विरोध किया था। पाकिस्तान ने कहा था कि अफगानिस्तान शांति वार्ता में सिर्फ उन्हीं देशों को शामिल होना चाहिए, जिनकी सीमा रेखा अफगानिस्तान के साथ लगती हैं। लेकिन, अमेरिका ने पाकिस्तान के विरोध को खारिज करते हुए भारत को शांति वार्ता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया था। आपको बता दें कि 11 सितंबर तक अमेरिका की सेना को अफगानिस्तान से बाहर निकलना है और अमेरिकन फौज के अफगानिस्तान से निकलने के बाद नाटो की सेना भी अफगानिस्तान से बाहर निकल जाएगी।

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English summary
Making a big change in Afghan policy, the Indian government has started talks with the Taliban. It has been claimed that talks are going on between the Indian government and the Taliban for the last few months.
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