एक साथ आए भारत, इजरायल, UAE और अमेरिका, क्या ईरान के खिलाफ दूसरे QUAD का होगा गठन?
भारतीय विदेश मंत्री इजरायल के दौरे पर हैं, जहां इजरायली विदेश सचिव ने कहा कि, भारत को अरब देशों के बीच अपनी भूमिका को बड़ी करनी चाहिए।
नई दिल्ली, अक्टूबर 18: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस वक्त इजरायल के दौरे पर हैं और उनके इजरायल का दौरा संयुक्त अरब अमीरात के दौरे के बाद हो रही है। इसके साथ ही इजरायल में कुछ ऐसे संकेत बन रहे हैं, जिससे पता चलता है कि एक और क्वाड का गठन होने की दिशा में चार देश एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। इन चारों देशों के नाम हैं, भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरा और अमेरिका।
इजरायल की पेशकश
भारतीय विदेश मंत्री के दौरे के दौरान इजरायल ने अपनी ख्वाहिश जताई है कि, भारत अब अरब दुनिया के साथ मिलकर मध्य पूर्नव में बनते नये राजनीतिक परिदृश्यों के बीच एक बड़ी भूमिका निभाए। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की तेल अवीव यात्रा की पूर्व संध्या पर इजराइल के विदेश सचिव एलोन उशपिज ने एक विशेष बातचीत में टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि, ''हम इस पर बहुत ध्यान देना चाहते हैं कि मध्य पूर्व में नई स्थिति का भारतीय परिदृश्य कैसा हो सकता है? हम उभर रहे नये अवसरों में भारत को कैसे शामिल कर सकते हैं? आम तौर पर यह क्षेत्र खतरों और चुनौतियों से भरा हुआ है। लेकिन पिछले वर्ष में, मैंने अब्राहम अकॉर्ड के कारण मध्य पूर्व में नाटकीय रूप से परिवर्तित परिदृश्य देखा है। यह वास्तव में एक रणनीतिक भूकंप है।" इजरायली विदेश मंत्री ने इजरायल और यूएई के बीच डिप्लोमिट संबंध स्थापित होने के लिए ये बात कही और उन्होंने खाड़ी देशों में भारतीय भूमिका को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की।
भारत इजरायल संबंध
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इजरायल यात्रा प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की सरकार के गठन के बाद पहली बार भारत के साथ उच्च-स्तरीय बैठक होने वाली है, लिहाजा इजरायल में भारतीय विदेश मंत्री के दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इजरायली मीडिया इसे प्रमुखता से स्थान दे रहा है। खासकर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच काफी अच्छे संबंधों की वजह से भारत और इजरायल के संबंध अभूतपूर्व हो गये। लिहाजा, भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर की ये यात्रा भारत के सबसे करीबी दोस्त बन चुके इजरायल को लेकर एक अलग दिशा में बढ़ सकते हैं, इसलिए जयशंकर की जब इजरायली विदेश मंत्री यायर लैपिड के साथ बैठक होगी, तो इसपर पूरी दुनिया की नजर होगी।
क्वाड का जिक्र कैसे आया?
इजराइल के विदेश सचिव एलोन उशपिज ने कहा है कि, क्वाड के गठन के समय इजरायल से किसी भी तरह का कोई संपर्क साधा ही नहीं गया और कोरोना वायरस वैक्सीन, टेक्नोलॉजी, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के ब्लॉक को फोकस करने वाली क्वाड जैसे किसी ग्रुप के साथ इजरायल को जुड़ने में काफी खुशी होगी और अगर आगे भी ऐसा कोई ग्रुप बनता है, तो इजरायल इसमें जुड़ना चाहेगा। इजरायल के विदेश सचिव ने कहा कि, मुझे इन सभी मुद्दों पर भारत के साथ अपना सहयोग गहरा करने में बहुत खुशी होगी। लेकिन... क्वाड में से किसी ने भी हमारे दरवाजे पर दस्तक नहीं दी है।"
आर्थिक समृद्धि का रास्ता है टेक्नोलॉजी
इजरायल के विदेश मंत्री एलोन उशपिज ने कहा कि, द्विपक्षीय संबंधों की अगली सीमा बिग डेटा, टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य देखभाल और कम्यूनिकेशन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि, "जब तकनीक की बात आती है तो नए मोर्चे खुलते हुए दिखाई देते हैं, और हम इसमें गायब नहीं होते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), क्वांटम कंप्यूटिंग, बिग डेटा, ये सभी चीजें जो हमारे सुरक्षा सहयोग और आर्थिक समृद्धि का हिस्सातो हैं ही, इसके साथ ही ये हमारे लोगों को सुरक्षा और स्थिरता भी प्रदान करती हैं।" उन्होंने कहा कि, "जब टेक्नोलॉजी के नये क्षेत्र की बात आती है, तो हमें बहुत सख्त होना होगा''। उन्होंने कहा कि, मेरे दिमाग में कोई संदेह नहीं है कि टेक्नोलॉजी आसानी से राष्ट्रों के आर्थिक भाग्य का फैसला कर सकती है''।
इजरायल के लिए क्वाड जरूरी क्यों?
इजरायल, अमेरिका और यूएई, तीनों ही देशों के लिए ईरान का मुद्दा काफी अहम है औऱ तीनों की नजर में ईरान उनके लिए बड़ी चुनौती है। ईरान और सऊदी अरब भी एक दूसरे के खिलाफ रहते हैं। इजरायली विदेश सचिव ने कहा कि, ईरान परमाणु क्षमता रखने के लिए दृढ़ है और ईरान हर उस वादे को तोड़कर परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो उसने इंटरनेशनल कम्यूनिटी से किए हैं। उन्होंने कहा कि, 'ईरान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कड़ी प्रतिक्रियाओं को भी नजरअंदाज कर देंगे'। इजरायल के लिए ईरान सबसे बड़ा सुरक्षा का मुद्दा है और ये मुद्दा सऊदी अरब और यूएई के लिए भी काफी बड़ा है। ईरान की वजह से ही सऊदी अरब और यूएई ने इजरायल के साथ डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित किए हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि, क्या भारत ईरान के खिलाफ बने किसी 'क्वाड' में शामिल होगा?
भारत-ईरान संबंध
खाड़ी देशों के लिए ईरान सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत और ईरान के संबंध अलग तरह के हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद जब भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है, उसके बाद भी ईरान और भारत के संबंध काफी मजबूत हैं। अफगानिस्तान मुद्दे पर भी ईरान ने भारत का साथ दिया है, वहीं ईरान में नई सरकार के गठन होने के बाद भारतीय विदेश मंत्री उन वैश्विक नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने ईरान का दौरा किया था। ईरान के लिए भी भारत से संबंध मजबूत बनाए रखना महत्वपूर्ण है, वहीं ईरान में भारत ने चाबहार पोर्ट का निर्माण किया है, जहां से भारत को मध्य यूरोप जाने का रास्ता मिलता है और भारत को पाकिस्तान पर रास्ते के लिए निर्भर नहीं होना पड़ता है। लिहाजा, भारत ऐसे किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं बनना चाहेगा, जो ईरान के खिलाफ हो।
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