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अगर युद्ध हुआ तो कितना ख़तरनाक होगा उत्तर कोरिया?

आप जानना चाहते हैं कि अगर उत्तर कोरिया के साथ युद्ध हुआ तो नतीजे क्या होंगे.

By BBC News हिन्दी
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उत्तर कोरियाई सेना
KCNA VIA KOREAN NEWS SERVICE/AFP/Getty Images
उत्तर कोरियाई सेना

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगना जारी है तो दूसरी तरफ़ उसका मिसाइल परीक्षण भी थम नहीं रहा है. हर एक प्रतिबंध के बाद उत्तर कोरिया और आक्रामक होकर सामने आता है. शुक्रवार तड़के उत्तर कोरिया ने एक और मिसाइल जापान की तरफ़ दागी. जापानी पीएम शिंज़ो अबे भारत के दौरे पर हैं उत्तर कोरिया ने यह क़दम उठाया है.

कोरियाई प्रायद्वीप पहले भी युद्ध झेल चुका है. 1950 में उत्तर कोरिया के मौजूदा सुप्रीम नेता किम जोंग उन के दादाजी किम इल सुंग ने दक्षिण कोरिया पर हमला करने का फ़ैसला लिया था.

किम जोंग उन
Getty Images
किम जोंग उन

अमरीका ने मामले में मध्यस्थता करने की कोशिश की ताकि युद्ध को रोका जा सके. तनाव तीन साल तक जारी रहा और इससे जन-धन दोनों का ही भारी नुक़सान हुआ.

छह दशक बाद आज इस प्रायद्वीप में फिर से एक अलग तरह का तनाव देखने को मिल रहा है. अपने परमाणु परीक्षणों से किम जोंग उन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चुनौती दे रहे हैं.

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किम जोंग उन
Getty Images
किम जोंग उन

इस महीने की शुरूआत में उत्तर कोरिया ने सफ़ल इंटरक़ॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण किया और दावा किया कि ये मिसाइलें अलास्का तक हमला कर सकती हैं.

इसके तुरंत बाद अमरीकी विदेश मंत्री ने इस बारे में बयान जारी कर इस परीक्षण की कड़ी निन्दा की और कहा, "इस मिसाइल का परीक्षण करने से अमरीका, हमारे सहयोगियों, इस क्षेत्र और सारी दुनिया के लिए ख़तरा और बढ़ गया है."

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उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण
AFP/Getty
उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण

कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगले तीन सालों के भीतर उत्तर कोरिया ऐसे मिसाइल बना लेगा जो लॉस एंजिल्स शहर तक पहुंचने में सक्षम होंगे.

इधर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भी चेतावनी दी है कि तनाव जारी रहा तो उत्तर कोरिया के साथ "एक बड़े संघर्ष" की संभावना है.

अगर इस प्रायद्वीप में मौजूदा टकराव की स्थिति बढ़ी तो क्या होगा, ख़ास कर तब जब विश्व की बड़ी परमाणु शक्तियों की दिलचस्पी इस प्रायद्वीप में है?

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उत्तर कोरिया का पहला युद्ध

उत्तर कोरिया की सेना
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उत्तर कोरिया की सेना

1950 में कोरिया का युद्ध शुरू हुआ. उस वक्त विश्व की महाशक्तियां अमरीका और सोवियत संघ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व के कई देशों की तरह अपने पुनर्गठन में लगे थे.

प्रायद्वीप के उत्तरी हिस्से पर सोवियत संघ ने कब्ज़ा कर लिया था जबकि अमरीका दक्षिणी हिस्से पर सैन्य मदद दे रहा था.

जून 25 को सोवियत संघ और चीन से समर्थन ले कर उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर धावा बोल दिया. अमरीका ने 'कम्युनिस्टों के हमले' का सामना करने के लिए दक्षिण कोरिया में अपनी सेनाएं भेजीं.

अमरीका की मदद से दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल को दो महीनों के भीतर आज़ाद भी करा लिया गया. लेकिन प्रायद्वीप को एक करने के लिए अमरीका की अपनी सेनाओं को उत्तर की तरफ़ भेजने के फ़ैसले का चीन ने कड़ा विरोध किया.

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सभी पक्ष एटम बमों और परमाणु बमों की बातें करने लगे. जल्दी ही कोरिया प्रायद्वीप को एक करने के लिए शुरू की गई मुहिम तीसरे (परमाणु ) विश्व युद्ध बनने की कग़ार पर पहुंच गई.

तीन साल के तनाव के बाद मामला शांत हुआ और वो भी बिना किसी औपचारिक शांति समझौते के. इलाके में जो बाकी बचा वो थी तबाही.

कोरिया का युद्ध
Getty Images
कोरिया का युद्ध

अमरीका की ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए में कोरियाई मामलों की जानकार सू टेरी बताती हैं, "लाखों कोरियाई नागरिक मारे गए, क़रीब एक लाख़ बच्चे अनाथ हुए, एक करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा."

वो कहती हैं, "प्योंगयांग पूरी तरह तबाह हो चुका था. एक भी इमारत नहीं बची थी जो आपको सही सलामत दिख जाए."

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फिर एक युद्ध हुआ तो...

27 जुलाई 1953 को दोनों पक्षों ने अस्थायी तौर युद्धविराम पर हस्ताक्षर करने का फ़ैसला लिया. लेकिन कहा जाए तो आज 64 साल बाद भी दोनों देश युद्ध जैसे माहौल में उलझे हुए हैं.

किम जोंग उन
AFP/Getty
किम जोंग उन

इस इलाके में शत्रुता बढ़ रही है. उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच तनाव बढ़ रहा है. इस पर कुछ जानकारों का मानना है कि हल्की-सी चूक हुई तो फिर से युद्ध शुरू हो सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ जॉर्जटाउन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज़ में विश्लेषक और अमरीकी सेना के कर्नल रहे डेविड मैक्सवेल का कहना है, "दोनों देशों के बीच मौजूद विसैन्यीकृत (डीमिलिटराइज़्ड) इलाका आज विश्व का सबसे अधिक हथियारों से भरा इलाका है."

वो कहते हैं, "उत्तर कोरिया की सेना में 11 लाख कर्मचारी हैं और इनमें से 70 फ़ीसदी राजधानी और इस डीमिलिटराइज़्ड इलाके के बीच तैनात हैं."

जानकारों का मानना है कि उत्तर कोरिया के पास 60 लाख सैनिकों की सेना है जिसका इस्तेमाल ज़रूरत पड़ने पर किया जा सकता है."

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डेविड कहते हैं, "मुझे लगता है कि ये दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है."

डेविड मानते हैं कि उत्तर कोरिया के हाल में किए परमाणु परीक्षण और मिसाइल लांच से अमरीका पर हमले की संभावना बढ़ गई है.

"अगर किम जोंग-उन हमला करना चाहें तो उत्तर कोरिया के कमांडर आग बरसाने के आदेश दे सकते हैं और दक्षिण कोरिया में भारी तबाही ला सकते हैं."

उत्तर कोरियाई सेना
Getty Images
उत्तर कोरियाई सेना

जानकारों के अनुसार, "पहले कुछ घंटों में सैंकड़ों हज़ारों मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं जो सियोल को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर सकती हैं."

कुछ मिनटों में मिसाइलें उत्तर कोरिया से सियोल पहुच जाएंगी. यहां ढाई करोड़ लोग रहते हैं और इतने लोगों को बचा कर सुरक्षित स्थान पर ले जाना संभव नहीं होगा.

डेविड कहते हैं, "अनुमानों की मानें तो युद्ध के पहले ही दिन 64 हज़ार तक मौतें हो सकती हैं. जिस तरह की हानि होगी उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते."

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साल 1950 की तरह उत्तर कोरिया चाहेगा कि वो अपनी सेनाओं को दक्षिण की तरफ़ भेज कर दक्षिण कोरिया के साथ समझैता करे और कोरियाई प्रायद्वीप को एक करके अपने नियंत्रण में रखे.

उस वक्त उत्तर कोरिया नहीं चाहता था कि इस मामले में अमरीका दक्षिण कोरिया की मदद के लिए आए. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और अमरीका तुरंत सियोल की मदद के लिए मध्यस्थता करने के लिए तैयार है.

अमरीका कैसे करेगा हस्तक्षेप

अमरीका का टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम
EPA
अमरीका का टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम

एंजेलो स्टेट यूनिवर्सिटी में डिपार्टमंट ऑफ़ स्टडीज़ सिक्योरिटी एंड क्रिमिनल जस्टिस में प्रोफ़ेसर ब्रूस बेच्टोल कहते हैं, "अमरीका दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया के कब्ज़े में कभी नहीं जाने देगा."

पेंटागन में उत्तर पूर्व एशिया मामलों के जानकार बेच्टोल कहते हैं, "युद्ध हुआ तो पहले हफ़्ते में हमारे पायलटों के लिए काफ़ी काम होगा. हमारी पहली कोशिश होगी कि हवाई ताकत का पूरा इस्तेमाल उत्तर कोरिया को आगे बढ़ने से रोकने में करें और हम भारी हथियारों की खेप के पहुंचने का इंतज़ार करें. जैसे-जैसे इलाके में अमरीकी सैन्य सहायता बढ़नी शुरू होगी हमारे लड़ाकू विमान उत्तर कोरिया पर बमबारी करेंगे.''

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लेकिन जैसे-जैसे उत्तर कोरिया अमरीका सेना के दवाब में आएगा चीज़ें बदतर हो सकती हैं और ये युद्ध परमाणु युद्ध में बदल सकता है.

बेच्टोल कहते हैं, "जब किम जोंग उन और उनके 5000 क़रीबी सहयोगियों को इस बात का एहसास होगा कि उनके पास देश छोड़ कर जाने का वक्त नहीं हैं तो उनके पास परमाणु हथियार नहीं इस्तेमाल करने और हज़ारों-लाखों अमरीकियों को ना मारने की कोई वजह नहीं रहेगी."

वो कहते हैं, "इस तरह के हालात में कोई भी उस तरह के मिसाइल इस्तेमाल करेगा जो हाल में उत्तर कोरिया ने टेस्ट किए हैं."

दक्षिण कोरियाई सेना
Getty Images
दक्षिण कोरियाई सेना

इस युद्ध में परमाणु हथियार वाइल्ड कार्ड की तरह होंगे. लेकिन अगर इनका इस्तेमाल ना भी हुआ तब भी इस इलाके में पारंपरिक युद्ध भयावह होगा और जानोमाल की भारी हानि होगी.

ब्रूस बेच्टोल कहते हैं, "अंदाज़न कहूं तो पहले हफ्ते में तीन से चार लाख लोगों की मौत हो सकती है, या फिर शायद 20 लाख लोगों की."

लेकिन युद्ध इतने में ख़त्म नहीं होगा. बीते युद्ध की तरह इस बार उत्तर कोरिया की सरकार को सत्ता में रहने नहीं दिया जाएगा और इस युद्ध के बाद ज़ोर-शोर से कोरियाई प्रायद्वीप को एक करने की कोशिश होगी.

बदलाव का समय

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में एशिया की राजनीति और आर्थिक मामलों में प्रोफ़ेसर बाल्बीना ह्वांग कहती हैं, "लेकिन इस युद्ध का सबसे भयानक समय होगा बदलाव का समय."

"हमें नहीं पता कि अकेला दक्षिण कोरिया इस परिस्थिति का सामना कर भी पाएगा या नहीं." बाल्बीना अमरीकी विदेश विभाग में युद्ध के बाद की परिस्थितियों के विश्लेषण पर काम कर चुकी हैं.

दक्षिण कोरिया का जंगी जहाज़
Getty Images
दक्षिण कोरिया का जंगी जहाज़

वो कहती हैं, "हम यहां 6 से 7 करोड़ लोगों की बात कर रहे हैं. सियोल और अन्य शहरों में ढाई करोड़ लोग रहते हैं. इंसान हिंसा से बच कर भागने की कोशिश करता है और ऐसे में आप और दो करोड़ लोगों को भी केंद्र में रखें जो उत्तर कोरिया से भाग कर 'आज़ाद' होने के लिए दक्षिण कोरिया की तरफ़ आ सकते हैं."

"इनमें भूखे और घर-बार खो चुके लोग होंगे और वो भी होंगे जो लड़ना जानते हैं, लेकिन किसी तरह ज़िंदा रहना चाहते हैं."

1950 के युद्ध के बाद उत्तर और दक्षिण कोरिया फिर अपने पैरों पर खड़े हुए थे.

उत्तर कोरिया का सैन्य अभ्यास
EPA
उत्तर कोरिया का सैन्य अभ्यास

बाल्बीना मानती हैं कि दोनों देश एक हो सकते हैं, लेकिन वो कहती हैं कि कम समय में ऐसा करने की कोशिश की गई तो परिणाम चिंताजनक होंगे.

जानकारों के अनुसार अगर चीन और रूस भी इस मसले में कूद पड़े तो क्या होगा उस परिस्थिति के बारे में फ़िलहाल चिंता नहीं की जा रही है.

इसीलिए निश्चित तौर पर कहा नहीं जा सकता कि युद्ध हुआ तो ये कितने बड़े पैमाने पर होगा, लेकिन निश्चित तौर पर ये ज़रूर कहा जा सकता है कि ये भयानक होगा.

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English summary
If there is a war with North Korea then what will be the consequences?
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