क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

'मर जाऊंगी लेकिन अपना हिंदू धर्म नहीं छोड़ूंगी'

पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का इस्लाम के नाम पर धर्म परिवर्तन आम बात है. पढ़िए ये विशेष रिपोर्ट.

By इरम अब्बासी - बीबीसी उर्दू, मीरपुर ख़ास, पाकिस्तान
Google Oneindia News
अंजू
BBC
अंजू

पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार तीन महीने गुज़र जाने के बावजूद अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए लागू कराए जाने वाले बिल क्रिमनल लॉ अधिनियम वर्ष 2015 को विधानसभा में पेश करने में विफल रही है.

सिंध विधानसभा ने इस विधेयक के मसौदे को पिछले साल सर्वसम्मति से पारित किया था, लेकिन कट्टरपंथी धार्मिक समूहों की ओर से विरोध के बाद इस विधेयक को यह कहकर वापस ले लिए गया था कि इसमें अधिक संशोधन की गुंजाइश है.

अधिकांश सांसदों का मानना है कि सिंध सरकार एक ओर रूढ़िवादी समूहों के दबाव के कारण इस बिल पर दोबारा चर्चा शुरू करने से कतरा रही है तो दूसरी ओर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों में दहशत बढ़ गई है.

विशेषज्ञों के अनुसार सरकार की ओर से इस विधेयक को वापस लेने के निर्णय ने एक बार फिर उनके संसदीय और असंसदीय तत्वों की ताक़त को ज़ाहिर किया है जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी करते हैं.

अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता राधा बहेल के अनुसार मीरपुर ख़ास जिले में पिछले तीन महीने में तीन हिंदू लड़कियों के ज़बरन धर्म परिवर्तन कराने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

पाकिस्तान में हिंदू होने का मतलब.-

क्यों डरे हुए हैं पाकिस्तान के हिंदू-

बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा 'हमें उम्मीद हो चली थी कि अब हमारी हिंदू लड़कियों को सुरक्षा मिलेगी. इस्लाम के नाम पर अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों का अपहरण कर ज़बरन शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराने वालों को सज़ा मिलेगी. लेकिन यह उम्मीद बहुत जल्द ही दम तोड़ देगी. इस विधेयक को वापस लेने के सरकारी फ़ैसले ने ग़ैर मुस्लिम लड़कियों का जीवन और अधिक कठिन बना दिया है. हिंदू न सिर्फ़ निराश हैं बल्कि पहले से ज़्यादा डरे हुए भी हैं."

राधा कहती हैं 'हिंदू अपना अधिकार सरकार से ही मांग सकते हैं और अगर सरकार इन ताकतों के सामने घुटने टेक देती है, कमज़ोर पड़ जाती है तो इस अत्याचार को होने से कौन रोकेगा? सरकार की कमज़ोरी ऐसे अपराध करने वालों को अधिक ताक़त देगी."

मीरपुर ख़ास से डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित एक गांव निवासी अंजू अपने मुसलमान अपहरणकर्ताओं की हिंसा सहने के बाद हाल ही में घर लौटी हैं. अंजू का पांच मुसलमान पुरुषों ने अपहरण कर लिया था. उसे कुछ महीने क़ैद में रखा गया ताक़ि धर्म परिवर्तन किया जा सके. अदालत की दख़ल के बाद ही अंजू वापस अपने गांव लौट सकी हैं.

पाकिस्तानः हिंदू शादी से जुड़ा बिल पास

भारत पाकिस्तान से सीखे या उस जैसा बन जाए

राधा बहेल
BBC
राधा बहेल

16 साल की उम्र में अंजू को शोख़ और चंचल होना चाहिए था, लेकिन उनका चेहरा फीका था. अपनी आपबीती सुनाते हुए भी उनकी आँखों में नमी न थी जैसे रोने के लिए उनके पास आंसू ही नहीं बचे हों.

वह बोलीं, ''मैं अपनी अम्मी के साथ खेतों में घास लेने गई थी. पांच लोग बंदूक लेकर आए और बोले कि हमारे साथ चलो अन्यथा गोली मार देंगे. मैं डर के मारे चली गई. वे मुझे बहुत दूर लेकर गए और एक घर में जाकर रस्सियों से बांध दिया.'

अंजू का कहना था तीन चार महीनों तक उन्हें बहुत पीटा गया और ज़्यादती की गई. ''बोलते थे कि इस्लाम अपना लूं अन्यथा नहीं छोड़ेंगे, लेकिन मैंने कहा कि मैं मर जाऊँगी, लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ूंगी.''

पाकिस्तान में ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सिंध विधानसभा के पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ़) के सदस्य नंद कुमार ने क्रिमनल लॉ एक्ट 2015 पेश किया था. और जब पिछले साल नवंबर में यह बिल पारित हो गया तो उसके बाद उन्हें धमकियां मिलने का सिलसिला शुरू हो गया. उन्होंने पुलिस को सूचित किया कि इस विधेयक के पारित होने के बाद उनकी जान को ख़तरा है. वह बात करने से भी घबराते हैं.

यही नहीं संसद के अंदर और बाहर भी रूढ़िवादी समूह इस विधेयक को रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए. इसके बाद से सिंध विधानसभा के सदस्य इस पर बात करने से भी डरते हैं.

पाकिस्तान का हिंदू क्रिकेटर पैसे को मोहताज

पेशावर में शवों को दफ़नाने पर मजबूर हिंदू

पाकिस्तान में हिंदू
Getty Images
पाकिस्तान में हिंदू

इसका विरोध करने वाली संस्था 'इस्लामी' के सदस्य शज़ाउद्दीन शेख ने कहा कि, "18 साल से कम उम्र के किसी लड़के या लड़की के इस्लाम अपनाने पर पाबंदी के बारे में तमाम दीनी ज़मातों और उलेमाओं की एक राय है कि ये इस्लाम के ख़िलाफ़ है. तो कोई मुसलमान ये कैसे बर्दाश्त कर सकता है कि इस बिल के ज़रिए लोगों के अपनी मर्ज़ी से इस्लाम अपनाने पर पाबंदी लगा दी जाए?''

तो फिर इस्लाम के नाम पर अंजू के साथ होने वाली ज़्यादती को कैसे रोका जाए? इसके लिए उनके पास कोई व्यापक रणनीति नहीं है.

एक संगठन मूवमेंट फ़ॉर सॉलिडैरटी एंड पीस के अनुसार, ''पाकिस्तान में हर साल एक हज़ार गैर मुस्लिम लड़कियों को ज़बरन इस्लाम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जाता है और संघ सरकार की इसे रोकने की कोशिशों को संसद के भीतर और बाहर बैठे अतिवादी समूह और धार्मिक दलों ने कुचल दिया है.''

विशेषज्ञों के मुताबिक इस बारे में संसद के कमज़ोर और रूढ़िवादी समूहों के ताक़तवर होने के कारण इस्लाम के नाम पर ग़ैर मुस्लिम लड़कियों के साथ बलात्कार या ज़बरन शादी की घटनाओं में बढ़ोत्तरी होगी.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
I will die but will not leave my Hindu religion
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X