2010 में ओबामा ने सुन ली होती सीरिया की तो आज हालात होते अलग
वाशिंगटन। सितंबर में यूनाइटेड नेशंस की जनरल एसेंबली के दौरान रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की आंखों में आंखे डालकर सीरिया के हालातों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था। पुतिन की बात पर अमेरिका और ओबामा को मिर्ची जरूर लगी थी लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है।
अब थामे नहीं थम रहा आतंकवाद
विकीलीक्स ने अपनी साइट पर कुछ केबल्स को रिलीज किया है। इस केबल के जरिए विकीलीक्स ने दावा किया है कि अगर राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फरवरी 2010 में सीरिया की ओर से आया एक अनुरोध मान लिया होता तो शायद आज आईएसआईएस न होता और दुनिया के हालात कुछ अलग ही होते। आपको बता दें कि मार्च 2011 को सीरिया में संघर्ष की शुरुआत हुई और आज तक इसका अंत नजर नहीं आ रहा है।
क्या है विकीलीक्स केबल्स में
विकीलीक्स ने जो केबल्स रिलीज किए हैं उनमें 24 फरवरी 2010 का जिक्र है। इस केबल के मुताबिक सीरियन इंटेलीजेंस जनरल डायरेक्टर यानी जीआईडी जनरल अली मामलोउक ने 18 फरवरी को एक मीटिंग में शिरकत की थी।
यह मीटिंग सीरिया के उप विदेश मंत्री फैसल अल-मिकदाद और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई थी। अमेरिका का नेतृत्व डैनियल बेंजामिन कर रहे थे।
कई दौर की मुलाकात के बाद मीटिंग में मामलोउक ने अमेरिका से स्पष्ट कहा था कि सीरिया अमेरिका और दूसरे देशों की तुलना में इस क्षेत्र में मौजूद आतंकी संगठनों से बेहतर तरीकों से निबटने के तरीकों को जानता है।
सीरिया
के
पास
था
एक
ब्लूप्रिंट
मामलोउक
ने
एक
ब्लूप्रिंट
अमेरिका
के
सामने
रखा
था।
उन्होंने
कहा
था
कि
अगर
सीरिया
और
अमेरिका
एक
दूसरे
का
सहयोग
करें
तो
दोनों
देशों
को
बेहतर
नतीजे
हासिल
हो
सकते
हैं।
उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि इराकी बॉर्डर की सुरक्षा वह विषय है जिस पर अमेरिका और सीरिया एक दूसरे के साथ आ सकते हैं।
उन्होंने कहा था कि सीरिया बॉर्डर की सिक्योरिटी पर बातचीत को आगे बढ़ाने को तैयार है। लेकिन दोनों देशों को इराक में होने वाले चुनावों का इंतजार करना पड़ेगा।
मार्च 2011 में इराक में चुनाव होने वाले थे। सीरिया ने अमेरिका को साफ कहा था कि वह विदेशी आतंकियों से अपने तरीके से लड़ाई करेगा।
आतंकियों पर नियंत्रण के लिए मांगी थी मदद
अमेरिका ईराक से आने वाले विदेशी आतंकियों पर लगाम लगाने की बात सीरिया से कर रहा था। सीरिया ने कहा कि उसे बाकी देशों से मदद की जरूरत होगी, खासतौर पर उन देशों से जहां से आतंकी सीरिया में आ रहे हैं।
सीरिया ने अमेरिका से मदद की मांग करते हुए कहा कि अगर हम आतंकियों की पनाह वाले देशों के करीब पहुंच जाएं तो हमें आतंकियों को रोकने में सफलता मिल सकेगी।