पाकिस्तान में ग़ैर मुस्लिम दिवस को मुस्लिम बनाने का तरीक़ा- ब्लॉग
वेलेंटाइन डे की बुराइयों के बारे में कुछ ऐसी ही ख़बरें जनवरी शुरू होते ही भारत और इसराइल से भी मिलनी शुरू हो जाती हैं जिससे मेरे मन में शक पैदा होने लगता है कि वेलेंटाइन डे पश्चिम के नंगे कल्चर का प्रतीक हो न हो मगर मुस्लिम, हिंदू, यहूदी अतिवाद की एकता का निशान ज़रूर बन चुका है.
लिखना तो मुझे ये कॉलम 14 फरवरी को था मगर क्या करूं हमारे यहां जनवरी आते ही वेलेंटाइन डे शुरू हो जाता है और 14 फरवरी तक चलता रहता है.
मुझे साल के 11 महीने याद नहीं रहता कि वेलेंटाइन डे क्या होता है?
मगर हर जनवरी में कोई न कोई मौलाना, कोई जोशीला कर्मचारी, जज या नेता याद दिला ही देता है कि अगले महीने की 14 तारीख़ को जो वेलेंटाइन डे आ रहा है उसका इस्लामिक परंपरा और हमारी पूर्वी संस्कृति से कोई लेना देना नहीं.
2016 में उस वक़्त के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने हमें याद दिलाया कि वेलेंटाइन डे गोरे लोगों की ईजाद है और हमें ये दिवस मनाना शोभा नहीं देता.
हालांकि राष्ट्रपति से किसी ने कभी नहीं पूछा कि वेलेंटाइन डे पर आपके क्या विचार हैं और ये कि अगर 14 फरवरी गोरों की ईजाद है तो फरवरी, मार्च, अप्रैल का कैलेंडर किसकी ईजाद है?
2017 और 18 में और किसी को याद नहीं रहा तो इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शौकत अजीज सिद्दकी ने कहा- ख़बरदार जो किसी ने वेलेंटाइन डे मनाया या किसी चैनल पर इसके बारे में कोई बात हुई या कोई इश्तेहार चला.
फिर शौकत अजीज सिद्दकी रिटायर हो गए.
ग़ैर मुस्लिम डे को मुस्लिम बनाने का तरीक़ा
मगर कल फ़ैसलाबाद की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने एलान कर दिया कि हम 14 फरवरी को यूनिवर्सिटी में वेलेंटाइन डे की जगह बहनों का दिन मनाएंगे और छात्राओं को यूनिवर्सिटी की तरफ से अबा और स्कार्फ का तोहफा दिया जाएगा.
इस तरह एक ग़ैर मुस्लिम दिवस को मुस्लिम दिवस बना दिया जाएगा.
फ़ैसलाबाद यूनिवर्सिटी अपनी शिक्षा और रिसर्च की वजह से शायद किसी को याद न हो मगर अब हर किसी को याद रहेगी.
पाकिस्तान में 20 वर्ष पहले तक किसी ने वेलेंटाइन डे का नाम भी नहीं सुना था. अगर कोई मनाता भी होगा तो इसकी आम नागरिक को ख़बर नहीं थी.
लेकिन जब से उसका प्रमोशन ग़ैर इस्लामी और बेहयाई के दिवस के तौर पर होना शुरू हुआ तो लोगों को भी रुचि हुई कि इस दिन के बारे में मालूम करें कि आखिर ये दिन इतना बुरा क्यों है.
सो हैप्पी वेलेंटाइन डे फ्रॉम टुडे
यही पता चला कि जिस दिन गुलाब के फूल किसी की कब्र पर या गले में डालने के लिए भी मार्केट में न मिलें, बड़े-बड़े होटलों के बाहर कुछ नौजवान डंडे उठाए खामखा चक्कर लगा रहे हों और अख़बारों में किसी नामालूम संस्था की तरफ से वेलेंटाइन डे की खराबियों की बारे में विज्ञापन नज़र आएं तो समझ लो आज 14 फरवरी है.
ये मश चूंकि हर वर्ष होने लगी है, इसलिए अगर किसी सुलेमान को किसी रोज़ीना के लिए दिलवाला लॉकेट या गुलाब का गुलदस्ता ख़रीदना हो तो वो 14 की बजाए अब 15 फरवरी को ख़रीद लेता है क्योंकि 15 फरवरी हराम दिन नहीं है.
वेलेंटाइन डे की बुराइयों के बारे में कुछ ऐसी ही ख़बरें जनवरी शुरू होते ही भारत और इसराइल से भी मिलनी शुरू हो जाती हैं जिससे मेरे मन में शक पैदा होने लगता है कि वेलेंटाइन डे पश्चिम के नंगे कल्चर का प्रतीक हो न हो मगर मुस्लिम, हिंदू, यहूदी अतिवाद की एकता का निशान ज़रूर बन चुका है.
लिखना तो मुझे ये कॉलम 14 फरवरी को था मगर क्या करूं हमारे यहां जनवरी आते ही वेलेंटाइन डे शुरू हो जाता है और 14 फरवरी तक चलता रहता है.
इस लिहाज से ये वर्ष का ये ऐसा अकेला दिन है जिसकी लंबाई डेढ़ महीने तक फैल चुकी है.
सो हैप्पी वेलेंटाइन डे फ्रॉम टुडे.
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