
ओवर कॉन्फिडेंस में मारा गया अल-जवाहिरी, CIA अधिकारी ने बताया, कैसे बना प्लान, कैसे हुआ सफाया?
काबुल/वॉशिंगटन, जुलाई 28: मई 2011 के बाद अल-कायदा को सबसे बड़ा झटका लगा है, जब उसके संस्थापक और तत्कालीन प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में अमेरिकी विशेष बलों द्वारा मार दिया गया था। और अब इस आतंकवादी संगठन ने ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी अयमान अल-जवाहिरी को खो दिया है। 30 जुलाई को काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में अल-जवाहिरी को मौत के घाट उतार दिया गया है। लेकिन, जवाहिरी की तलाश करना, उसके बारे में सटीक जानकारी हासिल करना और फिर उसका सफाया करना आसान नहीं था। सीआईए अधिकारी ने बताया है, कि आखिर कैसे जवाहिरी को मारने का प्लान तैयार किया गया और कैसे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

कैसे मारा गया अल-जवाहिरी?
व्हाइट हाउस में सोमवार शाम (स्थानीय समयानुसार) एक संबोधन में राष्ट्रपति जो बाइडेन, जो बिन लादेन ऑपरेशन के समय बराक ओबामा के अधीन उपराष्ट्रपति थे, उन्होंने जवाहिरी के मारे जाने की पुष्टि की और कहा, कि सीआईए ने दुनिया के नंबर दो आतंकवादी जवाहिरी को मार गिराया है। अल-जवाहिरी को निशाना बनाकर मारे गए ड्रोन हमले को अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) ने अंजाम दिया है। सीआईए के सूत्रों ने बताया है कि, कैसे प्रमुख खुफिया एजेंसी ने आतंकवादी नेता का पता लगाया गया, कैसे उसकी पहचान की गई और कैसे उसका सफाया किया गया।

कैसे लगाया गया पता?
नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए सीआईए के एक अधिकारी ने कहा कि, कई सालों से वाशिंगटन एक ऐसे नेटवर्क से वाकिफ था, जो 71 वर्षीय आतंकवादी अल-जवाहिरी का समर्थन कर रहा था। उन्होंने कहा कि, पिछले एक साल में, अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर, सीआईए अधिकारियों ने अफगानिस्तान में अल-कायदा की उपस्थिति पर नजर रखी। सीआईए अधिकारी ने आगे कहा कि, इस साल की शुरुआत में, यह पता चला था कि जवाहिरी अपने परिवार, उनकी पत्नी, बेटी और पोते के साथ अफगानिस्तान की राजधानी काबुल आ गया है और वो काबुल में एक गुप्त और सुरक्षित ठिकाने पर रहने लगा है। और उसकी पहचान उसी स्थान पर होने के कारण हुई थी।

कैसे किया गया कन्फर्म?
सीआईए अधिकारी ने समचारा एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि, पिछले कई महीने से सीआईए के खुफिया अधिकारी जवाहिरी के दैनिक रूटीन को फॉलो कर रहे थे। जिसमें उन्होंने देखा कि, अल-जवाहिरी के दैनिक जीवन का एक पैटर्न है और उसे लगने लगा था, कि जहां वो रहता है, वो इलाका काफी ज्यादा सुरक्षित है और उसके घर तक कोई पहुंच नहीं सकता है। अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, अपने ठिकाने के सुरक्षित होने को लेकर जवाहिरी काफी ज्यादा आश्वस्त हो गया था, वहीं, साआईए के अधिकारियों ने उसकी हर एक गतिविधि को मॉनीटर कर लिया था और उसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन सहित बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को अल जवाहिरी के बारे में जानकारी दी।

कैसे बनाया गया मारने का प्लान?
सीआईए के अधिकारी के मुताबिक, अल-जवाहिरी के ठिकाने के बारे में पता चलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई राउंड की बैठक की और फिर अमेरिकी अधिकारियों ने बाइडेन को आश्वस्त किया, कि इमारत को बिना कोई नुकसान पहुंचाए और आसपास के लोगों को बिना खरोंच पहुंचाए भी अल-जवाहिरी का सफाया किया जा सकता है। इस दौरान बाइडेन ने साफ किया, कि इस ऑपरेशन में स्थानीय नागरिकों को कोई खतरा नहीं होनी चाहिए, जिसको लेकर सीआईए ने बाइडेन को आश्वस्त किया और फिर अल-जवाहिरी के सफाए का आदेश बाइडेन ने दे दिया। सीआईए के खुफिया अधिकारी ने कहा कि, मीटिंग के दौरान जिस जगह पर जवाहिरी का घर था, उस इलाके के बारे में पूरी जानकारी जुटाई गई थी और स्ट्राइक कैसे करना है, इसके बारे में भी सटीक जानकारी मांगी गई थी।

कब अंजाम दिया गया ऑपरेशन?
रिपोर्ट के मुताबिक, 25 जुलाई को एक अंतिम बैठक हुई, जिसके दौरान राष्ट्रपति ने नागरिक हताहतों के न्यूनतम जोखिम की शर्त पर 'सटीक हवाई हमले' को मंजूरी दे दी और फिर 30 जुलाई को रात 9:48 बजे (IST के अनुसार 31 जुलाई को सुबह 7:18 बजे) ऑपरेशन को अंजाम दे दिया गया और एक सीआईए ड्रोन ने घर की बालकनी पर खड़े अल-जवाहिरी को उड़ा दिया और उसे जहन्नुम भेज दिया।

निंजा मिसाइल से किया गया हमला
अल-जवाहिरी, जो तालिबान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी के घर में रह रहा था, उसे अमेरिकी रीपर ड्रोन से दागी गई निंजा मिसाइल से मारा गया है। हालांकि, ये एयरस्ट्राइक रविवार को सुबह 7.18 बजे किया गया, लेकिन नतीजे की घोषणा सोमवार रात को की गई थी। अयमान अल जवाहिरी पर मिसाइल हमला अमेरिकी सशस्त्र ड्रोन तकनीक और विशेष खुफिया का प्रदर्शन है, जो चीन सहित दुनिया के किसी भी देश की टेक्नोलॉजी से मीलों आगे है। वहीं, भारत को काबुल में जवाहिरी के घर शेरपुर अपमार्केट इलाके पर हुए इस हमले के बारे में पता था, हमले के नतीजे साझा नहीं किए गए थे। तालिबान के आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी, जो एक नामी आतंकवादी नेटवर्क का नेतृत्व करता है, उसने नई दिल्ली को बताया था, कि जवाहिरी ईरान में छिपा है, ना कि काबुल में छिपा है। हालांकि, भारत ने उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। 15 अगस्त, 2021 को तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद से अफगानिस्तान में अलकायदा का नेटवर्क बढ़ रहा था। वहीं, अमेरिकी मिसाइल हमले से पता चलता है कि अमेरिका के पास न केवल खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की क्षमता है, बल्कि सटीक हमले करने की भी क्षमता हैं।

बराक ओबामा ने की तारीफ
वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंगलवार को अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि, वांटेड आतंकवादी को 'आखिरकार न्याय के कटघरे में लाया गया'। ओबामा ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व की प्रशंसा की और खुफिया समुदाय के योगदान की तारीफ की, जो 'इस क्षण के लिए दशकों से काम कर रहे थे'। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि,"9/11 के 20 से अधिक वर्षों के बाद, उस आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड और अल-कायदा के नेता के रूप में ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी - अयमान अल-जवाहिरी - को आखिरकार न्याय के कटघरे में लाया गया।" उन्होंने आगे लिखा कि, "यह राष्ट्रपति बाइडेन के नेतृत्व के लिए कामयाबी है और उन खुफिया समुदाय के लिए कामयाबी है, जो दशकों से इस दिशा में काम कर रहे थे और जिन्होने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए बिना किसी को नुकसान पहुंचाए ना सिर्फ अल-जवाहिरी को घर से बाहर निकाला, बल्कि किसी को हताहत किए बगैर उसे उड़ा भी डाला'।
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