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Kartarpur: करतारपुर साहिब में तेज हवाओं से गुरुद्वारे के गुंबद क्षतिग्रस्त, इमरान सरकार पर खड़े हुए सवाल

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इस्लामाबाद। भारी बारिश ने पाकिस्तान में भयंकर तबाही मचाई है, पाक मीडिया के मुताबिक तेज हवाओं ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के कुछ गुंबदों को काफी नुकसान पहुंचाया है, वो टूटकर गिर गए हैं, जिसके बाद ये कहा जा रहा है कि गुंबदों के पुनर्निमाण में सीमेंट और लोहे के बजाय फाइबर का उपयोग किया गया है, जिसकी वजह से पवित्र स्थल के गुंबद टूट गए हैं। अब इस मामले पर पाकिस्तान की इमरान सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि मामले को धार्मिक मामलों के मंत्री नूर उल हक कादरी के समक्ष उठाया गया है और उनसे पूरे घटनाक्रम की तत्काल जांच करवाने का अनुरोध भी किया गया है।

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करतारपुर साहिब: तेज हवाओं से गुरुद्वारे के गुंबद क्षतिग्रस्त

खबर है कि फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गेनाइजेशन (एफडब्ल्यूओ) को क्षतिग्रस्त गुंबदों को तत्काल मरम्मत कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनसे कहा गया कि 48 घंटे के अंदर ही काम को खत्म किया जाए, मालूम हो कि पाकिस्‍तान के करतारपुर में स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारे में गुरुनानक देव ने अपनी जिंदगी के अंतिम क्षण बिताए थे। सन् 1947 में जब भारत और पाकिस्‍तान के बीच बंटवारा हुआ तो यह जगह पाकिस्‍तान के हिस्‍से चली गई थीं।

करतारपुर की स्‍थापना सन् 1504 में की थी

सिख धर्म के संस्‍थापक गुरुनानक देव ने करतारपुर की स्‍थापना सन् 1504 में की थी। रावी नदी के तट पर मौजूद यह गुरुद्वारा सिख धर्म की पहचान बना। सन् 1539 में उनकी मृत्‍यु के बाद हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोगों ने गुरुनानक को अपने धर्म से जुड़ा हुआ बताया और उनकी याद में एक समाधि भी बनाई, रावी नदी के बहाव में वह समाधि तो बह गई और जब दोनों देशों का बंटवारा हुआ तो रावी नदी के दायीं तरफ शकर गढ़ तहसील में रैडक्लिफ रेखा आ गई। इस सीमा की वजह से रावी नदी के दायीं तरफ स्थित शकरगढ़ जिसमें करतारपुर भी आता था उसे पाक को सौंप दिया। रावी नदी के बायीं तरफ का हिस्‍सा भारत को मिला जिसमें गुरदासपुर आया और जहां पर डेरा बाबा नानक है।

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English summary
Punjab—The domes of newly constructed part of Gurdwara Sri Kartarpur Sahib today got detached from the base due to high speed winds blowing across the region due to shift in weather.
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