मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम को सुनाई गई 10 साल की सजा, सऊदी क्राउन प्रिंस के खिलाफ फूटा गुस्सा
सऊदी अधिकारियों ने सैकड़ों प्रसिद्ध मौलवियों और इमामों को कैद कर लिया है, जिसके बाद क्राउन प्रिंस की आलोचना की जा रही है।
रियाद, अगस्त 26: सऊदी अरब की एक अदालत ने मक्का की मस्जिद अल हराम के एक प्रमुख पूर्व इमाम को दस साल जेल की सजा सुनाई है, जिसके बाद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ कट्टरपंथियों का गुस्सा फूट पड़ा है और उनकी कड़ी आलोचना की जा रही है। अमेरिका स्थित अधिकार संगठन डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ (डॉन) के अनुसार, रियाद में स्पेशलाइज्ड क्रिमिनल अपील कोर्ट ने मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम शेख सालेह अल तालिब को 10 साल की जेल की सजा सुनाई है।
पूर्व इमाम को 10 साल की सजा
रिपोर्ट के मुकाबिक, सऊदी अरब सरकार के अधिकारियों ने पहली बार साल 2018 में मक्का मस्जिद के पूर्व इमाम तालिब को गिरफ्तार किया था और उस वक्त उनकी गिरफ्तारी के पीछे के कारण का खुलासा नहीं किया गया था। लेकिन, सूत्रों ने बताया था कि, एक धार्मिक उपदेश देने के बाद तत्कालीन इमाम को गिरफ्तार किया गया था। जिस वक्त सऊदी अधिकारियों ने इमाम शेख सालेह को पकड़ा था, उस वक्त वो मक्का में स्थिति मस्जिद अल हराम के इमाम थे। गिरफ्तारी के बाद से ही शेख सालेह लगातार जेल में बंद थे और अब जाकर उन्हें 10 सालों की कड़ी सजा सुनाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब की एक अदालत ने पहले शेख सालेह को रिहा कर दिया था, लेकिन सऊदी अरब के प्रमुख कोर्ट ऑफ अपील ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और उन्हें 10 साल जेल की सजा सुनाई है।
गिरफ्तारी की कड़ी निंदा
जब पूर्व इमाम को गिरफ्तार किया गया गया था, उस वक्त से ही सऊदी क्राउन प्रिंस की कट्टरपंथी संगठनों की तरफ से कड़ी निंदा की जा रही थी और कहा गया था, कि सऊदी अरब में मनोरंजन जगत को कंट्रोल करने वाली संस्था जनरल एंटरटेनमेंट अथॉरिटी की आलोचना करने के बाद उनकी गिरफ्तारी की गई थी। ऐसी रिपोर्ट है, कि उन्होंने आलोचना के समय भड़काऊ बयान दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने उन संगीत कार्यक्रमों और कार्यक्रमों की निंदा की थी, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया था, कि उनसे देश के धार्मिक और सांस्कृतिक मानकों का उल्लंघन होता है। वहीं, दिवंगत पत्रकार जमाल खशोगी द्वारा बनाए गए संगठन डॉन ने ट्विटर पर तालिब की अदालती सजा की पुष्टि की।
सऊदी में मौलवियों पर कसा गया नकेल
डॉन के एक प्रवक्ता, अब्दुल्ला अलाउध ने जेल की सजा की निंदा करते हुए कहा कि, सऊदी अरब में लगातार अलग अलग मस्जिदों के मौलवी और इमामों को जेल की सजा दी जा रही है और जो भी सऊदी क्राउन प्रिंस के धार्मिक सुधारों के खिलाफ बोलता है, उसे फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है और फिर उसे सख्त सजा सुना दी जाती है। उनके मुताबिक, अभी तक कई मौलवियों और इमामों को जेल भेजा जा चुका है। अलाउध ने कहा कि, "सामाजिक परिवर्तनों की आलोचना करने के लिए ग्रैंड मस्जिद के इमाम सालेह अल तालिब को 10 साल की सजा और वास्तविक सामाजिक सुधारों के लिए महिला कार्यकर्ता सलमा अलशेब को 34 साल की सजा देना एक बड़ी विडंबना है, जो हमें बताती है कि एमबीएस (मोहम्मद बिन सलमान) से हर समूह को खतरा है।"
सऊदी में चल रहा है धार्मिक सुधार
अब्दुल्ला अलाउध कहा कि, "इमाम अल तालिब सहित सभी राजनीतिक कैदियों के बीच जो समानता है, वह यह है कि उन्होंने शांतिपूर्वक अपनी राय व्यक्त की थी और इसके लिए गिरफ्तार हो गए। यह दमन बिना किसी अपवाद के सभी के खिलाफ बंद होना चाहिए''। हालांकि, सऊदी क्राउन प्रिंस ने इन आलोचनाओं को दरकिनार कर दिया है और सख्ती के साथ धार्मिक सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि, सऊदी अरब में पिछले 2, तीन सालों से सख्ती के साथ धार्मिक सुधार आंदोलन चलाया जा रहा है और सऊदी अरब के मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान पढ़ने पर भी बैन लगा दिया गया है, वहीं मौलवियों को किसी भी तरह के कट्टर भाषण देने पर रोक लगा दी गई है।
सैकड़ों मौलवी और इमाम हुए गिरफ्तार
अधिकार समूह डॉन के अनुसार, सऊदी अधिकारियों ने सैकड़ों प्रसिद्ध मौलवियों और इमामों को कैद कर लिया है, जो एमबीएस के सुधार एजेंडे के आलोचक हैं, क्योंकि उन्होंने क्राउन प्रिंस के धार्मिक सुधार कार्यक्रमों का विरोध किया था। जेल में बंद लोगों में सलमान अल-ओदाह भी शामिल हैं। वही, गिरफ्तार किए गये प्रसिद्ध मुस्लिम धर्म गुरुओं में सलमान अल अवध, अवध अल कारनी, फरहान अल मालकी, मुस्तफा हसन और सफर अल हवाली भी शामिल हैं, जिन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस के धार्मिक सुधार कार्यक्रम की आलोचना करते हुए भड़काऊ भाषण दिए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, अल अवध और अल कारनी को सऊदी अरब प्रशासन की तरफ से आतंकवादियों से संबंध होने के आरोप में साल 2017 में ही गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से वो जेल में ही बंद हैं। वहीं, अन्य हालिया गिरफ्तारियों में पीएचडी छात्र सलमा अल-शहाब शामिल हैं, जिन्हें सऊदी सरकार की आलोचना करने वाले ट्वीट्स के लिए 34 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
सऊदी में मौलानाओं के कतरे गये पर
मुस्लिमों के सबसे पवित्र शहर मक्का और मदीना सऊदी अरब में ही स्थिति है और सऊदी अरब को ही इस्लाम का घर माना जाता है। सऊदी अरब में इस्लाम के वहाबी संप्रदाय को मान्यता है, जिसकी वजह से तेल संपन्न देश सऊदी अरब को धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन सऊदी अरब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश को मजहबी कट्टरता से निकालने के लिए एक तरह की मुहिम छेड़ दी है और उन्होंने इसके लिए 2030 का टार्गेट तय किया है। सऊदी सरकार का मानना है कि सऊदी अरब की पहचान एक तेल संपन्न और कट्टर मुस्लिम देश के तौर पर ना हो, बल्कि एक उदार देश के तौर पर सऊदी अरब की पहचान हो, जहां हर धर्म और हर संप्रदाय को एक समान, एक नजर से देखा जाता है और किसी के ऊपर कोई धार्मिक पाबंदी ना हो। लिहाजा क्राउन प्रिंस ने मजहबी कट्टरता के खिलाफ बेहद सख्त मुहिम चला रखी है, जिसके खिलाफ अब उन्हें लगातार प्रतिकार का सामना करना पड़ रहा है।