चीन को यूरोपीयन यूनियन ने दिया बहुत बड़ा झटका, 2022 बीजिंग ओलंपिक बहिष्कार करने की घोषणा
यूरोपीय संसद ने चीन में होने वाले बीजिंग ओलंपिक 2022 का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। ये चीन के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।
ब्रसेल्स, जुलाई 10: यूरोपीय यूनियन ने पहली बार चीन को बहुत बड़ा झटका देते हुए 2022 बीजिंग ओलंपिक गेम्स का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। चीन के लिए यूरोपीयन यूनियन का ये ऐलान बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। यूरोपीय संसद ने चीनी सरकार द्वारा मानवाधिकारों के हनन को जारी रखने के जवाब में 2022 बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने के लिए राजनयिक अधिकारियों से आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव को पारित कर दिया है।
2022 बीजिंग ओलंपिक का बहिष्कार
यूरोपीय संघ और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग ओलंपिक के बहिष्कार के ऐलान से ड्रैगन का बौखलानमा तय माना जा रहा है। यूरोपीय यूनियन ने चीन के उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार, पत्रकारों पर अत्याचार और प्रतिबंध, हांगकांग के साथ किए जा रहे तानाशाही रवैये को लेकर बीजिंग ओलंपिक का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। यूरोपीय संसद के सांसदों ने मांग की है कि चीन के खिलाफ कई तरह के और प्रतिबंधों का भी ऐलान होना चाहिए और हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों को बचाने की कोशिश यूरोपीयन संसद को करनी चाहिए।
चीन को बहुत बड़ा झटका
यूरोपीय संसद में चीन के खिलाफ विशाल मतों से प्रस्ताव पास किया गया है और 578 वोट चीन के खिलाफ बीजिंग ओलंपिक का बहिष्कार करने के लिए पड़े। वहीं, यूरोपीय संसद के अंदर 29 वोट चीन के समर्थन में भी पड़े हैं, जिन्होंने बहिष्कार का विरोध किया है। यूरोप की करीब करीब सभी मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियों ने चीन के खिलाफ वोट डाला है। जिसमें जर्मनी की एंजला मर्केल की सेंटर राइट यूरोपीयन पीपुल्स पार्टी और फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने भी चीन के खिलाफ वोट डाला है।
चीन के खिलाफ कौन-कौन से प्रस्ताव
यूरोपीय संसद के अंदर चीन के खिलाफ 28-सूत्रीय प्रस्ताव पास किए गये हैं। जिसमें यूरोपीय संघ के अधिकारियों और सदस्य राज्यों ने 2022 शीतकालीन बीजिंग ओलंपिक के लिए सभी सरकारी और राजनयिक निमंत्रणों को अस्वीकार करने का आह्वान किया गया था। इसमें कहा गया है कि ''जब तक कि चीन की सरकार हांगकांग, शिनजियांग, उइगर क्षेत्र और तिब्बत, में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार लाने का काम नहीं करता है, तब तक चीन का निमंत्रण स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस प्रस्ताव में हांगकांग पर विशेष ध्यान दिया गया है और कई तरह की चिंताएं जताई गई हैं। इन प्रस्तावों में हांगकांग के लोकतांत्रिक अखबार एप्पल डेली को बंद करने, हांगकांग के सैकड़ों पत्रकारों को जेल में डालने, चुनाव सिस्टम में परिवर्तन करने की निंदा की गई है।
चीन पर क्या असर होगा?
यूरोपीय संसद ने चीन के खिलाफ कई तरह के प्रस्ताव पास किए गये हैं और चीन की छवि के लिए ये प्रस्ताव बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि यूरोपीय संसद मानवाधिकार को काफी तवज्जो देता है। लेकिन, दिक्कत ये है कि यूरोपीय संसद के प्रस्ताव को मानने के लिए यूरोपीय देश बाध्य नहीं होते हैं और कोई भी यूरोपीय देश सीधे तौर पर चीन से टक्कर लेने के लिए तैयार होता दिखाई नहीं दे रहा है। यूरोपीय संसद में इस प्रस्ताव को पास करने वाले जर्मनी के रेइनहार्ड बुटिकोफर ने भी स्वीकार किया है कि यूरोपीय संसद के ज्यादातर देश और यूरोपीय आयोग भी हांग कांग में चीन की दमनकारी नीति के खिलाफ सीधे तौर पर बोलना नहीं चाहते हैं। चीन की आलोचना करने के लिए ये देश भले ही तैयार हो जाते हैं, लेकिन कोई भी देश चीन से सीधे तौर पर टक्कर लेने के लिए तैयार नहीं है।
प्रस्ताव से बौखलाया चीन
यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पास होने के बाद चीन बौखला गया है और उसने यूरोपीय देशों पर चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है और कहा है कि चीन मानवाधिकर उल्लंघन को लेकर कोई काम नहीं कर रहा है। बीजिंग ने अब तक ओलंपिक बहिष्कार आंदोलन की स्थिति में अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार करने के आह्वान का विरोध किया है। ब्रिटेन की लेबर पार्टी द्वारा बहिष्कार के अलग-अलग आह्वान के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि उसने कुछ लोगों पर "राजनीतिक प्रेरणा से" ओलंपिक को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि, "चीन खेल के राजनीतिकरण और मानवाधिकारों के मुद्दों के बहाने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करता है।''
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