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पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से आ रही है ऐसी डरावनी आवाज, ESA ने जारी किया 5 मिनट का Audio

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Earth magnetic field sound: यूरोपीयन स्पेस एजेंसी ने इसी हफ्ते 5 मिनट का एक डरावना ऑडियो जारी किया है, जिससे यह खुलासा हो गया है कि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की आवाज सुनने में कैसी है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक पृथ्वी का आंतरिक चुंबकत्व, जिसे चुंबकमंडल (magnetosphere)कहा जाता है, इस ग्रह के चारों ओर धूमकेतु के आकार का एक क्षेत्र बनाता है, जो सूर्य और ब्रह्मांडीय कणों के रेडिएशन से इसे सुरक्षा देता है। साथ ही साथ सौर हवाओं के खिलाफ भी वातावरण को एक कवर उपलब्ध करवाता है। वैज्ञानिकों को यह सफलता चुंबकीय संकेतों को ध्वनि संकेतों में बदलने के बाद मिली है।

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से निकल रही है डरावनी आवाज

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से निकल रही है डरावनी आवाज

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) एक जटिल और गतिशील आवरण है, जो ब्रह्मांडीय विकिरिणों और सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों से इसकी रक्षा करता है। पृथ्वी के इस चुंबकीय क्षेत्र को देखा तो नहीं जा सकता है, लेकिन पहली बार वैज्ञानिकों ने इसके संकेतों को ध्वनि संकेतों में बदलने में सफलता प्राप्त की है। यह कामयाबी मिली है टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के वैज्ञानिकों को, जिन्होंने चुंबकीय संकेतों को ध्वनि संकेतों में परिवर्तित किया है, जिसकी आवाज काफी भयानक महसूस हो रही है। चुंबकीय क्षेत्र मुख्य तौर पर अत्यधिक गर्म, चक्कर खाते हुए तरल लोहे के एक विशाल समंदर से पैदा होता है, जिससे कि पृथ्वी का बाहरी कोर बनता है। यह हिस्सा हमसे करीब 3,000 किलोमीटर नीचे का इलाका है।

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से होती है धरती की रक्षा

पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से होती है धरती की रक्षा

कमाल की बात है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र तो इसके भीतरी भू-भाग में उत्पन्न होता है, लेकिन इसका प्रभाव हमारे ऊपर वाले वायुमंडल में देखा जाता है। जब सूर्य से निकले आवेशित कण खासकर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के अणुओं और परमाणुओं से टकराते हैं तो वायुमंडल के ऊपरी हिस्सा में इस टकराव की वजह से पैदा हुई ऊर्जा हरी-नीली रोशनी में बदल जाती है, जिसे उत्तरध्रुवीय प्रकाश (aurora borealis) के रूप में देखा जा सकता है।

चुंबकीय क्षेत्र को समझने में जुटे थे वैज्ञानिक

चुंबकीय क्षेत्र को समझने में जुटे थे वैज्ञानिक

यूरोपीयन स्पेस एजेंसी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से जुड़े रहस्यों का पता लगाने की कोशिशों में जुटी थी। इसके लिए वह 2013 में छोड़े गए समूह उपग्रहों की तिकड़ी का इस्तेमाल कर रही थी। वैज्ञानिक चुंबकीय क्षेत्र के पैदा होने के कारणों की ज्यादा बेहतर समझ विकसित करने के अभियान में जुटे थे। इसके लिए वे सटीक रूप से चुंबकीय संकेतों को मापने की कोशिश में लगे थे, जो न केवल पृथ्वी के मूल से, बल्कि इसकी पपड़ी (mantle),बाहरी परत (crust) और महासागरों के साथ-साथ आयनमंडल ( ionosphere) और चुंबकमंडल (magnetosphere) से भी निकलते हैं।

'कला और विज्ञान का संगम'

'कला और विज्ञान का संगम'

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के संगीतकार और प्रोजेक्ट सपोर्टर क्लॉस नीलसन ने इस अभियान के बारे में बताया कि 'टीम ने यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के समूह सैटेलाइट के डेटा के साथ-साथ अलग स्रोतों का इस्तेमाल किया और कोर क्षेत्र के ध्वनि प्रतिरूप का कुशलतापूर्व प्रयोग और उसे नियंत्रित करने के लिए इन चुंबकीय संकेतों का उपयोग किया। यह प्रोजेक्ट कला और विज्ञान दोनों को एकसाथ लाने में निश्चित तौर पर पुरस्कृत किए जाने वाले अभ्यास की तरह रहा है।'

डरावनी आवाज पर ही निर्भर है पृथ्वी पर जीवन

डरावनी आवाज पर ही निर्भर है पृथ्वी पर जीवन

यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) ने कहा है कि इसके पीछे आइडिया ये है कि सभी को यह एहसास कराया जाए कि चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है; और भले ही इसकी गड़गड़ाहट थोड़ी दहलाने वाली है, लेकिन धरती पर जो जीवन है, वह इसी पर निर्भर है। नीलसन के मुताबिक, 'हमने कोपेनहेगन में सोल्बजर्ग स्क्वायर में जमीन में डाले गए 30 से ज्यादा लाउडस्पीकरों से युक्त एक बहुत ही रोचक ध्वनि प्रणाली हासिल की। हमने इसे इस तरह से लगाया कि प्रत्येक स्पीकर पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों का प्रतिनिधित्व करे और दिखाए कि पिछले 1,00,000 सालों में हमारे चुंबकीय क्षेत्र में कैसे उतार-चढ़ाव आया है।'

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यही है पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की वह आवाज

वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की आवाज की जो खोज की है, उसका खुलासा 24 अक्टूबर, 2022 को किया गया है। उसके बाद से डेनमार्क के कोपेनहेगन में सोल्बजर्ग स्क्वायर पर इसकी रिकॉर्डिंग को 30 अक्टूबर तक दिन में तीन बाद सुबह 8 बजे, दिन के 1 बजे और शाम के 7 बजे चलाया गया है। (तस्वीरें- प्रतीकात्मक)

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English summary
Earth magnetic field:Scientists have recorded the scary sound of the Earth's magnetic field. Scientists from the European Space Agency have succeeded in converting magnetic signals into sound signals
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