अफगान महिलाओं को वर्जिनिटी साबित करने के लिए देना होता है ये शर्मनाक टेस्ट, बंद करने की मांग
नई दिल्ली। अफगानिस्तान महिलाओं के लिहाज से दुनिया के खराब देशों में है। महिलाएं वहां दोयम दर्जे का जीवन जीने का मजबूर है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आज भी वहां महिलाओं को वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। अफगानिस्तान में यदि कोई महिला घर से भाग गई हो या उस पर शादी से पहले सेक्स करने के आरोप हों तो उन्हें ये टेस्ट देना पड़ता है।
वर्जिनिटी टेस्ट को है कानूनी मान्यता
अफगानिस्तान में नियम है कि अदालत के आदेश पर या महिला की मर्जी पर वर्जिनिटी टेस्ट लिया जा सकता है। अब अफगानिस्तान के एक मानवाधिकार आयोग ने इसे बंद करने का सुझाव दिया है। आयोग के पैनल ने कहा है कि कौमार्य परीक्षण को 'बिना शर्त प्रतिबंध' लगाया जाना चाहिए।
पैनल का कहना है कि ऐसे परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। पैनल ने कहा कि यह किसी महिला के मूलभूत अधिकार का हनन है। ऐसे परीक्षणों से महिलाओं की सामाजिक और मानसिक दोनों स्थितियों पर असर पड़ता है।
क्या होता है कौमार्य परीक्षण ?
कौमार्य परीक्षण एक तरह का टेस्ट है जिसमें ये पता लगाया जाता है कि महिला के गुप्तांग की हाइमन झिल्ली फटी है या नहीं। इसे टू फिंगर टेस्ट भी कहा जाता है।हालांकि इस परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और इसे मेडिकल विशेषज्ञों द्वारा खारिज किया जा चुका है। मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि ये झिल्ली सिर्फ शारीरिक संबंध बनने से ही नहीं बल्कि खेलकूद, साइकिलिंग या अन्य कई कारणों से भी टूट जाती है। वहीं नए शोधों में पाया गया है कि हाइमन झिल्ली टूटती ही नहीं बल्कि ये उम्र के साथ धीरे-धीरे हट जाती है।
आज भी अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के देशों में इस तरह का टेस्ट किया जाता है। भारत में भी कौमार्य को बहुत महत्व दिया जाता है हालांकि कानूनन रूप से किसी भी महिला के कौमार्य परीक्षण पर देश में रोक है। वहीं बेहद पिछड़े, पितृसत्तात्मक और रूढ़िवादी अफगान समाज में ये बड़ी मात्रा में किया जाता है। अफगानिस्तान में कितने वर्जिनिटी टेस्ट किए जाते हैं इसे लेकर कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन अफगानिस्तान में ये आम बात है।
दर्दनाक और अपमानजनक होते हैं ये टेस्ट
कौमार्य टेस्ट के साथ सबसे बुरी बात है महिला का मानसिक रूप से टूटना। अफगानिस्तान के रूढ़िवादी समाज में महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वे शादी के पहले अथवा पति के अलावा किसी के साथ सेक्स नहीं करेंगी। ऐसे में अगर किसी महिला पर आरोप लगता है तो समाज में बुरी नजर से देखा जाता है। इस मामले में जेल का भी प्रावधान है। कई बार ऐसे मामलों में ऑनर किलिंग का शिकार भी होना पड़ता है।
हालांकि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस तरह के टेस्ट पर रोक की बात कर चुके हैं लेकिन फिर भी देश में इस पर अभी रोक नहीं है। जिसके चलते बहुत सी महिलाओं की इस यातनादायी स्थिति से गुजरना पड़ता है। भारत में भी इस तरह का टू फिंगर टेस्ट बलात्कार के मामलों में मेडिकल टेस्ट के दौरान किया जाता है जिस पर सुप्रीम कोर्ट आपत्ति जता चुका है। सर्वोच्च अदालत ने इसकी जगह दूसरा तरीका ढूढ़ने की बात कही थी।
महिलाओं की अनुमति लेना होगा जरूरी
हाल ही में अफगानिस्तान में इस टेस्ट के खिलाफ सकारात्मक कदम बढ़ाया है। वहां की एक सरकारी समिति ने ऐसे कानून के मसौदे को स्वीकृति दी है जिसमें वर्जिनिटी टेस्ट के लिए महिला की अनुमति लेने को अनिवार्य किया गया है। हालांकि ये बस मसौदा है क्योंकि कानून बनने के पहले इसे संसद और राष्ट्रपति की अनुमति लेनी होगी और संसद इस समय ग्रीष्मकालीन अवकाश पर है जो 21 सितम्बर तक जारी रहेगा।
इसी बीच एक स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। अफगानिस्तान में इस तरह के सुझाव पहले भी दिए जाते रहे हैं लेकिन उनके सुझावों को अमल में लाने को लेकर कोई दबाव नहीं होता। इस तरह ये सुझाव महज सुझाव बनकर रह जाते हैं।
क्या कहता है संयुक्त राष्ट्र ?
कौमार्य परीक्षण को लेकर संयुक्त राष्ट्र का रवैया बेहद ही सख्त रहा है। यूएन में बहुत पहले ही इसे दर्दनाक, अपमानजनक और सदमा पहुंचाने वाला बताकर बंद करने की मांग की जा चुकी है। को लेकर यूरोप और पश्चिमी देशों के कई सामाजिक संगठन अफ्रीका और एशिया के कई देशों में फैली इस प्रथा को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं।
अफगानिस्तान में महिलाओं को अपने हक के लिए अपने हक की लड़ाई लड़नी है।अफगानिस्तान में ऐसे ही महिलाओं को अपना नाम लेने की आजादी भी नहीं है। यानि महिला किसी दूसरे पुरुष को अपना नाम नहीं बता सकती है। उसे अपने पति, पिता या परिजन के नाम से ही पहचाना जाता है। इसे लेकर महिलाओं ने कुछ दिन पहले Where is my name नाम से आजादी कैंपेन चलाया था। इसके तहत महिलाएं ये मांग कर रही थीं कि उन्हें अपना नाम लिए जाने की आजादी होनी चाहिए।
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