स्पेशल रिपोर्ट: ड्रैगन का ताइवान को ‘निगलने’ का प्लान, चीन ने ताइवान भेजे परमाणु हथियार, अमेरिका ने चेताया
चीन लगातार ताइवान की सीमा में परमाणु बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट भेज रहा है। शनिवार को भी ताइवान की वायुसीमा में चीन ने अपने 8 H-6K परमाणु बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट को भेजा। जिसके बाद अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है।
Chinese Air force in Taiwan: ताइपे: ऐसा लग रहा है कि जमीनखोर चीन (CHINA) ने ताइवान (Taiwan) को निगलने का प्लान बना ही लिया है। ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताने वाले चीन ने पिछले कुछ दिनों से ताइवान को अपनी ताकत से डराना शुरू कर दिया है। चीन लगातार ताइवान की सीमा में परमाणु बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट (Nuclear aircraft) भेज रहा है। शनिवार को भी ताइवान की वायुसीमा में चीन ने अपने 8 H-6K परमाणु बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट को भेजा। जिसके बाद ताइवान ने अपने मिसाइल का मुंह चीनी एयरक्राफ्ट की तरफ मोड़ दिया। ताइवान के मिसाइल का मुंह अपनी तरफ देख चीनी एयरक्राफ्ट फौरन ताइवान की सीमा से निकल भागा।
ताइवान को हड़पना चाहता है चीन
पिछले कुछ दिनों से ताइवान को लेकर चीन काफी भड़का हुआ है। इसकी शुरूआत तब हुई जब यूनाइटेड नेशंस में अमेरिका की स्थायी सदस्य ने ताइवान की राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी और फिर अमेरिकी राजनयिक ने ताइवान की यात्रा की दी। इसके बाद से चीन काफी भड़क गया। पहले तो चीन ने अमेरिकी राजनयिकों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया और फिर अब वो लगातार अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान की सीमा में भेज रहा है। चीन की इस हरकत के बाद ताइवान और चीन के संबंध काफी बिगड़ गये हैं।
परमाणु फाइटर प्लेन घुसने के बाद ताइवान अलर्ट
चीन लगातार ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है। शनिवार को ताइवान के दक्षिणी हिस्से में चीन 8 परमाणु एयरक्राफ्ट और चार J16 फाइटर जेट लेकर आ गया था। ताइवानी डिफेंस मिनिस्ट्री ने एक नक्शा जारी करते हुए कहा कि इसके अलावा Y-8 एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट भी ताइवान के क्षेत्र में घुसपैठ कर गया था। जिसके बाद ताइवान की वायुसेना ने चीनी एयरक्राफ्ट को कड़ी चेतावनी देते हुए अपनी मिसाइलों को चीनी एयरक्राफ्ट की तरफ कर दिया। बताया जा रहा है कि ताइवान के वायुसेना अधिकारियों से चीनी एयरक्राफ्ट पाइलट की बहस भी हुई मगर जैसे ही ताइवान ने मिसाइल छोड़ने की धमकी दी वैसे ही चीनी एयरक्राफ्ट ताइवान की वायुसीमा से निकल भागा। ताइवान ने चीन की इस हरकत को असमान्य बताया है।
ताइवान पर दवाब बनाना बंद करे चीन-US
चीनी की कम्यूनिस्ट सरकार लगातार ताइवान को धमकाने का काम कर रही है। वहीं शनिवार को चीनी परमाणु एयरक्राफ्ट और पनडुब्बियों के ताइवान सीमा में घुसने के बाद अमेरिका ने चीन को ताइवान को परेशान नहीं करने की सख्त हिदायत दी है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने अपने बयान में कहा है, ' चीन की सरकार और चीनी सेना की ये हरकत एशिया की शांति और स्थिरता के लिए खतरा है'' अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने बयान में कहा है 'चीन की ताइवान को डराने की कोशिश बेहद गलत है। अमेरिका अपने सहयोगियों के सहयोग, समृद्धि और सुरक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहेगा। ताइवान को डराने और धमकाने की ये कोशिश चिंता की बात है। हम बीजिंग से आग्रह करते हैं कि वो ताइवान को सैन्य शक्ति से डराने के बजाए ताइवान के राजनयिकों और ताइवान की सरकार से शांतिपूर्वक बातचीत करे''
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में ये भी कहा कि वो ताइवान को अपनी आत्मरक्षा बढ़ाने के लिए मदद करेता रहेगा। ताइवान को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है।
चीन-ताइवान में तनाव की वजह
ताइवान और चीन...दोनों खुद को असली चीन बताने वाले दो अलग अलग देश हैं। ताइवान 1950 से खुद को चीन से अलग और एक स्वतंत्र देश मानता है। लेकिन, चीन इसे अलग देश मानने के बजाए ताइवान को विद्रोही देश के तौर पर देखता है। चीन किसी भी सूरत में ताइवान को चीन में मिलाना चाहता है। इसले लिए चीन की कम्यूनिस्ट सरकार कहती है कि वो ताइवान को चीन में मिलाकर रहेगी, भले ही इसके लिए उसे बलप्रयोग ही क्यों ना करना पड़े।
1971 से पहले ताइवान यूनाइडेट नेशंस में सिक्योरिटी काउंसिल का हिस्सा था मगर 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की मदद से चीन UN सिक्योरिटी काउंसिल का स्थायी सदस्य बन गया। और ताइवान को UN से हमेशा के लिए हटा दिया गया। यहीं से ताइवान का पतन हो गया। 1970 के बाद अमेरिका अपने लिए नया बाजार तलाश रहा था, इसीलिए अमेरिका ने उस वक्त ताइवान का साथ छोड़ कर चीन के पाले में चला गया। लेकिन, अमेरिका के इस फैसले ने ताइवान के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया। अब चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का आकार इतना बड़ा कर लिया है, कि वो खुद अमेरिका के सामने एक संकट बन चुका है। ऐसे में अब अमेरिका भूल सुधार के तहत ताइवान को संरक्षण तो दे रहा है, मगर चीन के जबरे से बाहर निकलना ताइवान के लिए कतई आसान नहीं है।
क्या ताइवान को खत्म कर सकता है ड्रैगन?
चीन लगातार ताइवान को पूरी दुनिया में अलग थलग करने में लगा हुआ है। हालांकि, ताइवान अभी भी एशिया का बड़ा व्यापारिक केन्द्र है, लेकिन चीनी दवाब की वजह से कई देश ताइवान के साथ अपने संबंध खत्म कर चुके हैं। 1980 में चीन ने ताइवान के सामने 'वन कंट्री टू सिस्टम' के तहत प्रस्ताव रखा था कि अगर ताइवान खुद को चीनी हिस्सा घोषित कर दे, तो चीन की सरकार उसे स्वायत्तता दे देगी। मगर ताइवान ने चीनी सरकार के इस प्रपोजल को सिरे से खारिज कर दिया। इसकी दो सबसे बड़ी वजहें थीं। एक वजह ये कि ताइवान खुद को असली चीन मानने के साथ-साथ स्वयंप्रभु राज्य मानता है, साथ ही ताइवान ये भी जानता है कि अगर वो गलती से भी खुद को चीन का हिस्सा बताता है तो चीन उसे पूरी तरह से निगल लेगा।
इस वक्त ताइवान को अमेरिका और भारत का साथ मिला हुआ है। भारत सरकार ताइवान से व्यापार बढ़ाने की कोशिश भी कर रही है। साथ ही अमेरिका के साथ ताइवान ने कई समझौते कर रखे हैं। लेकिन, ताइवान पर चीन लगातार बनाए रखेगा इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।