भूकंप से हिल रहा था शहर, लोगों को घरों से नहीं निकलने दे रहे थे अधिकारी, चीन का सनसनीखेज वीडियो
चीनी सोशल मीडिया वीबो पर एक यूजर ने चीनी सरकार के अत्याचार की कहानी बयां की थी और लिखा था कि, ''जैसे ही कोई कोविड पॉजिटिव पाया जाता है, ठीक वैसे ही उस क्षेत्र में भीषण अत्याचार शुरू हो जाता है।
बीजिंग, सितंबर 05: पिछले डेढ़ सालों से चीन के अलग अलग हिस्सों में सख्ततम लॉकडाउन लगाया जा रहा है और चीन को ज़ीरो कोविड पॉलिसी की पूरी दुनिया में आलोचना की जाती रही है। चीन की कोविड पॉलिसी ये है, कि किसी भी शहर में कोविड का एक भी मरीज मिलने पर उस शहर को कम से कम 21 दिनों तक सख्ततम लॉकडाउन में रखा जाता है और मान लीजिए अगर 20वें दिन फिर से एक नया मरीज मिल गया, तो फिर 21 दिनों का लॉकडाउन और आगे बढ़ जाता है। इस दौरान किसी भी शख्स को अपने घर से बाहर कदम तक रखने की इजाजत नहीं होती है, लेकिन चीनी अधिकारियों ने लोगों को उस वक्त भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया, जब भूकंप की वजह से घर हिल रहे थे।
भूकंप में भी लॉकडाउन
चीन कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने नागरिकों की लगातार निगरानी, परीक्षण और उन्हें आइसोलेट करने की 'जीरो-कोविड' नीति का सख्ती से पालन कर रहा है। हालांकि, एक दिन पहले चीन में आए भीषण भूकंप के बाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाया गया है कि सख्त नियमों के कारण लोगों को 6.6 तीव्रता के भूकंप के दौरान अपनी इमारतों को छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई। इस भूकंप में 30 से ज्यादा लोग मारे गये हैं। हालांकि, हम इस वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं कर रहे हैं, लेकिन कई चीनी ट्वीटर हैंडल से इस वीडियो को पोस्ट किया गया है और भूकंप के दौरान भी लोगों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं देने के लिए चीन की सरकार की सख्त आलोचना की गई है।
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सिचुआन प्रांत में भूकंप
आपको बता दें कि, सोमवार को चीन के सिचुआन प्रांत में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था और लोगों ने भूकंप के काफी तेज झटके महसूस किए थे। ये भूकंप साल 2017 के बाद से इस क्षेत्र में आया सबसे मजबूत भूकंप था, जिसमें कम से कम 30 लोग मारे गए और प्रांतीय राजधानी चेंगदू और अधिक दूर के प्रांतों को हिला दिया। चीन भूकंप नेटवर्क केंद्र ने कहा कि, भूकंप का केंद्र लुडिंग शहर में था जो चेंगदू से लगभग 226 किमी दक्षिण पश्चिम में पहाड़ी इलाका है। सिचुआन के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत में भूकंप का आना काफी आम है, विशेष रूप से पश्चिम में इसके पहाड़ों में अकसर भूकंप आते रहते हैं और किंघई-तिब्बती पठार की पूर्वी सीमा के साथ वाले इलाके को भूकंप को लेकर काफी सक्रिय क्षेत्र कहा जाता है। लेकिन, इस वीडियो को लेकर चीन की सरकार की क्रूरता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
बक्से में बंद किए गये थे लोग
आपको बता दें कि, इससे पहले इसी साल जनवरी महीने में भी चीन से कई ऐसी तस्वीरें आईं थी, जो झकझोरने वाली थीं और उस वक्त आन्यांग और युझोउ प्रांतों में लोहे के बक्से में लोगों को बंद करके रखा गया था और सबसे हैरानी की बात ये थी, कि गर्भवती महिलाओं को भी लोहे के बक्सों में बंद किया गया था। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये हुए लोगों को भी अलग अलग बक्सों में बंद कर दिया गया था, ताकि वो और लोगों को संक्रमित नहीं कर सके। उस वक्त रिपोर्ट आई थी, कि शीआन समेत कुछ और शहरों में कुल मिलाकर कम से कम 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को कैद करके रखा गया था। वहीं, शीआन शहर में एक करोड़ 30 लाख लोग क्वारंटाइन के नाम पर अपने घरों में कैद करके रखा गया था, और उन्हें किसी भी हालत में अपने घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी।
अत्याचार की खौफनाक कहानी
वहीं, चीनी सोशल मीडिया वीबो पर एक यूजर ने चीनी सरकार के अत्याचार की कहानी बयां की थी और लिखा था कि, ''जैसे ही कोई कोविड पॉजिटिव पाया जाता है, ठीक वैसे ही उस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को अधिकारी घरों से निकलकर बसों में बैठने के लिए कहते हैं और फिर उन्हें लोहे के बक्सों की तरह बनाए गये क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया जाता है और वहां पर उन्हें बंद कर दिया जाता है''। डेली मेल को कुछ गवाहों ने बताया था कि, कई लोगों को आधी रात को ही घर से बाहर निकाल लिया गया था और फिर उन्हें कई कई दिनों तक लोहे के बक्से में कैद करके रखा गया था। अधिकारी इस बात को भी परवाह नहीं कर रहे थे, कि उनमें से कई लोग हार्ट की बीमारी, सुगर या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें सिर्फ लोगों को बक्से में बंद करना था।
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