चीन को बड़ा झटका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार नहीं रहा, इस देश ने मारी बाजी
नई दिल्ली, 29 मई: बीते वित्त वर्ष में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है और चीन खिसकर दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। चीन के वैश्विक मंसूबे के लिए यह बहुत बड़ा झटका है, जिसके हाथ से द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला देश निकल गया है। वहीं, कोरोना की वजह से बीते 40 वर्षों में सबसे ज्यादा महंगाई की मार झेल रहे अमेरिका के लिए यह बहुत ही अच्छी खबर है। भारत के लिए भी यह अच्छी खबर है, क्योंकि चीन के साथ उसका व्यापार घाटा तो अभी भी बहुत ज्यादा है, लेकिन अमेरिका से इस मामले में वह ट्रेड सरप्लस की स्थिति में बना हुआ है।
चीन नहीं, अब अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार
भारत के व्यापारिक साझीदार के तौर पर अमेरिका ने वित्त वर्ष 2021-22 में चीन को पछाड़ दिया है। अब अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119.42 अरब डॉलर का रहा है, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में महज 80.51 अरब डॉलर का था। आंकड़े बता रहे हैं कि साल 2021-22 के बीच भारत और चीन के बीच का द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर का रहा है। जबकि, 2020-21 में दोनों देशों के बीच यह आंकड़ा 86.4 अरब डॉलर का था, लेकिन इस बार चीन यहां अमेरिका से पिछड़ गया है।
चीन के साथ व्यापार घाटे में काफी इजाफा
हालांकि, इस अवधि में चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में फिर भी इजाफा हुआ है। जैसे बीते वित्त वर्ष में भारत से चीन को होने वाला निर्यात 21.25 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ है, जो 2020-21 के 21.18 अरब डॉलर से थोड़ा ज्यादा है। लेकिन, इसी अवधि में चीन से होने वाला आयात 2020-21 के 65.21 अरब डॉलर से बढ़कर 94.16 डॉलर तक पहुंच गया है। यानी चीन के साथ व्यापार घाटा काफी बढ़ गया है। 2020-21 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 44 अरब डॉलर का था, लेकिन बीते वित्त वर्ष में यह बढ़कर 72.91 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
अमेरिका से द्विपक्षीय व्यापार में काफी बढ़ोतरी
2021-22 में भारत ने अमेरिका को 76.11 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया है, जो कि इससे एक साल पहले के वित्त वर्ष के 51.62 अरब डॉलर के निर्यात से काफी ज्यादा है। लेकिन, इस अवधि में आयात भी 29 अरब डॉलर (2020-21) से बढ़कर 43.31 अरब डॉलर (2021-22) तक पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के जानकारों का मानना है कि अमेरिक के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार आने वाले वर्षों बढ़ता ही रहेगा, क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों आर्थिक संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
आने वाले वर्षों में अमेरिका से और गहरे होंगे व्यापारिक रिश्ते- एक्सपर्ट
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के वाइस प्रेसिडेंट खालिद खान कहा कहा है कि भारत एक भरोसेमंद व्यापारिक भागीदार के तौर पर उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां सिर्फ चीन पर ही निर्भरता को कम करना चाहती हैं और अपने बिजनेस को भारत जैसे देशों की ओर फैलाना चाह रही हैं। खान ने कहा है, 'आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार के बढ़ने का सिलसिला जारी रहेगा। भारत एक इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) स्थापित करने के लिए अमेरिका की अगुवाई वाली पहल में शामिल हो गया है और इस कदम से आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।'
अमेरिका से भारत का ट्रेड सरप्लस की स्थिति बरकरार
2021-22 में अमेरिका के साथ भारत का 32.8 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस था। आंकड़े बताते हैं कि चीन 2013-14 से लेकर 2017-18 तक और फिर 2020-21 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी था। 2021-22 में 72.9 अरब डॉलर के कारोबार के साथ यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। इसके बाद सऊदी अरब (42.85 अरब डॉलर), इराक (34.33 अरब डॉलर) और सिंगापुर (30 अरब डॉलर) का स्थान रहा। (इनपुट-पीटीआई। तस्वीरें-फाइल)