अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी के बाद चीन ने लॉन्च की 31वीं वॉरशिप
चीन ने दुश्मनों क नजर से छिपने में समर्थ और पनडुब्बियों वाली वॉरशिप को किया कमीशंड। यह चीन की 31वीं वॉरशिप और पहला एयरक्राफ्ट कैरियर भी तैयार।
बीजिंग। चीन का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार है और उससे पहले चीन ने अपनी 31वीं स्टेल्थ वॉरशिप को दुनिया के सामने लाकर रख दिया है। खास बात है यह वॉरशिप उस समय सामने आया है जब अमेरिका की ओर से चीन को साउथ चाइना सी से दूर रहने की वॉर्निंग दी है।
52 किलोमीटर की स्पीड
चीन इशारा कर चुका है कि वह अपने हथियारों में तेजी से इजाफा करता रहेगा। चीन की इस वॉरशिप को पीपुल्स लिब्रेशन नेवी को सौंप दिया गया है। चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली ने यह जानकारी दी है। इस वॉरशिप की स्पीड 52 किलोमीर प्रति घंटा है। यह टाइप 056 कॉरवेट क्लास की 31वीं वॉरशिप है। पीपुल्स डेली के मुताबिक हाई लेवल का स्वचालन और दुश्मनों की नजर से छिपने की क्षमता है। यह एयरक्राफ्ट, शिप और सबमरीन को निशाना बना सकती है। इस वॉरशिप को चीन के एझोउ फुजियान प्रांत में नेवल बेस पर नेवी को सौंपा गया है। यह शिप कोस्टल पेट्रोल, पनडुब्बी विरोधी और एंटी शिप ऑपरेशंस को आसानी से अंजाम दे सकता है। वर्ष 2017 की शुरुआत में चीन की यह दूसरी वॉरशिप है जो नेवी को सौंपी गई है। इससे पहले चीन को टाइप-815ए क्लास की इलेक्ट्रॉनिक शिप को कैयांगशिंग में नेवी को सौंपा गया था। यह शिप फिलहाल चीन की नेवी के नॉर्थ फ्लीट के पास है।
रूस से भी ताकतवर चीन
पीपुल्स डेली के मुताबिक वर्तमान समय में रूस के पास सबसे ज्यादा 80 लड़ाकू कॉरवेट शिप्स है। रूस के ये ज्यादातर कॉरवेट शिप्स 1980 और 1990 के दशक के बने हुए हैं। ये सभी कॉरेवट रूसी शिप्स चीन की इस टाइप 056 से मुकाबला नहीं कर सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की सेना आधुनिक कॉरवेट दौर में सबसे ताकतवर सेना है। चीन की नेवी ने वर्ष 2015 में और 2016 में 20 नई वॉरशिप्स को डेप्लॉयड किया है। चीन कई एडवांस्ड पनडुब्बियों को भीद डेप्लॉयड कर चुका है। अब दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है और तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को तैयार करने की योजना है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से नामित किए गए अमेरिकी विदेश सचिव रेक्स टिलीरसन ने पिछले दिनों कहा था कि चीन को साउथ चाइना सी पर जाने से रोक देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी सरकार चीन को साफतौर पर कहेगी कि उसे साउथ चाइना सी पर बने आर्टिफिशियल द्वीप को खत्म करना होगा।