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स्पेस में हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट की रिपोर्ट को चीन ने नकारा, परमाणु हथियार को बताया एक गाड़ी

चीन ने अंतरिक्ष में न्यूक्लियर हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट करने की बात को नकार दिया है और कहा है कि वो टेस्ट स्पेस गाड़ी का था।

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बीजिंग, अक्टूबर 18: अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक परमाणु बम के परीक्षण की बात से चीन मुकर गया है। कल फाइनेंशियल टाइम्स ने खुलासा किया था कि चीन ने अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण किया है, जिसके बाद पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है, वहीं चीन अफने टेस्ट को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। फाइनेंशियल टाइम्स ने कहा है कि, चीन ने अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था, लेकिन चीन का परीक्षण पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया।

मिसाइल परीक्षण पर बोला चीन

मिसाइल परीक्षण पर बोला चीन

चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि, चीन ने जुलाई में एक अंतरिक्ष यान का परीक्षण किया था, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का। हाइपरसोनिक मिसाइलों के जानकार पांच लोगों का हवाला देते हुए फाइनेंशियल टाइम्स ने शनिवार को बताया कि, चीन ने एक परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण इसी साल अगस्त महीने में किया था, जो अंतरिक्ष के लोअर ऑर्बिट से किसी भी देश पर अचूक निशाना लगाने में सक्षम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन का ये परीक्षण बहुत हद तक कामयाब रहा है, क्योंकि, अपने लक्ष्य को भेदने से पहले इस मिसाइल ने पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लिया था और फिर अपने टार्गेट को हिट करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन टार्गेट से करीब 24 मील पहले ये मिसाइल गिर गया।अखबार ने कहा कि इस उपलब्धि ने "अमेरिकी खुफिया को आश्चर्यचकित कर दिया" है।

मिसाइल को चीन ने 'गाड़ी' बनाया

मिसाइल को चीन ने 'गाड़ी' बनाया

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि, "यह एक मिसाइल नहीं थी, यह एक अंतरिक्ष यान था।" चीन ने कहा कि, इस टेस्ट का मकसद अंतरिक्ष में और ज्यादा सुरक्षित, सुविधाजनक, शांतिपूर्वक और यात्रियों को सस्ती यात्रा कराने का मकसद है और विश्व की कई कंपनियां इस तरह का परीक्षण कर चुकी हैं।

चीनी दावे पर उठते सवाल

चीनी दावे पर उठते सवाल

सवाल ये उठता है कि, अपनी छोटी से छोटी उपलब्धियों के बारे में ढिंढोरा पीटने वाले चीन ने आखिरकार इस प्रोजेक्ट के बारे में दुनिया से क्यों छिपाया? या फिर चीन अभी झूठ बोल रहा है? चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि, परीक्षण जुलाई में हुआ था, अगस्त में नहीं जैसा कि फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम पर करीब से नजर रख रहा है, ताकि उसके तेजी से बढ़ते रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी द्वारा संभावित जोखिमों का आकलन किया जा सके।

दुनिया में निकला सबसे आगे

दुनिया में निकला सबसे आगे

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपनी पहली कोशिश में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया है और करीब 24 मील से अपने टार्गेट को भेदने में चूक गया है, लेकिन दो विशेषज्ञों ने कहा है कि, चीन ने अब इस तरह की टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है और वो अब परीक्षण में कामयाब हो सकता है। दो खुफिया विशेषज्ञों ने कहा है कि, चीन ने हाइपरसोनिक हथियारों के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की है और अमेरिकी टेक्नोलॉजी की तुलना में चीन के पास अब कहीं ज्यादा उन्नत टेक्नोलॉजिकल क्षमता हासिल हो गई है और काफी ज्यादा खतरनाक है और चीन अब पूरी दुनिया का एकछत्र बादशाह बनना चाहता है।

चीनी परीक्षण से सकते में अमेरिका

चीनी परीक्षण से सकते में अमेरिका

फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, एक विशेषज्ञ ने कहा है कि, अमेरिकी रक्षा से जुड़े लोगों ने हमेशा से चीन की क्षमताओं को कम करके आंका है, लेकिन अब इस बात से किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि, चीन टेक्नोलॉजी की दिशा में काफी ज्यादा आगे निकल चुका है। वहीं, चौथे विशेषज्ञ ने कहा कि, 'हमें अभी तक नहीं पता कि उन्होंने ये कैसे किया है'। अमेरिका, रूस और चीन सभी हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं, जिसमें ग्लाइड वाहन भी शामिल हैं जो रॉकेट पर अंतरिक्ष में लॉन्च किए जाते हैं, लेकिन अपनी गति के तहत पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। वे ध्वनि की गति से पांच गुना तेज गति से उड़ते हैं, बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में थोड़ी कम रफ्तार उनकी होती है। लेकिन वे बैलिस्टिक मिसाइल के रास्ते को फॉलो नहीं करती हैं, लिहाजा उन्हें ट्रैक करना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

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English summary
China has denied the possibility of testing a nuclear hypersonic missile in space and said that the test was of a space vehicle.
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