कनैडियन पीएम ट्रूडो के बदले सुर, कहा अटवाल को वीजा की मंजूरी देना भारत सरकार की साजिश
पिछले दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपनी एक हफ्ते की भारत यात्रा पर पहुंचे थे। यहां पर उनकी यात्रा के साथ उस समय विवाद जुड़ गया जब मुंबई में हुई डिनर पार्टी में खालिस्तान का समर्थक और भारतीय मंत्री की हत्या का दोषी जसपाल अटवाल भी पार्टी में पहुंच गया।
ओट्टावा। पिछले दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपनी एक हफ्ते की भारत यात्रा पर पहुंचे थे। यहां पर उनकी यात्रा के साथ उस समय विवाद जुड़ गया जब मुंबई में हुई डिनर पार्टी में खालिस्तान का समर्थक और भारतीय मंत्री की हत्या का दोषी जसपाल अटवाल भी पार्टी में पहुंच गया। अब ट्रूडो ने इस पूरे विवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया है। कनाडा के पीएम की मानें तो भारत सरकार से जुड़े तत्वों ने अटवाल के वीजा को मंजूरी देकर उनकी भारत यात्रा को खराब करने की कोशिश की थी। आपको बता दें कि 19 फरवरी को मुंबई में कनैडियन पीएम के सम्मान में कनाडा के उच्चायोग की तरफ से डिनर आयोजित किया गया था। इसी डिनर पार्टी में अटवाल मौजूद था और ट्रूडो की पत्नी सोफी के साथ उसकी फोटोग्राफ ने जमकर हंगामा मचाया था।
क्या कहा ट्रूडो ने
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता की ओर से ट्रूडो से उन आरोपों पर सवाल पूछा गया था जो सरकार के सुरक्षा सूत्रों की ओर से लगाए गए हैं। ट्रूडो ने इसी सवाल के जवाब में कहा कि हमारे टॉप डिप्लोमैट्स और सुरक्षा अधिकारी कनाडा के हर नागरिक को सब बताते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे जो भी कह रहे हैं वह सच है। ट्रूडो ने आगे कहा कि कनाडा की पूर्व कंजर्वेटिव सरकार ने हर सार्वजनिक सेवा को तोड़ने की भरपूर कोशिश की है। पीएम ट्रूडो की भारत यात्रा के समय कनाडा के उच्चायुक्त नादिर पटेल की ओर से दिल्ली में डिनर का आयोजन किया गया था। जैसे ही अटवाल विवाद ने तूल पकड़ा इस डिनर को कैंसिल कर दिया गया। पीएम ट्रूडो की इस पूरे मुद्दे पर काफी आलोचना हुई थी।
कौन है जसपाल अटवाल
अटवाल साल 1986 में वैंकुवर आईलैंड पर भारतीय कैबिनेट मंत्री मलकियात सिंह सिद्धू की हत्या का दोषी है। उस समय अटवाल इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सदस्य था। यह एक आतंकी संगठन है जिसे कनाडा, यूके, अमेरिका और भारत में बैन किया गया है। इसके अलावा वह धोखाधड़ी केस में भी दोषी रह चुका है। लेकिन साल 1985 में उज्जल दोसांज पर हुए जानलेवा हमले में उसे दोषी नहीं माना गया था। दोसांज सिख अलगाववादी आंदोलन के विरोधी थे और बाद में ब्रिटिश कोलंबिया के प्रधानमंत्री भी बने थे।साल 1980 में कनाडा की सरकार ने इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को आतंकी संगठन घोषित किया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा होगी जांच
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर कहा गया था कि वीजा के बारे में अभी कुछ नहीं पता कि कैसे अटवाल को यह हासिल हुआ लेकिन कनाडा में मौजूद भारतीय उच्चायोग की ओर से इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाएगी। मंत्रालय के मुताबिक इस विवाद के दो पक्ष हैं। कनाडा की ओर से पहले ही इस डिनर कार्यक्रम और अटवाल को दिए गए इनवाइट को रद्द कर दिया गया है। वहीं उसे वीजा कैसे मिला इस बारे में अभी कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी है। इस बारे में जरूर जानकारी मांगी जाएगी। इस पूरे मसले पर कनाडा के पीएम जस्टिन टूडो की ओर से भी बयान दिया गया है। उन्होंने है कि निश्चित तौर पर यह एक गंभीर मसला है। जैसे ही हमें इस बारे में जानकारी मिली हमने तुरंत ही अटवाल का इनवाइट कैंसिल कर दिया।
पीएम मोदी की ट्रूडो को दो टूक
पीएम मोदी ने ट्रूडो के साथ मीटिंग के बाद साफ-साफ कहा था कि भारत की संप्रुभता और अखंडता को चुनौती देने वालों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी ने ट्रूडो से साफ कहा था कि आतंकवाद और उग्रवाद भारत और कनाडा जैसे लोकतांत्रिक बहुलतावादी समाजों के लिए खतरा रहा है। इन ताकतों का मुकाबला करने के लिए हमारा साथ आना जरूरी है। आतंकवाद और उग्रवाद बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस संदेश के साथ ही पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष तौर पर कनाडा को साफ कर दिया था कि भारत, खालिस्तान को मिल रहे समर्थन को बिल्कुल भी सहन नहीं करेगा।