अफगानिस्तान में अशांति: 3 धमाकों के बाद आतंकियों से मुठभेड़, राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को ठहराया था जिम्मेदार
अफगानिस्तान में हुए ताजा बम ब्लास्ट में कमांडर समेत अफगान सिक्योरिटी फोर्स के चार जवान मारे गये हैं। वहीं, सात से ज्यादा जवान बम ब्लास्ट घायल भी हुए हैं।
काबुल: अफगानिस्तान एक बार फिर से अशांति का शिकार होने लगा है। अफगानिस्तान की धरती को फिर से तालिबानी आतंकी लहूलुहान करने लगे हैं। अफगानिस्तान में हुए ताजा बम ब्लास्ट में कमांडर समेत अफगान सिक्योरिटी फोर्स के चार जवान मारे गये हैं। वहीं, सात से ज्यादा जवान बम ब्लास्ट में घायल भी हुए हैं। ये बम ब्लास्ट अफगानिस्तान के ईस्टर्न और साउदर्न राज्य में हुआ है, जिनमें तीन नागरिकों के भी घायल होने की खबर है।
खून बहाने में जुटा तालिबान
अमेरिका से शांति समझौता करने के बाद कुछ दिनों के लिए तालिबान ने आतंकी हमलों को जरूर बंद कर दिया था लेकिन पिछले कुछ महीनों में तालिबान ने फिर से लोगों का खून बहाना शुरू कर दिया है। हालांकि, इस बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी अभी तक तालिबान ने नहीं ली है मगर तालिबानी आतंकी और अफगानिस्तान सैनिकों के बीच झड़प की भी खबर आई है। पिछले कुछ हफ्तों में देखा गया है कि सड़कों के किनारे बम प्लांट किए जाते हैं, जिनमें ब्लास्ट करवाकर कई जज, पत्रकार और सरकारी अधिकारियों की जान ले ली गई है।
कंधार पुलिस के मुताबिक, बम ब्लास्ट के जरिए सिक्योरिटी फोर्सेस को ही निशाना बनाना था, लिहाजा आतंकवादियों ने सिक्योरिटी चेक पोस्ट को अपना निशाना बनाया है। वहीं, अफगानिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर कांधार में सिक्योरिटी फोर्सेस तालिबान आतंकियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चला रही है, जिनमें 18 तालिबानी आतंकी अबतक मारे जा चुके हैं वहीं 9 आतंकी घायल हैं। वहीं, छापा दर जिले में कमांडर को टार्गेट कर एक बम फेंका गया था, जिसमें कमांडर समेत 4 जवान मारे गये हैं। वहीं जलालाबाद में सड़क किनारे हुए बम ब्लास्ट में चार स्थानीय लोग घायल हुए हैं।
शांति समझौते को तोड़ता तालिबान
अफगानिस्तान में अमेरिका से शांति समझौता होने के बाद फिर से आतंकी हमले होने लगे हैं। शांति समझौते के तहत अमेरिका ने अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना शुरू कर दिया है लेकिन तालिबान अपनी शर्तों से पीछे हटता दिख रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार को अस्थिर करने के लिए फिर से बम धमाकों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। वहीं, अमेरिका का नया जो बाइडेन प्रशासन फरवरी 2020 में कतर में हुए अफगानिस्तान-तालिबान समझौते को मॉनिटर कर रहा है। अफगानिस्तान-तालिबान समझौते के तहत अमेरिका और मित्र देशों की सेना को इस साल 1 मई तक अफगानिस्तान से बाहर निकल जाना है। लेकिन माना जा रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों का निकलना अफगानिस्तान सरकार के लिए बुरी खबर बनकर आया है।
अमेरिका लगातार अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर बुला रहा है। 12 हजार अमेरिकी सैनिकों में से अब अफगानिस्तान में सिर्फ 2500 अमेरिकी सैनिक ही बचे हैं। लेकिन, तालिबान ने फिर से खून-खराबा करना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान पर शांतिभंग का आरोप
पिछले हफ्ते अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान पर अफगानिस्तान की शांति बिगाड़ने का आरोप लगाया था। अफगानिस्तान के राष्ट्पति ने कहा है कि कुछ देश नहीं चाहते हैं कि अफगानिस्तान में शांति की स्थापना हो लिहाजा वो अफगानिस्तान की धरती पर आतंकी तत्वों को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं ऐसे में वैश्विक समुदाय को आगे आकर उन देशों को रोकना चाहिए जो आतंकवादियों को अपनी जमीन पर पालते हैं। हालांकि, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने बयान में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया था, लेकिन अफगानिस्तानी मीडिया ने दावा किया था कि राष्ट्रपति का इशारा पाकिस्तान की तरफ था।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वर्चुअल मीटिंग की थी। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उसपर निशाना साधा है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि अगर वर्तमान में अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया नाकाम हो जाती है तो फिर एक बार फिर से अफगानिस्तान अनिश्चितता की तरफ बढ़ जाएगा। और कुछ मुल्क ऐसा चाहते हैं कि अफगानिस्तान में शांति की स्थापना नहीं हो सके। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मीटिंग के दौरान कहा कि अगर अफगानिस्तान की शांति खराब होती है तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बेहद खतरनाक होगा।
अफगानिस्तान की स्थिरता खत्म करना चाहता है पाकिस्तान, राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पीएम मोदी से कहा