बांग्लादेश: रोहिंग्या हिंदू अपने देश म्यांमार जाने के लिए लगा रहे गुहार
ढाका। दुनिया के सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप बांग्लादेश में 10 लाख ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं। इन कैंपों में कुछ हिंदू परिवार भी रह रहे हैं, जिन्होने रोहिंग्या मुसलमानों के साथ म्यांमार से पलायन होकर बांग्लादेश में शरण ली थी। म्यांमार में अल्पसंख्यकों के साथ हिंदू अल्पसंख्यक भी रहते थे, लेकिन जुलाई 2017 में जब म्यांमार की सेना ने रखाइन प्रांत में अल्पसंख्यक मु्सलमानों पर बर्बरता बरती, तो उसके शिकार कुछ हिंदू परिवार भी हुए थे। पिछले साल लाखों मुस्लिम शरणार्थियों के साथ कुछ हिंदू परिवारों ने भी बांग्लादेश में शरण ली थी, जो अब वापस अपने देश म्यांमार जाना चाहते हैं।
बांग्लादेश में फंस गए हिंदू शरणार्थी
लॉस एंजिल्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में पिछले 15 महीनों से हिंदू परिवार बहुत बड़ी आबादी वाले मुस्लिम शरणार्थियों के साथ रहे हैं। एक तरफ रोहिंग्या मुस्लिम है, जो वापस म्यांमार जाने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन हिंदू रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश छोड़कर वापस अपने मुल्क जाना चाहते हैं। मई 2018 मे संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार सरकार के साथ एक सौदा किया था, जिसके तहत शरणार्थियों को रखाइन वापस लौटने की अनुमति दी गई। हालांकि, रोहिंग्या मुसलमानों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करने के लिए सौदे की व्यापक रूप से आलोचना भी हुई। इस समझौते के बाद कई हिंदू परिवार म्यांमार जाने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन ज्यादातर मुस्लिम शरणार्थियों ने वापस जाने का विरोध किया, जिसके बाद से समझौता लंबे समय से ठंडे बस्ते में चला गया और हिंदू शरणार्थी फंसे रह गए।
बांग्लादेश में 400 हिंदू शरणार्थी
बांग्लादेश में 400 से अधिक हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें से अधिकांश बच्चे शामिल है। बांग्लादेश के कुटुपालोंग और बलुखली परिसर में 27 शरणार्थी बस्तियों में से एक बस्ती हिंदू परिवारों की है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश सरकार ने इन हिंदुओं को मुस्लिम शरणार्थियों से थोड़ा अलग बसाया है। साथ ही सरकार ने हिंदू कैंपों पर निरंतर नजर रखने के लिए पुलिस की तैनाती भी की है।
हिंसा के बाद हुए थे म्यांमार से पलायन
हिंदू कैंप में रहने वाले परिवारों का आरोप है कि रोहिंग्या मुस्लिमों की वजह से उन्हें भी पलायन होना पड़ा है। वहीं, म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों का मानना है कि रखाइन में हुई हिंसा के बाद पीछे रहे हिंदुओं को फायदा हो रहा है। उनका आरोप है कि उनकी जमीनों पर अब म्यांमार में हिंदुओं ने कब्जा कर लिया है। बता दें कि 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसा हुई थी, जिसके बाद बौद्ध बहुंसख्यक देश से महीनों तक नाफ नदीं से होकर रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी रहा। इस वक्त बांग्लादेश में 10 लाख से ज्यादा शरणार्थी रह रहे हैं।