#Balakot: परमाणु बम के नाम पर पाकिस्तान का डराना बंद?
दबे स्वरों में कुछ भारतीय हलक़ों में इन हमलों को भारतीय चुनाव से जोड़कर देखा रहा है. पाकिस्तान में कई लोग खुलकर ये बात कर रहे हैं.
भारत में पाकिस्तान के पूर्व हाइकमिश्नर अशरफ़ जहांगीर क़ाज़ी के मुताबिक़ भारतीय मीडिया में पहले भी ऐसे दावे किए गए लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हो पाई.
भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि भारतीय विमानों ने 26 फ़रवरी की सुबह चरपमंथी गुट जैश-ए-मोहम्मद के एक बड़े कैंप पर हमला किया.
गोखले ने इन हमलों को असैनिक और बचाव में की गई कार्रवाई बताया जिसमें बालाकोट में सबसे बड़े चरपमंथी कैंप पर हमला कर बड़ी संख्या में आत्मघाती हमले के लिए तैयार किए जा रहे चरमपंथियों को मार गिराया गया.
सुबह की रिपोर्टों में तीन जगह बालाकोट, चकोठी और मुज़फ़्फ़राबाद में हमलों की बात कही जा रही थी लेकिन विजय गोखले ने सिर्फ़ बालाकोट का ज़िक्र किया.
सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि बालाकोट पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में है, यानि ये इलाक़ा पाकिस्तान में पड़ता है, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का हिस्सा नहीं है.
प्रांत के स्थानीय लोगों ने बीबीसी उर्दू से बातचीत में तेज़ धमाके सुनने की पुष्टि की है, लेकिन क्या इन धमाकों का कारण भारतीय विमानों का हमला था, ये साफ़ नहीं है.
ख़बरों के मुताबिक़ सुरक्षाबलों ने इलाक़े को घेरे में ले लिया है, इसलिए वहां से संपर्क करना आसान नहीं.
भारतीय कार्रवाई में अभी ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ है इसलिए अभी बहुत मामलों पर जानकारी आनी बाक़ी है. इस कारण लोग बचबचकर जवाब दे रहे हैं.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने हवाई हमले के भारतीय दावों को ख़ारिज कर दिया है और इसे भारत की आंतरिक राजनीतिक ज़रूरतों से जोड़ा है.
हमले से क्या कोई नुक़सान हुआ, इस पर अभी तक कुछ साफ़ नहीं हो पाया है.
लेकिन अगर भारतीय दावा सही है तो ये फिर ये कार्रवाई कितनी महत्वपूर्ण है, इसे जानने के लिए बीबीसी ने भारत और पाकिस्तान में रक्षा मामलों के विशेषज्ञों और राजनयिकों से बात की.
परमाणु बम के नाम पर पाकिस्तान का डराना बंद?
पाकिस्तान में सुरक्षा मामलों की जानकार और लेखक आएशा सिद्दीक़ा के मुताबिक़ राजनीतिक और कूटनीतिक आधार पर ये हमला बेहद महत्वपूर्ण है.
वो कहती हैं, "कूटनीतिक आधार पर ये हमला महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने पाकिस्तान की (परमाणु हथियार) धमकी को झूठा साबित कर दिया है... महत्वपूर्ण बात ये है कि बालाकोट एबटाबाद के नज़दीक है (जहां लादेन को मारा गया था)."
वो कहती हैं कि पाकिस्तानी सेना की कोशिश होगी कि जिन जगहों पर हमले हुए हैं वहां से तस्वीरें कहीं बाहर न जा पाएं इससे उन्हें मामले की कुछ और तस्वीर पेश करने का मौक़ा मिलेगा.
आएशा के मुताबिक़ जिस जगह पर हमले की ख़बर आ रही है वो वहां से और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.
भारत के कॉमोडोर उदय भास्कर के मुताबिक़ ये हमला परमाणु हमले के नाम पर डराने की पाकिस्तान की नीति का टेस्ट जैसा है.
वो कहते हैं, "अभी तक यही कहा जाता था कि भारत के पास कोई विकल्प नहीं है. आज भारत ने यही कहा है कि "हमारे पास विकल्प हैं और हम उसका इस्तेमाल करेंगे. साथ ही हम ये बात दुनिया को बता रहे हैं कि हमने जो किया है वो अपनी सुरक्षा के लिए किया है."
हमलों में किए गए नुक़सान का आकलन कैसे?
पाकिस्तान में बीबीसी संवाददाता एम इलियास ख़ान के मुताबिक़ पाकिस्तान में जिन जगहों पर ये हमले हुए हैं, सालों से वहां कश्मीरी चरमपंथियों को ट्रेनिंग दी जाती रही है.
सूत्रों के आधार पर भारत में कहा जा रहा है कि भारतीय वायु सेना के इस हमले में 300 से 350 लोग मारे गए हैं और जैश के इस कैंप को भारी नुक़सान पहुंचा है. दूसरे देश के इलाक़े में हवाई हमले के बाद हुए नुक़सान की पुष्टि कितनी संभव है?
कोमोडोर उदय भास्कर के मुताबिक़ "वायु सेना का जब इस्तेमाल होता है, जिस आर्डिनेंस का आप इस्तेमाल करते हैं, उसका वीडियोग्राफ़िक एविडेंस मिल जाता है. हवा में आपके पास सैटेलाइट भी हैं. ये जानकारी दुनिया में बाहर भी मिल जाती है. आपको याद होगा कि सैटेलाइट से ऐबटाबाद में ओसामा के घर का नंबर भी पता चल गया था."
एअर मार्शल (रि) हर्ष मसंद कहते हैं कि हवाई हमले के दौरान तस्वीरें ली जाती हैं और हमले के पहले भी इंटेलिजेंस के आधार पर ये पता लगाया जा सकता है कि जिस जगह पर हमला करना है, वहां कितने लोग थे.
अभी तक इस हमले को लेकर कोई कॉकपिट वीडियो या तस्वीरें सामने नहीं आई हैं.
1971 के बाद पहला वायु हमला
रक्षा मामलों के जानकार कॉमोडोर उदय भास्कर के मुताबिक़ भारतीय कार्रवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद ये पहली बार है जब भारत ने इस तरह पाकिस्तान के ख़िलाफ़ वायु सेना का इस्तेमाल किया है.
वो कहते हैं, "ये संकेत है कि भारत इस तरह आतंक का सामना करेगा."
लाइन ऑफ़ कंट्रोल के पार जाकर हमला
इस ताज़ा हमले को 1999 के कारगिल युद्ध से जोड़कर देखा जा रहा है जब वाजपेई सरकार ने वायु सेना को लाइन ऑफ़ कंट्रोल को पार करके हमले करने की इजाज़त नहीं दी थी.
पूर्व एअर मार्शल हर्ष मसंद के मुताबिक़ कारगिल युद्ध के दौरान स्थिति थोड़ी अलग थी क्योंकि भारत हालात को और ख़राब नहीं करना चाहता था और "युद्ध लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर चल रहा था."
वो कहते हैं, "हमें एलओसी पार करने से रोका गया जिस कारण हमारे दो विमान मिग 21, मिग 23 के अलावा एक हेलिकॉप्टर का भी नुक़सान हुआ."
एअरमार्शल मसंद के मुताबिक़ अगर ज़रूरत पड़े तो वायु सेना को कहीं भी जाने की इजाज़त होनी चाहिए.
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह के बालाकोट पर हमला
सूत्रों ने बीबीसी को बताया है कि भारतीय वायु सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के जिस कैंप को निशाना बनाने की बात कही है वो ख़ैबर-पख़्तूनख़्वाह प्रांत में है ना कि नियंत्रण रेखा के नज़दीक.
इसका मतलब है कि वायु सेना ने कश्मीर के आगे जाकर उस क्षेत्र को निशाना बनाया जो पाकिस्तान का इलाक़ा है.
पाकिस्तान के पूर्व एअर कोमोडर क़ैसर तुफ़ैल के मुताबिक़ अगर ऐसा हुआ है "तो ये बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आपने अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किया है. ये कोई विवादित इलाक़ा नहीं है... अंतरराष्ट्रीय सीमा के उल्लंघन के अंतरराष्ट्रीय मायने हैं."
'असैनिक और बचाव में की गई कार्रवाई' के मायने
विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया से बातचीत में भारत की इस कार्रवाई को 'नॉन मिलिट्री प्रिएंप्टिव' या असैनिक और बचाव में की गई कार्रवाई बताया.
कोमोडोर भास्कर के मुताबिक़ भारत कहना चाहता है कि इस हमले का सीमित मक़सद आतंकवाद, आतंक को मदद करने वाले इन्फ़्रास्ट्रक्चर को ख़त्म करना था.
वो कहते हैं, "भारत बताना चाहता है कि वो पाकिस्तान की अखंडता (के साथ) है... ये कोई हमला नहीं है. ये (हमला) दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ है और उन गुटों के ख़िलाफ़ है जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने बैन किया है."
उधर पाकिस्तान के पूर्व एअर कोमोडर क़ैसर तुफ़ैल कहते हैं, ''नॉन मिलिट्री प्रिएंप्टिव स्ट्राइक नाम की कोई चीज़ नहीं होती. (अगर ऐसा हुआ है तो) ये सैन्य हमला है. ये बिना बात के शब्दों के साथ किया गया हेरफेर है."
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हमलों का चुनाव से संबंध?
दबे स्वरों में कुछ भारतीय हलक़ों में इन हमलों को भारतीय चुनाव से जोड़कर देखा रहा है. पाकिस्तान में कई लोग खुलकर ये बात कर रहे हैं.
भारत में पाकिस्तान के पूर्व हाइकमिश्नर अशरफ़ जहांगीर क़ाज़ी के मुताबिक़ भारतीय मीडिया में पहले भी ऐसे दावे किए गए लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हो पाई.
उनका इशारा सर्जिकल स्ट्राइक्स की ओर था. पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक्स के भारतीय दावे को ख़ारिज कर दिया था.
हालांकि पाकिस्तान में एक बीबीसी संवाददाता के मुताबिक़ भारतीय सेना कई जगहों से पाकिस्तान शासित कश्मीर के भीतर दाख़िल हुई थी और पाकिस्तानी सेना को कुछ नुक़सान भी पहुंचाया था.