अजरबैजान ने आर्मेनिया पर किया हमला, पाकिस्तान का भी हमले में है हाथ, रूस हुआ नाराज
अजरबैजान और आर्मेनिरया के बीच एक बार फिर से जंग शुरू हो गई है। राइटर्स के मुताबिक अजरबैजान ने कराबाख में बम बरसा दिया जिससे आर्मेनिया के तीन सैनिकों की मौत हो गई।
बाकू, 04 अगस्तः अजरबैजान और आर्मेनिरया के बीच एक बार फिर से जंग शुरू हो गई है। राइटर्स के मुताबिक अजरबैजान ने कराबाख में बम बरसा दिया जिससे आर्मेनिया के तीन सैनिकों की मौत हो गई। नागोर्नो-कराबाख इलाके को लेकर दोनों के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है।
तस्वीर- प्रतीकात्मक
रूस ने अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का लगाया आरोप
अर्मेनिया ने कहा कि अजरबैजान ने इस क्षेत्र के कई इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। इसे लेकर रूस ने भी अजरबैजान पर सीजफायर तोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, अजरबैजान ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आर्मेनिया ने तोड़फोड़ शुरू की जिसमें उनके एक सैनिक की मौत हो गई थई। इसके साथ ही अजरबैजान ने कहा कि उसकी सेना ने रूसी शांति सैनिकों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में एक पहाड़ी पर कब्जा करने के एक आर्मेनियाई प्रयास को विफल कर दिया है।
यूरोपीय संघ ने संघर्ष रोकने की अपील की
आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अजरबैजान ने शांति सैनिकों के नियंत्रण वाले इलाके में हमला करके संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। आर्मेनिया ने अतंरराष्ट्रीय समुदाय से अजरबैजान के आक्रमक व्यवहार को रोकने की अपील की। इस बीच यूरोपीय संघ ने दोनों देशों से तत्काल संघर्ष समाप्त करने की अपील की। यूरोपीय संघ ने कहा कि दोनों देशों को युद्ध विराम का सम्मान करना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि यूएसए नागोर्नो-कराबाख के आसपास भीषण लड़ाई की रिपोर्टों से बेहद चिंतित है। हम इस तनाव को कम करने और आगे बढ़ने से बचने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह करते हैं।
30 सालों से चल रहा विवाद
नागोर्नो-कारबाख इलाका 30 साल से भी अधिक समय से आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। दोनों ही देश इस इलाके पर कब्जा करना चाहते हैं। नागोर्नो-कारबाख को कोई भी देश इसे स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता। सोवियत संघ के पतन के बाद नागोर्नो-कराबाख एक लंबे जातीय संघर्ष के बाद अजरबैजान से अलग हो गए थे। इस दौरान नागोर्नो कराबाख को आर्मेनिया का समर्थन मिल रहा था।
रूस ने कराया शांति समझौता
यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय रूप से 4,400 वर्ग किलोमीटर वाला यह इलाका अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है। ऐसे में इस इलाके पर 1994 से आर्मेनिया के जातीय गुटों का कब्जा है। यह दक्षिण कॉकेशस में ईरान, रूस और तुर्की की सीमा पर एक महत्वपूर्ण सामरिक इलाका है। 2020 में दोनों देशों के बीच लगभग 6 महीने तक खूनी संघर्ष चला था। इस दौरान 6,500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। अजरबैजान ने अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित इस हिस्से को सफलतापूर्वक जीत लिय़ा।
पाकिस्तान, अजरबैजान की कर रहा मदद
इसके बाद नवंबर 2020 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच एक शांति समझौते करवाया था। इसके बाद रूस के कहने पर दोनों देशों ने शांति समझौते पर साइन किए थे। युद्धविराम की शर्तों के तहत अलगाववादियों के कब्जे वाले इलाके की रक्षा के लिए रूसी शांति सैनिक तैनात किए गए थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सैनिक अजरबैजान सैनिकों की कथित तौर पर मदद कर रहे हैं। वहीं, आर्मेनियाई अधिकारियों ने कई बार आरोप लगाया है कि अजरबैजान हमले में तुर्की ड्रोन और एफ -16 लड़ाकू जेट का इस्तेमाल कर रहा है।
अजरबैजान को मुस्लिम देशों का मिलता है साथ
आर्मेनिया और अजरबैजान कभी पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे, सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए। आर्मेनिया एक ईसाई बहुल देश है, जबकि अजरबैजान मुस्लिम आबादी वाला देश है। इसके साथ ही अजरबैजान में तुर्की मूल के कई मुस्लिम रहते हैं। ऐसे में अजरबैजान को मुस्लिम देशों का समर्थन मिलता है।
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