अब उंगली में नहीं चुभोई जाएगी सुई, वैज्ञानिकों ने मधुमेह रोगियों के लिए विकसित किया दर्द रहित ब्लड शुगर टेस्ट
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने शुगर टेस्ट का एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जिसके माध्यम से शुगर का टेस्ट भी हो जाएगा और रोगियों को बिल्कुल दर्द भी नहीं होगा।
कैनबरा, 13 जुलाई। जो लोग मधुमेह से पीड़ित है उनके लिए एक खुशखबरी है। अब शुगर टेस्ट के लिए डॉक्टर आपकी उंगली में सुई नहीं चुभोएगा। जी हां, ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने शुगर टेस्ट का एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जिसके माध्यम से शुगर का टेस्ट भी हो जाएगा और रोगियों को बिल्कुल दर्द भी नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पट्टी बनाई है जो लार के माध्यम से ग्लूकोज के स्तर की जांच करती है।
अब तक होता यह आया है कि मधुमेह रोगियों के खून में ग्लूकोज की मात्रा को चेक करने के लिए उनकी उंगली में एक दिन में कई बार सुई चुभाई जाती है और फिर उनके खून को परीक्षण पट्टी पर डाला जाता है। इस प्रक्रिया में काफी दर्द होता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब एक परीक्षण पट्टी आपकी लार का परीक्षण करेगी जिसके माध्यम से आपके ब्लड में ग्लूकोज की सही मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
यह भी पढ़ें: नॉर्थ ईस्ट के बाद अब दक्षिण भारत के राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे पीएम मोदी, कोरोना पर होगी चर्चा
हालांकि, यह नवीनतम परीक्षण एक एंजाइम को एम्बेड करके काम करता है जो ग्लूकोज को एक ट्रांजिस्टर में पहचानता है जो तब ग्लूकोज की उपस्थिति को प्रसारित कर सकता है। इस नए दर्द रहित टेस्ट को विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर पॉल दस्तूर ने इस बात की जानकारी दी। पॉल ऑस्ट्रेलिया की न्यूकैसल विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर हैं।
प्रोफेसर दस्तूर ने कहा, 'चूंकि ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉनिक सामग्री स्याही होती है, इसलिए कम लागत पर प्रिंटिंग के माध्यम से परीक्षण किया जा सकता है। यानि यह प्रक्रिया पूरी तरह दर्द रहित है।' उन्होंने उम्मीद जताई कि दर्द रहित और कम खर्चीला होने के साथ-2 यह परीक्षण बेहतर परिणाम देने वाला साबित होगा।
इत्तेफाक से विकसित हुआ नया टेस्ट
प्रोफेसर दस्तूर ने कहा कि मधुमेह का यह टेस्ट इत्तेफाक से विकसित हुए। हम सब सोलर सैल्स पर काम कर रहे थे उसी दौरान हमारे दिमाग में यह विचार आया।
ऑस्ट्रेलिया
सरकार
से
मिली
फंडिंग
पॉल
ने
कहा
कि
मधूमेह
टेस्ट
की
किट
का
उत्पादन
करने
के
लिए
ऑस्ट्रेलिया
सरकार
ने
6.3
मिलयन
डॉलर
की
फंडिंग
की
है।
प्रोफेसर दस्तूर ने कहा कि इस तकनीक को COVID-19 परीक्षण और एलर्जेन, हार्मोन और कैंसर परीक्षण में भी स्थानांतरित किया जा सकता है। विश्वविद्यालय पहले से ही हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साथ इसी तकनीक का उपयोग करके COVID-19 के परीक्षण पर काम कर रहा है।
प्रोफेसर दस्तूर ने कहा कि मुझे लगता है कि यह तकनीक चिकित्सा उपकरणों और विशेष रूप से सेंसर के बारे में हमारे सोचने के तरीके को मौलिक रूप से बदल देगी क्योंकि हम इन्हें उल्लेखनीय रूप से कम कीमत पर प्रिंट कर सकते हैं।